दिल्ली में प्रसिद्ध ब्रांडों के नाम पर नकली इंजन ऑयल बेचने वाला गिरोह बेनकाब, फैक्ट्री सील; एक गिरफ्तार

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पुलिस द्वारा बरामद नकली लुब्रिकेंट तेल का भंडार व अन्य सामग्री। सौजन्य : दिल्ली पुलिस



जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने नकली लुब्रिकेंट तेल बनाने वाली एक बड़ी फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने नकली तेल बनाने वाले कंपनी के मालिक को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार किए गए आरोपित की पहचान मनीष गुप्ता के रूप में हुई है। पुलिस ने इसके पास से 10 खाकी रंग के कार्टन भरे हुए कैस्ट्रोल लुब्रिकेंट तेल, नकली कैस्ट्रोल, लुब्रिकेंट तेल की बड़ी मात्रा में मशीनरी और पैकेजिंग सामग्री और लाखों रुपये के नकली उत्पाद बरामद किए हैं। पुलिस पकड़े गए आरोपित से पूछताछ कर गिरोह में शामिल अन्य आरोपितों की तलाश में जुटी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बड़ी संख्या में माल किया जब्त

क्राइम ब्रांच के उपायुक्त विक्रम सिंह के मुताबिक, गुरुवार को सब इंस्पेक्टर रंजीत सिंह को गुप्त सूचना मिली कि कुछ लोग कैस्ट्रोल, टीवीएस और हीरो जैसे प्रतिष्ठित ब्रांडों की खाली बोतलों में स्थानीय कच्चा लुब्रिकेंट तेल भरकर, नकली लेबल लगाकर, उन्हें असली उत्पादों के रूप में बेच रहे हैं। सूचना मिलते ही इंस्पेक्टर आशीष शर्मा के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई।

टीम ने बृहस्पतिवार को कबीर नगर में स्थित एक गोदाम पर छापेमारी की। टीम को यहां बड़ी मात्रा में नकली लुब्रिकेंट तेल, खाली ब्रांडेड कंटेनर, मशीनरी, लेबल और नकली सामान बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले अन्य सामान जब्त किए गए। इसके साथ ही मुख्य आरोपित मनीष गुप्ता को गिरफ्तार किया।
पिछले छह साल से चला रहा था नकली तेल का कारोबार

पूछताछ में आरोपित ने बताया कि वह 2019 से केबीएस लुब्रिकेंट इंडिया के नाम से छापे वाली जगह पर नकली इंजन आयल बना और बेच रहा था। वह मंगोलपुरी, आयल मार्केट में सतीश अग्रवाल (आस्था एंटरप्राइजेज) से खरीदे गए बेस आयल और एडिटिव्स को मिलाकर प्रतिदिन लगभग 150 लीटर (महीने में चार से पांच हजार लीटर) तेल बनाता था।
ऐसे बनाते थे नकली इंजन ऑयल

बेस ऑयल और एडिटिव्स के मिक्सचर को कैस्ट्रोल, टीवीएस और हीरो जैसे ब्रांड के कंटेनरों में पैक किया जाता था, जिसके लिए तीस हजारी, गोकल मार्केट से राजू से नकली लोगो, बैच नंबर, होलोग्राम, लेबल और सील खरीदे जाते थे।

वह साफ किए गए पुराने या एक्सपायर्ड ब्रांडेड कंटेनरों का दोबारा इस्तेमाल करता था और नकली तेल को उदयपुर, श्रीनगर और सहारनपुर के रिटेलरों को ट्रांसपोर्ट के जरिए कम कीमतों पर बेचता था, जिससे उसे हर महीने लगभग 50 हजार रुपये का मुनाफा होता था।

उसने माना कि उसके पास कोई लाइसेंस या टेक्निकल क्वालिफिकेशन नहीं है और वह पकड़े जाने से बचने के लिए स्टोरेज की जगहें बदलने जैसी सावधानियां बरतता था।

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