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Foreign Assets Declaration: खाता, शेयर या इनकम...ये सब ITR में नहीं बताया तो खैर नहीं; 11 सवालों में पूरी गाइड

Chikheang 2 hour(s) ago views 310

  

Foreign Assets Declaration: खाता, शेयर या इनकम...ये सब ITR में नहीं बताया तो खैर नहीं; 11 सवालों में पूरी गाइड



Foreign Assets Declaration: विदेश में बैंक अकाउंट, शेयर, म्यूचुअल फंड या किसी भी तरह की इनकम है, तो उसे आईटीआर (ITR) में दिखाना अब जरूरी नियम है। चाहे आपके पास कमाई हो या बिल्कुल टैक्सेबल न हो, विदेशी संपत्ति छिपाने पर भारी जुर्माना और कानूनी कार्रवाई दोनों संभव हैं। इसी विषय पर सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स यानी CBDT और आयकर विभाग (Income Tax Department) के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए हमने 11 सवालों की पूरी गाइड तैयार की है। इसमें साफ बताया गया है कि कौन व्यक्ति विदेशी आय और संपत्ति डिक्लेयर करेगा, इसे कब और किस फॉर्म में जमा करना है और अगर यह जानकारी छिपा दी गई तो कितनी बड़ी सजा हो सकती है? चलिए एक-एक कर परी डिटेल समझते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
1. विदेशी संपत्ति और विदेशी आय से जुड़ी घोषणा किसे करनी चाहिए?

CBDT के मुताबिक, पिछले साल का कोई भी भारतीय निवासी, चाहे उसकी आय कर योग्य सीमा से कम ही क्यों न हो, यदि उसके पास विदेशी आय या विदेशी संपत्ति मौजूद है, तो उसके लिए इसे आयकर रिटर्न में घोषित करना अनिवार्य है। मतलब ऐसा कोई भी भारतीय नागरिक, जो भारत का टैक्स रेजिजेंट है और विदेश में अकाउंट, निवेश या आय रखता है, उसे अपनी आईटीआर (Income Tax Return) में स्पष्ट रूप से इसका खुलासा करना होगा।
2. रेसिडेंट इंडियन किसे माना जाएगा? (Who is Resident Indian)

इसके लिए दो आधार तय किए गए हैं। पहला यह कि व्यक्ति ने संबंधित वित्त वर्ष में 182 दिन या उससे अधिक भारत में बिताए हों। दूसरा यह कि यदि किसी व्यक्ति ने पिछले चार वित्तीय वर्षों में कुल 365 दिन और वर्तमान वर्ष में कम से कम 60 दिन भारत में उपस्थिति दर्ज की है, तो भी उसे Resident Indian (निवासी भारतीय) माना जाएगा। यही नियम हिंदू अविभाजित परिवार (HUF), फर्म और एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स (AOP) पर भी लागू होता है, बशर्ते उनके प्रबंधन और संचालन का नियंत्रण भारत के बाहर न हो। एक भारतीय कंपनी या वह कंपनी जिसका प्रभावी मैनेजमेंट भारत में है, वह भी Resident मानी जाएगी।
3. फॉरेन एसेट्स और फॉरेन इनकम में किन-किन चीजों को शामिल किया जाता है?

CBDT के मुताबिक, विदेशी जमा खाते (Depository Account), कस्टोडियन अकाउंट, विदेशी बैंक अकाउंट, कैश वैल्यू इंश्योरेंस कॉन्ट्रैक्ट, एन्युटी कॉन्ट्रैक्ट, विदेशी शेयर, डिबेंचर, बॉन्ड, ESOP या किसी विदेशी कंपनी में हिस्सेदारी इनमें आते हैं। वहीं विदेशी आय में वेतन, किराया, पेशेवर आमदनी, व्यापार लाभ, पूंजीगत लाभ, ब्याज, डिविडेंड, रॉयल्टी, तकनीकी सेवा फीस, और रिडेम्पशन जैसी कमाई शामिल होती है। जहां भी टैक्सपेयर मालिक या लाभार्थी हो, वह सब फॉरेन एसेट माना जाता है।
4. विदेशी संपत्ति कहां और किस फॉर्म से डिस्क्लोज करें? (Where to disclose foreign assets)

इसके लिए सबसे पहले सही आईटीआर फॉर्म (ITR Form) चुनना जरूरी है। क्योंकि ITR-1 और ITR-4 में विदेशी संपत्ति की रिपोर्टिंग का सेक्शन उपलब्ध नहीं है। जिन टैक्सदाताओं के पास विदेशी संपत्ति या आय है, उन्हें ऐसे फॉर्म चुनने होंगे जिनमें शेड्यूल एफए (Schedule FA), शेड्यूल एफएसआई (Schedule FSI) और शेड्यूल टीआर (Schedule TR) उपलब्ध हों, ताकि वे डिटेल्स भर सकें।

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5. विदेशी संपत्ति कब डिस्क्लोज करनी चाहिए? (When to disclose)

विदेशी संपत्ति और विदेशी आय की जानकारी रिटर्न दाखिल करते समय, आयकर अधिनियम की धारा 139(1), 139(4) और 139(5) के अनुसार, निर्धारित समय-सीमा से पहले देनी होती है। यानी ITR फाइल करते समय ही सारी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय जानकारी दर्ज होनी चाहिए।
6. विदेशी संपत्ति ITR में कैसे दिखाई जाती है?

शेड्यूल एफए (Schedule FA ) में फॉरेन एसेट जानकारी डाली जाती है, शेड्यूल एफएसआई (Schedule FSI) में विदेश में प्राप्त आय और उस पर टैक्स की स्थिति बताई जाती है और शेड्यूल टीआर (Schedule TR) में विदेशी टैक्स पर मिलने वाली राहत का ब्यौरा दिया जाता है। यदि किसी व्यक्ति को डबल टैक्सेशन से राहत चाहिए तो Form-67 भरना भी अनिवार्य हो जाता है।
7. विदेशी संपत्ति कैसे डिस्क्लोज करें? (How to dsclose)

टैक्सपेयर को अपनी विदेशी संपत्तियों की पूरी जानकारी जैसे देश, पता, एसेट का प्रकार, खरीदी की तारीख, वर्तमान मूल्य और उससे जुड़ी आय इकट्ठा करनी होती है। इसी तरह विदेशी आय के स्रोत, टैक्स कटौती या भुगतान की जानकारी भी संकलित करनी पड़ती है। फिर आईटीआर के शेड्यूल में इन्हें भरकर Form-67 के माध्यम से डबल टैक्स एवॉइडेंस एग्रीमेंट (Double Tax Avoidance Agreement) का लाभ लिया जा सकता है। विभाग ने वेबसाइट पर स्टेप-बाय-स्टेप गाइड भी उपलब्ध कराई है।
8. अगर ड्यू डेट से पहले आईटीआर नहीं भरा गया तो क्या करें?

अगर आटीआर समय पर नहीं भरा गया हो, तो भी विदेशी संपत्ति की घोषणा से छूट नहीं मिलती। रिकॉर्ड के अनुसार एसेसमेंट ईयर (AY 2025-26) के लिए रिटर्न देरी से 31 दिसंबर 2025 तक भरा जा सकता है, लेकिन फॉरेन एसेट्स फिर भी डिक्लेयर करनी ही होंगी। यह डेडलाइन के बावजूद अनिवार्य है।
9. अगर किसी ने ITR तो भर दिया,लेकिन फॉरेन एसेट्स डिस्क्लोज नहीं तो?

ऐसे में सुधार का विकल्प भी मौजूद है। टैक्सपेयर रिवाइज्ड रिटर्न (Revised Return) भरकर यह गलती सुधार सकता है। रिवाइज्ड रिटर्न भरते समय सही फॉर्म चुनना जरूरी है ताकि Schedule FA, FSI और TR जोड़े जा सकें और जानकारी पूरी तरह सम्मिलित हो।
10. फॉरेन एसेट्स और इनकम डिस्क्लोज करने के क्या फायदे हैं?

विदेशी संपत्ति घोषित करने का फायदा भी बड़ा है। ऐसा करने से व्यक्ति ब्लैक मनी कानून के दायरे में आने वाली सजा और पेनल्टी से बच सकता है। इसके अलावा विदेश में चुकाए गए टैक्स पर Double Tax Relief भी मिल जाता है, और टैक्स अनुपालन साफ-सुथरा रहता है, जिससे भविष्य में कोई कानूनी परेशानी नहीं होती।
11. और अगर किसी ने फॉरेन एसेट्स घोषित नहीं किए तो?

अगर कोई व्यक्ति विदेशी संपत्तियां या इनकम छिपाता है, तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं। कानून के अनुसार ब्लैक मनी एक्ट 2015 के तहत भारी पेनल्टी लग सकती है, Prosecution तक हो सकता है। यदि विदेशी संपत्ति (गैर-अचल संपत्ति) का कुल मूल्य 20 लाख रुपए से अधिक है, और उसे घोषित नहीं किया गया, तो 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। गलत या inacurate furnishing पर भी कार्रवाई की संभावना रहती है और रिटर्न न भरने पर कानूनी कदम उठाए जा सकते हैं।
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