deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

होटल का चेक-इन का समय दोपहर के 12 बजे क्यों होता है? ज्यादातर लोग नहीं जानते होंगे अंदर की बात

deltin33 2025-11-27 20:37:38 views 136

  

क्यों होटल में सुबह के समय नहीं होता चेक-इन? (Picture Courtesy: Freepik)



लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अगर आपने कभी होटल में स्टे किया है, तो आपने गौर किया होगा कि चेक-इन का समय आमतौर पर दोपहर 12 बजे से 2 बजे (Hotel Check-In Timing) के बीच होता है। सुबह जल्दी पहुंचने पर अक्सर कहा जाता है कि ‘रूम तैयार नहीं है।’ यह सुनने में अटपटा लग सकता है।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

ऐसा भी लग सकता है कि होटल सिर्फ अपनी सुविधा के लिए ये समय तय करते हैं, लेकिन असल में इसके पीछे होटल के पूरे ऑपरेशन की स्मूद फंक्शनिंग छिपी हुई है। इन वजहों को जानकर आप समझ जाएंगे कि क्यों होटल रूम में चेक-इन अक्सर 12 बजे या उसके बाद होता है। आइए जानें क्या हैं इसके पीछे की वजहें।  
हाउसकीपिंग को कमरे री-सेट करने का समय चाहिए

सबसे बड़ा कारण है कमरों की सफाई और तैयारी। ज्यादातर गेस्ट चेक-आउट सुबह 10 से 11 बजे के बीच करते हैं। उनके जाने के बाद हाउसकीपिंग टीम की ड्यूटी शुरू होती है। यह सिर्फ झाड़ू-पोछे का काम नहीं होता। हर कमरे को पूरी तरह सैनिटाइज किया जाता है, बिस्तर बदले जाते हैं, बाथरूम को अच्छी तरह साफ किया जाता है, और सभी जरूरी सामान जैसे तौलिए, साबुन, शैंपू वगैरह रीफिल किए जाते हैं। एक बड़े होटल में सैकड़ों कमरों की यह प्रक्रिया कई घंटे लेती है। दोपहर 12 से 2 बजे का समय हाउसकीपिंग को बिना जल्दबाजी के हर कमरे को अगले मेहमान के लिए परफेक्ट कंडीशन में तैयार करने का मौका देता है।

  

(Picture Courtesy: Freepik)
ऑपरेशन्स की फंक्शनिंग के लिए एक समान समय जरूरी है

होटल एक मशीन की तरह होते हैं, जहां हर डिपार्टमेंट को एक-दूसरे के साथ तालमेल बिठाकर चलना पड़ता है। एक फिक्स्ड चेक-इन टाइम होने से फ्रंट-डेस्क, हाउसकीपिंग और मैनेजमेंट सभी के लिए प्लानिंग करना आसान हो जाता है। फ्रंट-डेस्क स्टाफ को पता होता है कि गेस्ट्स की भीड़ कब आने वाली है, हाउसकीपिंग अपनी शिफ्ट के हिसाब से कमरे तैयार कर सकती है और सुपरवाइजर रूम रेडीनेस की जांच कर पाते हैं। यह कन्फ्यूजन कम करती है और हर गेस्ट को एक स्टैंडर्ड सर्विस देने में मदद करती है।
मरम्मत और गुणवत्ता जांच के लिए समय मिलता है

सफाई के अलावा, कमरों को मेन्टेनेंस और क्वालिटी चेक की भी जरूरत होती है। हो सकता है कोई बल्ब फ्यूज हो गया हो, एसी ठीक से काम न कर रहा हो, नल टपक रहा हो या कोई और छोटी-मोटी खराबी हो। चेक-आउट और चेक-इन के बीच का यह गैप मेंटेनेंस टीम को इन समस्याओं को ठीक करने का मौका देता है। साथ ही, सुपरवाइजर या इंस्पेक्टर हर कमरे का मुआयना करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सब कुछ होटल के स्टैंडर्ड पर खरा उतरता है। इससे गेस्ट्स को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।
अर्ली चेक-इन से काम का फ्लो बिगड़ सकता है

अगर होटल हर किसी को अर्ली चेक-इन की अनुमति देने लगे, तो पूरे दिन का शेड्यूल चौपट हो जाएगा। हाउसकीपिंग स्टाफ पर एक साथ कई कमरे तैयार करने का दबाव आ जाएगा, जिसके कारण सफाई और तैयारी में कोताही हो सकती है। नतीजा यह होगा कि नए मेहमान को ऐसा कमरा मिलेगा जो पूरी तरह से साफ या ठीक नहीं है, जिससे उनका अनुभव खराब होगा। फिक्स्ड चेक-इन टाइम होटल को एक व्यवस्थित और मैनेजेबल वर्कफ्लो बनाए रखने में मदद करता है।

  

(Picture Courtesy: Freepik)
दोपहर का चेक-इन होटल की ऑक्यूपेंसी रेट को बेहतर बनाता है

होटल का बिजनेस ही है कि वह अपने कमरों को भरकर रखे। दोपहर में चेक-इन का समय होटल को यह पहले से अनुमान लगाने में मदद करता है कि एक निश्चित समय पर बड़ी संख्या में कमरे एक साथ उपलब्ध होंगे। इससे फ्रंट-डेस्क स्टाफ गेस्ट्स के आने के फ्लो को आसानी से हैंडल कर पाता है और बॉटलनेक की स्थिति पैदा नहीं होती। यह एक स्मूद और ऑर्गनाइज्ड चेक-इन एक्सपीरियंस देने का एक जरिया है।
यह भी पढ़ें- 40% इंडियन ट्रैवलर्स होटल से उठा लाते हैं शैंपू-साबुन, सर्वे में सामने आईं सफर से जुड़ी अतरंगी आदतें   
यह भी पढ़ें- जमीन से 1300 फीट नीचे बसा है World’s Deepest Hotel, मिलता है अंडरग्राउंड एडवेंचर का पूरा मजा
like (0)
deltin33administrator

Post a reply

loginto write comments
deltin33

He hasn't introduced himself yet.

610K

Threads

0

Posts

1910K

Credits

administrator

Credits
190138