महालेखाकार कार्यालय में चल रहा ऑडिट सप्ताह। फोटो-सोशल
राज्य ब्यूरो, रांची। रांची स्थित महालेखाकार कार्यालय में ऑडिट सप्ताह चल रहा है। बुधवार को प्रधान महालेखाकार (ऑडिट) की अध्यक्षता में स्वायत्त संस्थाओं के साथ समन्वय, वार्षिक खातों की समयबद्ध तैयारी, प्रस्तुति तथा आडिट सुनिश्चित कराने को लेकर बैठक आयोजित की गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसी बैठक में यह गंभीर तथ्य सामने आया कि झारखंड सरकार के अधीन कई स्वायत्त संस्थाओं ने वर्षों से अपने वार्षिक खातों की जानकारी महालेखाकार कार्यालय को उपलब्ध नहीं कराया है।
कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार कांके स्थित रिनपास ने अपनी स्थापना से अब तक वार्षिक खाता प्रस्तुत नहीं किए हैं। झारखंड हाउसिंग बोर्ड ने पिछले 23 वर्षों से अपने खातों की जानकारी साझा नहीं की है।
प्रधान महालेखाकार (ऑडिट) इंदु अग्रवाल ने बताया कि कई महत्वपूर्ण संस्थाओं ने लंबे समय से अपने खाते तैयार नहीं किए, जिससे न केवल ऑडिट प्रक्रिया बाधित होती है बल्कि राज्य की वित्तीय पारदर्शिता पर भी प्रश्नचिह्न लगता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब सभी स्वायत्त संस्थाओं के लिए वार्षिक खाते तैयार करना और महालेखाकार कार्यालय को प्रस्तुत करना अनिवार्य कर दिया गया है।
पीएजी ने कहा कि खातों का ब्योरा नहीं होने से राज्य की वित्तीय व्यवस्था प्रभावित होती है और जवाबदेही सुनिश्चित नहीं हो पाती। उन्होंने बताया कि महालेखाकार कार्यालय में पांच प्रमुख संस्थाओं को बुलाकर खातों की जानकारी, प्रस्तुति और आडिट अनुपालन को लेकर विशेष जानकारी दी जा रही है।
बुधवार की बैठक में स्टेट हाईवे अथारिटी आफ झारखंड, झारखंड स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी, बाबा बैजनाथ–बासुकीनाथ श्राइन एरिया डेवलपमेंट अथारिटी, झारखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण तथा राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) शामिल हुए।
महालेखाकार कार्यालय ने बताया कि झारखंड में कुल 35 स्वायत्त संस्थाएं पंजीकृत हैं। जिसमें सभी जिलों की डीएमएफटी फंड और 11 अन्य सरकारी स्वायत संस्थाएं शामिल हैं। आने वाले दिनों में सभी संस्थाओं को एक-एक कर बुलाया जाएगा और उन्हें अपने लंबित वार्षिक खातों की तैयारी व प्रस्तुतिकरण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए जाएंगे।
नियमानुसार प्रत्येक वित्तीय वर्ष की समाप्ति के छह माह बाद स्वायत्त संस्थाओं को अपना लेखा-जोखा महालेखाकार कार्यालय को भेजा जाना है। यानी सिंतबर से अक्टूबर तक सभी को आय-ब्यय का ब्योरा देना होता है, ताकि आडिट की जा सके। |