संवाद सहयोगी, हरलाखी (मधुबनी) । सात दिवसीय श्रीराम-सीता विवाहोत्सव के अंतिम दिन बुधवार को जनकपुरधाम में सबकी आंखें नम थीं। जनक नंदिनी माता सीता की विदाई पर हर आंखों में आंसू थे। महिलाएं विदाई गीत गाते हुए श्रीराम व जानकी को विवाह की शुभकामनाएं दे रही थीं। उनके गीतों में जानकी से बिछड़ने का गम था तो राम को दामाद के रूप में पाने की खुशी भी थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
भोजन की परंपरा निभाई गई
चलु चलु आहे सीता अवध नगरिया... बिसरू जनकपुरधाम हे..., बड़ रे जतन स हम सिया धिया पोसनउ...सेहो धिया रघुवंशी लेने जाय...इन पारंपरिक विदाई गीत को गाते हुए मैथिलानियों की आंखें नम थीं। विवाह के अगले दिन मर्याद भोजन की परंपरा निभाई गई।
प्रभु श्रीराम संग तीनों भाई, राजा दशरथ एवं बरात में शामिल साधु संतों को भतखई कराई गई। भोजन में भात-दाल, कई प्रकार की सब्जियों के साथ कढ़ी-बड़ी, अदौरी, तिसियौरी, तिलकोर, खमहाउर का तरुआ, पापड़, आचार, मिठाई, दही सहित कई प्रकार के अन्य व्यंजन परोसे गए।
भोजन के क्रम में मैथिलानियों ने खूब हंसी ठिठोली भी की। सबसे पहले चारों भाइयों को भोजन परोसा गया। भगवान भोजन नहीं कर रहे थे। मिथिला की परंपरा के अनुसार राजा जनक के रूप में जानकी मंदिर के महंत राम तपेश्वर दास ने भगवान राम को मनाया और उन्हें भोजन कराया।
कर्मियों ने भगवान के जूठन को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं के बीच वितरण किया। रामकलेवा के दौरान मिथिला परंपरा के अनुसार विदाई की सभी रस्में निभाई गईं। समधी सहित सभी बरातियों को अंगवस्त्र, कमंडल, चादर व दक्षिणा देकर विदा किया गया। पूरा कार्यक्रम जानकी मंदिर में उत्तराधिकारी महंत राम रोशन दास की अगुवाई में संपन्न हुआ।
नगरपालिका के सफाई कर्मियों को किया पुरस्कृत
रामकलेवा के उपरांत नगरपालिका के सभी सफाई कर्मियों को जानकी मंदिर का प्रतीक चिह्न देकर पुरस्कृत किया गया। इस दौरान नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री बिमलेंद्र निधि, महंत राम तपेश्वर दास, उत्तराधिकारी महंत राम रोशन दास व वार्ड अध्यक्ष मिथिलेश कर्ण सहित कई गणमान्य लोग व साधु संत मौजूद थे। |