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Bihar: स्‍कॉर्पियो के चक्‍कर में बुरे फंसे उत्‍पाद विभाग के अधिकारी, हो गई बड़ी कार्रवाई

Chikheang 2025-11-27 02:19:54 views 851

  

आर्थिक अपराध ईकाई (EOU) थाने में केस दर्ज। सांकेत‍िक तस्‍वीर  



राज्य ब्यूरो, पटना। Liquor Ban:  शराब के साथ पकड़ी गई चोरी की स्कार्पियो को बिना जांच किए नीलाम करने के मामले में गाेपालगंज के तत्कालीन उत्पाद अधीक्षक राकेश कुमार पर आर्थिक अपराध ईकाई (EOU) थाने में केस दर्ज किया गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पटना हाईकाेर्ट (Patna High court) के आदेश के बाद यह कार्रवाई की गई है। इस मामले में गाड़ी काे गाेपालगंज के सिधवलिया थाना से नीलामी में लेने वाले रियाजुल आलम के अलावा नीलामी समिति के सदस्य व अन्य पर भी ईओयू में केस दर्ज किया गया है।
पांच वर्ष पुराना है मामला

ईओयू के इंस्पेक्टर संताेष कुमार काे इस केस का अनुसंधान पदाधिकारी बनाया गया है। यह मामला पांच साल पुराना है। जानकारी के अनुसार, स्कार्पियो जेएच 01 सीजे-7840 छह साल पहले राेहतास के दीनारा थाना के भगीरथा गांव से चाेरी हुई थी।

स्काॅर्पियो वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय (VKSU) के ड्राइवर राधेश्याम सिंह की है, जिसे एसबीआइ काेचस शाखा में किराये पर दिया गया था।

गाड़ी चोरी की प्राथमिकी दिनारा थाना में 27 दिसंबर 2019 काे दर्ज कराई थी। चाेराें ने इस गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर बदल दिया और शराब तस्करी करने लगे।

गाेपालगंज पुलिस ने इस गाड़ी काे 19 जून 2020 काे शराब के साथ पकड़ा और जब्त कर लिया। इसके बाद 27 दिसंबर 2021 काे इस गाड़ी काे चार लाख 25 हजार में नीलाम कर दिया गया।
भ्रामक याचिका दाखिल करने पर 25 हजार रुपये का जुर्माना

विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट ने निराधार और भ्रामक याचिका दाखिल करने पर सख्त रुख अपनाते हुए याचिकाकर्ता कमलेश कुमार सिंह पर 25 हजार रुपये का दंड लगाया।

न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद और न्यायाधीश सौरेंद्र पांडेय की खंडपीठ ने स्पष्ट कहा कि अदालत का बहुमूल्य समय ऐसे मामलों पर बर्बाद नहीं किया जा सकता, जिनमें न तथ्यों का आधार हो और न ही कोई वास्तविक कानूनी त्रुटि।

पीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता न तो विवादित भूमि की प्रकृति, स्थिति या स्वामित्व के बारे में कोई ठोस जानकारी प्रस्तुत कर सका और न ही पूर्व आदेश में किसी त्रुटि का संकेत दे सका।

कोर्ट ने टिप्पणी की कि बिना पर्याप्त तथ्यों के समीक्षा याचिका दायर करना न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग के समान है।अदालत ने जुर्माने की राशि एक माह के भीतर पटना हाई कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी में जमा करने का निर्देश दिया और चेतावनी दी कि पालन न करने पर राशि विधि अनुसार वसूल की जाएगी।
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