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बांग्लादेशी बाउंसर की गिरफ्तारी के बाद निजी सुरक्षा एजेंसियों पर टेढ़ी नजर, सत्यापन तक नहीं करवाते लोग

Chikheang Half hour(s) ago views 95

  

सीमाओं पर चेकिंग करती पुलिस l जागरण



सोबन सिंह गुसांई, देहरादून। बांग्लादेशी बाउंसर की गिरफ्तारी के बाद राजधानी में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। शहर के एक क्लब में बतौर बाउंसर काम कर रहे बांग्लादेशी नागरिक ममून हसन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दो साल से देहरादून में रह रहा था। इस दौरान बांग्लादेशी की पहचान व पृष्ठभूमि से जुड़ी कोई भी जानकारी क्लब प्रबंधन या सुरक्षा एजेंसियों के पास उपलब्ध नहीं थी। ऐसे में अब सुरक्षा गार्ड, बाउंसर व गाडीगार्ड प्रदान करने वाली प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसियों पर पुलिस की टेढ़ी नजर है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

मौजूदा समय में बार एवं क्लबों में बाउंसरों का चलन तेजी से बढ़ा है। बार व क्लबों में शराब पीकर मारपीट के मामले बढ़ने के चलते विवाद को संभालने के लिए बाउंसर रखे जाते हैं। इन्हें रखने के लिए कोई पैमाना नहीं रखा हुआ है, केवल हुस्ट-पुष्ट शरीर देख उसे बाउंसर के लिए चयनित किया जाता है, इस दौरान उसकी पृष्ठभूमि तक नहीं देखी जाती। सूत्रों की मानें तो बार एवं क्लबों में काम कर रहे कई बाउंसरों का सत्यापन तक नहीं किया गया है।

रीना ने बांग्लादेशी को किया था हिंदी भाषा के लिए ट्रेंड
बांग्लादेशी ममून हसन को रीना चौहान ने हिंदी में ट्रेंड किया था। दो साल पहले ममून जब देहरादून पहुंचा तो रीना ने उसे गुप्त तरीके से अलग-अलग जगह रखा, इस दौरान उसे हिंदी बोलने व चाल चलन के लिए ट्रेंड करती रही। ममून जब यहां की चालढाल सीख गया तो उसने क्लब में नौकरी के लिए आवदेन किया।

शरीर हुस्ट पुस्ट व दस्तावेजों को देख क्लब संचालक ने उसे नौकरी पर रख लिया। जबकि उसका सत्यापन नहीं कराया। यदि उसका उसी समय सत्यापन किया जाता तो वह तभी पकड़ में आ सकता था। पुलिस अब इस बात की जानकारी भी जुटा रही है कि बांग्लादेशी का रीना से शादी करने व देहरादून में रहने के पीछे उद्देश्य क्या था। आरोपित के आपराधिक इतिहास की भी जानकारी जुटाई जा रही है।

यह है नियम
प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी (रेगुलेशन) एक्ट (पसारा) लाइसेंस है, भारत में निजी सुरक्षा सेवाएं (जैसे सुरक्षा गार्ड, बाउंसर, बाडीगार्ड) प्रदान करने वाली एजेंसियों के लिए एक कानूनी लाइसेंस है। यह लाइसेंस भारत सरकार की ओर से निजी सुरक्षा उद्योग को नियंत्रित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए जारी किया जाता है कि सुरक्षा सेवाएं प्रदान करने वाली एजेंसियां नियमों का पालन कर रही हैं और उनके कर्मचारी अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं। इस लाइसेंस के बिना कोई भी निजी सुरक्षा एजेंसी नहीं चला सकता है।



निजी सुरक्षागार्ड तो प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी की ओर से प्रदान किए जाते हैं, लेकिन बाउंसर के लिए कोई नियम कानून नहीं है। बांग्लादेशी नागरिक की गिरफ्तारी के बाद अब बार-क्लबों में तैनात बाउंसरों के बारे में पूरी जानकारी जुटाई जा रही है। वहीं प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसियों को भी एक्ट के तहत ही कार्य करने को कहा गया है।
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- अजय सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक
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