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श्रीराम जन्मभूमि शिखर पर लहराया सनातन का गौरव पताका..., जानें कहां और किसने बनाया दिव्य ध्वज

deltin33 2025-11-26 05:36:09 views 487

  

आयुध पैराशूट निर्माणी, कानपुर में बनी श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य शिखर पर फहरायी गई धर्म ध्वजा। इंटरनेट मीडिया



जागरण संवाददाता, कानपुर। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, अयोध्या के मुख्य शिखर पर मंगलवार सनातन की गौरव पताका फहराई गई। पीएम नरेन्द्र मोदी की ओर से मंदिर के मुख्य शिखर पर फहराई गई केसरिया रंग में रंगे त्रिभुजाकार धर्म ध्वजा कानपुर स्थित आयुध पैराशूट निर्माणी (ओपीएफ) में बनाई गई है। डीपीएसयू ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड (जीआइएल) की इकाई ओपीएफ, कैंट में बनी यह धर्म ध्वजा 18 फीट लंबी और 9 फीट ऊंची त्रिभुजाकार आकार में है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  

ध्वजा पर कोविदार वृक्ष एवं सूर्य के अंदर ओम का प्रतीक चिह्न अंकित है। ओपीएफ की ओर से मुख्य शिखर के लिए 25 ध्वज और पूरक मंदिरों के लिए छह गुणा चार फीट के आकार के 100 ध्वज बनाकर दिए गए हैं। इस उपलब्धि को पाने के बाद हर आयुध कर्मचारी व कानपुरवासी गौरवान्वित है।

  

केसरिया रंग में रंगे धर्म ध्वजा में सूर्य का चिह्न अंकित है। सूर्य के मध्य में ओम लिखा है। साथ में कोविदार का भी चित्र है। 161 फीट ऊंचे शिखर पर 30 फीट का ध्वजदंड है। धरती से 191 फीट की ऊंचाई पर इसे फहराया गया है। केसरिया रंग का यह विशेष ध्वज सिर्फ धार्मिक प्रतीक नहीं है। इसमें अयोध्या के इतिहास, सूर्यवंश की परंपरा और रामायण की गहराई छिपी है।

  

यह धर्म ध्वजा विशेष नायलान का कपड़ा कृत्रिम सिंथेटिक पालीमर से निर्मित है जो काफी मजबूत और टिकाऊ है। पैराशूट फैब्रिक धूप, वर्षा और तेज हवा में भी सुरक्षित रहता है। इसे कपड़े की खासियत यह है कि ये मजबूत तो रहता ही है साथ ही इसमें लोच नहीं आता है और हल्का रहता है। जानकार बताते हैं कि ध्वज पर सिंथेटिक परत लगे होने से नमी, गर्मी और तापमान में बदलाव का असर कम हो जाता है। दो किलोग्राम के वजन के ध्वज की आयु करीब तीन साल होगी।

  

स्टेनलेस स्टील कोर और सिंथेटिक नायलान फाइबर से बनी रस्सी को लगाया गया है। नायलान फैब्रिक से बना ध्वज 200 किमी प्रति घंटा की गति से चलने वाली हवा को झेल सकता है। पैराशूट डिजाइन में उपयोग किए जाने वाले पैनल और कपड़े तेज झोंके और एयर लोड से आने वाले दबाव को झेलने के लिए बने होते हैं। राम मंदिर के शिखर पर लगने वाला ध्वज इन्हीं बिंदुओं को दृष्टिगत रखते हुए सफलतापूर्वक तैयार किया गया है।

  
...इसलिए ध्वज पर अंकित किया गया सूर्य का चिह्न

राम मंदिर के मुख्य शिखर पर सुशोभित हो रही केसरिया रंग की धर्म ध्वजा पर भगवान सूर्य, ओम और काेविदार वृक्ष बना है। ये सूर्यवंश के प्रतीक माने जाते हैं। राम मंदिर के 161 फीट ऊंचे शिखर पर 42 फीट का एक बड़ा स्तंभ लगाया गया है। इसी पर 18 फीट लंबी और 9 फीट ऊंची केसरिया ध्वजा का आरोहण किया गया है। सनातन की गौरव पताका चार किमी दूर से भी नजर आएगी।  

  
कोविदार वृक्ष का वाल्मीकि रामायण में मिलता है उल्लेख

वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड के एक प्रसंग में जब भरत श्रीराम को अयोध्या वापस लाने के लिए चित्रकूट पहुंचे थे, तब उनके रथ पर कोविदार वृक्ष अंकित ध्वज लगा था। लक्ष्मण ने दूर से ही इस ध्वज को देखकर अयोध्या की सेना की पहचान की थी। इसी आधार पर कोविदार को भी अयोध्या का राजवृक्ष माना जाता था। जैसे आज भारत राष्ट्रीय वृक्ष बरगद माना जाता है। इसलिए राम राज्य के प्रतीक ध्वज में कोविदार को फिर गौरवपूर्ण तरीके से शामिल किया गया है।  

  



श्रीराम मंदिर के मुख्य शिखर और पूरक मंदिरों के लिए धर्म ध्वजा बनाने के लिए कहा गया तो मन में काफी प्रसन्नता हुई। आयुध अफसरों और कर्मचारियों ने धर्म ध्वजा बनाकर एक बार फिर अपनी कार्य दक्षता दिखाई है जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण प्रभु श्रीराम के मंदिर के मुख्य शिखर पर फहरा रहा कानपुर का बना धर्म ध्वज है। ये जीआइएल के लिए बड़ी उपलब्धि है। राष्ट्र रक्षा समं यज्ञो के सूत्रवाक्य पर प्रतिष्ठित यह संगठन राष्ट्र के लिए हमेशा समर्पित है।
एमसी बालासुब्रमणियम, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, जीआइएल।  


  

  


अयोध्या, भगवान श्रीराम की जन्मभूमि आज एक बार फिर भक्ति और उत्साह से सराबोर हो उठी जब नव-निर्मित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर पवित्र ध्वजा का वंदन किया गया। यह क्षण केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाओं का उत्कर्ष था, जिसका साक्षी पूरा देश बना। यह पवित्र ध्वजा आयुध पैराशूट निर्माणी, कानपुर में आयुध कर्मियों द्वारा बनाई गई है। इतने पवित्र कार्य के लिए आयुध कर्मियों का चुना जाना यह किसी परम् सौभाग्य से कम नहीं हैं। इससे देश भर के सभी आयुध कर्मचारी अभिभूत है, आनंदित है।
योगेन्द्र सिंह चौहान, राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री, भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ।
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