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गुरु तेग बहादुर बलिदान दिवस: पंजाब को नहीं मिला कोई बड़ा प्रोजेक्ट

Chikheang 2025-11-25 21:06:57 views 861

  

श्री गुरु तेग बहादुर जी की 350वें बलिदान दिवस पर पहली बार कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं मिला पंजाब को।



इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। श्री गुरु तेग बहादुर साहिब के 350वें बलिदान दिवस को बेशक बहुत धूमधाम से मनाया जा रहा है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस बार जितने नगर कीर्तन निकले हैं वह कभी किसी शताब्दी, अर्द्ध शताब्दी के समारोहों के मौकों पर नहीं निकले लेकिन ऐसा भी पहली बार है कि इस बारे के समारोह केवल धूमधाम में ही खत्म हो जाएंगे। आने वाली पीढ़ियों को इससे कुछ हासिल होने वाला नहीं है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पंजाब सरकार ने श्री आनंदपुर साहिब में कई भव्य समारोह करवाए हैं, जिनमें लाइट एंड साउंड शो, ड्रोन शो, विधानसभा का विशेष सत्र आदि जिस पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं लेकिन समारोह खत्म होते ही ये सब भी खत्म हो जाएंगे। इनका आने वाली पीढ़ियों को क्या लाभ होगा? इसका आकलन करना मुश्किल नहीं है।

पंजाब में गुरुओं, महाराजाओं आदि की शताब्दियां मनाने का प्रचलन नया नहीं है लेकिन जब भी कोई बड़ी शताब्दी या अर्द्ध शताब्दी आई है उसे न केवल बड़े पैमाने पर मनाया गया है बल्कि कोई न कोई बड़ा प्रोजेक्ट पंजाब को मिला है। राज्य सभा के पूर्व सदस्य और अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन रहे त्रिलोचन सिंह ने बताया कि शताब्दियां मनाने का पहला अवसर 1966 में आया था जब गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व की त्रैताब्दी पटना साहिब में मनाई गई।

तब पंजाब उज्जवल सिंह सितंबर 1965 में पंजाब के राज्यपाल बने और उन्होंने 1966 में गुरु गोबिंद सिंह जी की त्रैशताब्दी और 1969 में गुरु नानक साहिब की 500 साला प्रकाश पर्व मनाने के लिए बैठक बुलाई। इसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री राम किशन, महाराजा पटियाला सहित तमाम धार्मिक नेता आदि शामिल हुए और दो फाउंडेशन गुरु गोबिंद सिंह फाउंडेशन चंडीगढ़ में और गुरु नानक देव फाउंडेशन दिल्ली में स्थापित की गई जिसके लिए महाराजा पटियाला ने 25-25 लाख रुपये दिए। पटना साहिब में यह त्रैशताब्दी बहुत धूम धाम से मनाई गई।

त्रिलोचन सिंह ने आगे बताया कि 1969 में गुरु नानक साहिब का 500 साला प्रकाश पर्व मनाया गया जिसमें पंजाब सरकार की ओर से गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर और गुरु नानक देव थर्मल प्लांट बठिंडा में लगाने का फैसला लिया गया। तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरि ने यूनिवर्सिटी का शिलान्यास किया। इसी अवसर पर यूनेस्को ने सिख शब्दों की एक किताब कई भाषाओं में प्रकाशित की।

गोइंदवाल साहिब में मनाई गुरु अमरदास जी की शताब्दी के अवसर पर ब्यास नदी पर पुल बनाया गया। 1999 में श्री आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की त्रैशताब्दी मनाई गई। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजेयपी ने इस अवसर पर बनने वाले विरासत-ए-खालसा के लिए 100 करोड़ रुपये देने की घोषणा की। आज यह एक बड़े पयर्टन स्थल के रूप में आने वाली पीढ़ियों को सांस्कृतिक विरासत से अवगत करवा रहा है।

2001 में महाराजा रंजीत सिंह के जन्मदिवस की दूसरी शताब्दी मनाई गई जिसमें अमृतसर के रामबाग में पेनोरमा तैयार किया गया और केंद्र सरकार ने इसके लिए दस करोड़ रुपये दिए।
2006 में गुरु अंगद देव जी के प्रकाशपर्व का 500 साला मनाया गया जिसमें तत्कालीन मुख्मयंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उनके नाम पर वेटरनरी यूनिवर्सिटी लुधियाना में बनाई। 2008 में गुरु गोबिंद सिंह जी की त्रैशताब्दी के मौके पर हजूर साहिब नादेंड की पूरी काया ही पलट दी गई। इस अवसर पर शहर पर 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हुआ जिसमें से 1000 करोड़ रुपये तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने दिए और 1000 करोड़ देश विदेश की सिख संगत ने दिया।

2019 में गुरु नानक देव जी के 550 साला प्रकाशोत्सव पर करतारपुर कारिडोर खुला जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। इससे पहले के शताब्दी समारोहों में गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, गुरु नानक देव थर्मल प्लांट, विरासत-ए-खालसा और करतारपुर कारिडोर जैसे बड़े प्रोजेक्ट मिले लेकन इस बार न तो केंद्र सरकार ने राज्य की ओर कोई हाथ बढ़ाया और न ही राज्य सरकार ने अपनी ओर से किसी बड़े प्रोजेक्ट की घोषणा की।
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