लेखा संवर्ग में उत्तर प्रदेश शासन की स्थानांतरण नीति की खुलेआम अवहेलना का सनसनीखेज मामला सामने आया है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के लेखा संवर्ग में उत्तर प्रदेश शासन की स्थानांतरण नीति की खुलेआम अवहेलना का सनसनीखेज मामला सामने आया है। सेवानिवृत्त लेखाकार ने प्रबंध निदेशक एवं चेयरमैन उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड को भेजे शिकायती पत्र में तीन कार्मिकों पर 15 से 21 वर्ष तक लगातार वाराणसी में ही जमे रहने और पदोन्नति के बाद भी उसी खंड में तैनाती का गंभीर आरोप लगाया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सेवानिवृत्त लेखाधिकारी के अनुसार शशि किरण मौर्या वर्ष 2004 से अब तक यानी पूरे 21 वर्ष से वाराणसी में ही तैनात हैं। सहायक लेखाकार से लेकर लेखाधिकारी तक सभी पदोन्नतियां वाराणसी में ही मिलीं। सात मई 2025 को उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के आदेश से सहायक लेखाधिकारी से लेखाधिकारी बने, फिर भी इन्हें वाराणसी से बाहर नहीं भेजा गया। उल्टे डिस्काम मुख्यालय ने पहले परिक्षेत्रीय लेखा कार्यालय, फिर विद्युत भंडार खंड और उसके बाद विद्युत कार्यशाला मंडल वाराणसी में अतिरिक्त प्रभार थमा दिया।
हैरानी की बात यह है कि विद्युत भंडार खंड में लेखाधिकारी का कोई स्वीकृत पद ही नहीं है, फिर भी इन्हीं से काम लिया जा रहा है जो लेखाकार के अधिकारों का हनन है। एक लेखाधिकारी अपने निम्न पद पर कार्य करे ये उनके लिए अत्यंत ही शर्मसार एवं निदेशक (वित्त) के कार्यशैली पर भी प्रश्न चिह्न है। इसी तरह कई अन्य लेखाकार को भी तीन ईकाईयों का अत्यंत महत्वपूर्ण प्रभार दिया गया है।
इस तरह के आदेश लेखा अनुभाग के लिए जांच का विषय है कि एक लेखाकार हफ्ते के छह दिवसीय कार्यदिवस में तीन ईकाईयों पर कार्य कैसे कर सकता है। इसी प्रकार एक महिला कर्मचारी को भी इस वर्तमान सत्र में वाराणसी जिले में ही विद्युत कार्यशाला मंडल में तैनाती दी गई। उक्त महिला का गृह जनपद भी वाराणसी है। साथ ही विगत 20 वर्षों से नगरीय विद्युत वितरण खंड चतुर्थ वाराणसी में ही कार्यरत रहीं।
अत: इस प्रकार के भेदभाव पूर्ण आदेश मुख्य अभियंता प्रशासन पर भी प्रश्नचिह्न है। इस आशय का पत्र उपमहाप्रबंधक (लेखा एवं संप्रेक्षा), अधीक्षण अभियंता कार्यशाला मंडल, अधीक्षण अभियंता विद्युत भंडार मंडल, अधीक्षण अभियंता प्रशासन एवं अधिशासी अभियंता (प्रशासन, मुख्य अभियंता वाराणसी क्षेत्र प्रथम) भेजा गया है।
अभी हमें शिकायती पत्र नहीं मिला है जैसे ही मिलता है उसकी जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। -
संतोष जाडिया, निदेशक वित्त, बिजली विभाग। |