सांकेतिक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। लोनी थाना क्षेत्र की एक कॉलोनी में 15 वर्षीय किशोरी के साथ नगर पालिका परिषद के पूर्व कर्मचारी द्वारा दुष्कर्म करने के मामले में विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) ने दीपिका तिवारी की अदालत में सुनवाई हुई। अदालत ने कर्मचारी 10 वर्ष की कारावास और 50 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। कर्मचारी के दुष्कर्म करने के बाद किशोरी ने एक बच्ची को जन्म दिया था। वर्तमान में जो बालिका गृह में रहती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
एक साल तक किया दुष्कर्म
शासकीय अधिवक्ता संजीव बखरवा ने बताया कि किशोरी की माता की मौत हो गई थी। उसके पिता ने दूसरी शादी की थी। किशोरी के माता-पिता ड्यूटी पर चले जाते थे। घर पर उसका छोटा एक भाई और एक बहन रहती थी। दोनों भाई-बहन स्कूल चले जाते थे। इस दौरान पड़ोस में रहने वाला युवक घर आकर किशोरी के साथ जबरन दुष्कर्म करता था। वह एक वर्ष से दुष्कर्म कर रहा था।
घटना के बारे में किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी देता था। दो नवंबर 2014 को किशोरी के पेट में दर्द हुआ। मां ने बेटी की जांच कराई तो पता चला कि वह छह माह की गर्भवती है। उन्होंने डॉक्टर से गर्भपात करने के लिए कहा, लेकिन डॉक्टर ने जान का खतरा बताते हुए गर्भपात करने से मना कर दिया। इसके बाद उसने माता-पिता को दुष्कर्म की घटना के बारे में बताया। पिता ने थाने में तहरीर दी।
पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर आरोपित का गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। पुलिस ने पीड़िता का मेडिकल कराया। पुलिस ने दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट में कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया। बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने पीड़िता को बालिग साबित करने की कोशिश की, लेकिन मेडिकल रिपोर्ट में पीड़िता बालिग साबित नहीं हो सकी।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि घटना के दौरान आरोपित नगर पालिका लोनी की सरकारी ड्यूटी पर तैनात रहता था। अदालत में यह दलील भी साबित नहीं हो सकी। अदालत ने सबूत और गवाहों के आधार पर युवक को दुष्कर्म व पॉक्सो एक्ट का दोषी करार दिया। अदालत ने दोषी को धारा-6, पॉक्सो अधिनियम के तहत 10 और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माना अदा नहीं करने पर दोषी को छह माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। जेल में बिताई गई अवधी सजा में समायोजित होगी। |