पहलगाम हमला, टैरिफ और प्राकृतिक आपदा... विजयादशमी रैली में मोहन भागवत ने क्या-क्या कहा?_deltin51

cy520520 2025-10-2 18:06:15 views 1262
  आरएसएस के विजयादशमी कार्यक्रम में मोहन भागवत।





डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) आज नागपुर में विजयादशमी उत्सव मना रहा है। इस बार संघ का विजयादशमी उत्सव खास है क्योंकि आरएसएस अपनी स्थापना का शताब्दी समारोह भी मना रहा है। इस दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने खास भाषण दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

उन्होंने कहा कि ये वर्ष श्री गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान का साढ़े तीन सौ वर्ष है, जिन्होंने अत्याचार, अन्याय और सांप्रदायिक भेदभाव से समाज को मुक्त करना के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया और समाज की रक्षा की। ऐसी एक विभूति का समरण इस वर्ष होगा। आज 2 अक्टूबर है तो स्वर्गीय महात्मा गांधी की जयंती है। स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका योगदान अविस्मरणीय है। लेकिन स्वतंत्रता के बाद भारत कैसा हो उसके बारे में विचार देने वाले हमारे उस समय के दार्शनिक नेता स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री की आज जयंती है। भक्ति, देश सेवा के वह उत्तम उदाहरण हैं।

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आरएसएस प्रमुख भागवत के भाषण की बड़ी बातें

  • संघ प्रमुख ने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में सीमापार से आये आतंकवादियों के हमले में 26 भारतीय यात्री नागरिकों की उनका हिन्दू धर्म पूछ कर हत्या कर दी गई। संपूर्ण भारतवर्ष में नागरिकों में दु:ख और क्रोध की ज्वाला भड़की। भारत सरकार ने योजना बनाकर मई मास में इसका पुरजोर उत्तर दिया। इस सब कालावधि में देश के नेतृत्व की दृढ़ता तथा हमारी सेना के पराक्रम तथा युद्ध कौशल के साथ-साथ ही समाज की दृढ़ता व एकता का सुखद दृश्य हमने देखा।
  • उन्होंने यह भी कहा कि प्राकृतिक आपदाएं बढ़ गई हैं। भूस्खलन और लगातार बारिश आम बात हो गई है। यह सिलसिला पिछले 3-4 सालों से देखा जा रहा है। हिमालय हमारी सुरक्षा दीवार है और पूरे दक्षिण एशिया के लिए जल का स्रोत है। अगर विकास के मौजूदा तरीके इन आपदाओं को बढ़ावा देते हैं, जो हम देख रहे हैं, तो हमें अपने फैसलों पर पुनर्विचार करना होगा। हिमालय की वर्तमान स्थिति खतरे की घंटी बजा रही है।
  • आरएसएस प्रमुख ने कहा कि हमें अपनी समग्र व एकात्म दृष्टि के आधार पर अपना विकास पथ बनाकर, विश्व के सामने एक यशस्वी उदाहरण रखना पड़ेगा। अर्थ व काम के पीछे अंधी होकर भाग रही दुनिया को पूजा व रीति रिवाजों के परे, सबको जोड़ने वाले, सबको साथ में लेकर चलने वाले, सबकी एक साथ उन्नति करने वाले धर्म का मार्ग दिखाना ही होगा।
  • सरसंघचालक ने कहा कि अपने देश में सर्वत्र तथा विशेषकर नई पीढ़ी में देशभक्ति की भावना अपने संस्कृति के प्रति आस्था व विश्वास का प्रमाण निरंतर बढ़ रहा है। संघ के स्वयंसेवकों सहित समाज में चल रही विविध धार्मिक, सामाजिक संस्थाएं तथा व्यक्ति समाज के अभावग्रस्त वर्गों की नि:स्वार्थ सेवा करने के लिए अधिकाधिक आगे आ रहे है और इन सब बातों के कारण समाज का स्वयं सक्षम होना और स्वयं की पहल से अपने सामने की समस्याओं का समाधान करना व अभावों की पूर्ति करना बढ़ा है। संघ के स्वयंसेवकों का यह अनुभव है कि संघ और समाज के कार्यों में प्रत्यक्ष सहभागी होने की इच्छा समाज में बढ़ रही है।
  • उन्होंने कहा कि गत वर्षों में हमारे पड़ोसी देशों में बहुत उथल-पुथल मची है। श्रीलंका में, बांग्लादेश में और हाल ही में नेपाल में जिस प्रकार जन-आक्रोश का हिंसक उद्रेक होकर सत्ता का परिवर्तन हुआ वह हमारे लिए चिंताजनक है। अपने देश में तथा दुनिया में भी भारतवर्ष में इस प्रकार के उपद्रवों को चाहने वाली शक्तियां सक्रिय हैं।
  • मोहन भागवत ने कहा कि विश्व परस्पर निर्भरता पर जीता है। परंतु स्वयं आत्मनिर्भर होकर, विश्व जीवन की एकता को ध्यान में रखकर हम इस परस्पर निर्भरता को अपनी मजबूरी न बनने देते हुए अपने स्वेच्छा से जिएं, ऐसा हमको बनना पड़ेगा। स्वदेशी तथा स्वावलंबन को कोई पर्याय नहीं है।
  • महाकुंभ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि प्रयागराज में संपन्न महाकुंभ ने श्रद्धालुओं की सर्व भारतीय संख्या के साथ ही उत्तम व्यवस्थापन के भी सारे कीर्तिमान तोड़कर एक जागतिक विक्रम प्रस्थापित किया। संपूर्ण भारत में श्रद्धा व एकता की प्रचण्ड लहर जगायी।


(न्यूज एजेंसी पीटीआई और एएनआई के इनपुट के साथ)



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