क्रेडिट स्कोर समझने में गलती पड़ रही है भारी? 5 गलतफहमियों की वजह से लोग लोन से चूक रहे हैं।
Credit Score Myths and Truths: आजकल बैंक शाखाओं में आमतौर पर एक नजारा दिखाई देता है। पहली बार लोन लेने पहुंचे युवा प्रोफेशनल्स, जिन्हें लगता है कि अच्छी नौकरी और ठीक-ठाक सैलरी ही मंजूरी के लिए काफी है। लेकिन दस्तावेज चेक होने के कुछ मिनट बाद सुनने को मिलता है- \“आपका आवेदन रिजेक्ट हो गया है।\“ तब वे समझ भी नहीं पाते कि आखिर गलती कहां हुई? ZET की रिपोर्ट \“The Hidden Cost of Not Knowing\“ भी इसी हकीकत की ओर इशारा करती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
स्टडी बताती है कि ज्यादातर लोग अपने क्रेडिट स्कोर की अहमियत तब समझते हैं, जब किसी लोन या क्रेडिट कार्ड की एप्लीकेशन अचानक रिजेक्ट हो जाती है या उम्मीद से ज्यादा इंट्रेस्ट रेट बता दिया जाता है। यानी जागरूकता तब आती है, जब नुकसान हो चुका होता है। और यही देर कई बार लोगों के बड़े प्लान रोक देती है। अब सवाल यह है कि आखिर क्रेडिट स्कोर से जुड़े मिथक कौन-कौन से हैं, जिन्हें समझना बेहद जरूरी है। फाइनेंशियल सर्विस प्रोवाइड कराने वाली कंपनी ZET के को-फाउंडर और सीईओ मनीष शारा ने इस बारे हर एक डिटेल बताई। चलिए समझते हैंः
क्रेडिट स्कोर से जुड़े पांच मिथक कौन-कौन से हैं?
1. अपना क्रेडिट स्कोर चेक करने से स्कोर कम हो जाता है? (Does checking your credit score lower it?)
यह गलतफहमी सबसे आम है। अपना स्कोर (Credit Score) चेक करना सॉफ्ट इन्क्वायरी कहलाता है और इससे स्कोर पर कोई असर नहीं पड़ता। स्कोर सिर्फ तभी प्रभावित होता है, जब बैंक या NBFC हार्ड इन्क्वायरी करते हैं। इसलिए समय-समय पर स्कोर चेक करना जरूरी है, क्योंकि इससे आपके रिपोर्ट में मौजूद गलतियां जल्दी पकड़ में आ जाती हैं।
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2. कम इनकम या छोटी पोस्ट तय करता है क्रेडिट स्कोर? (Does low income or small post determine credit score?)
ये भी गलत है। क्रेडिट स्कोर आपकी कमाई नहीं, बल्कि क्रेडिट रिपेमेंट व्यवहार बताता है। आपने कितना लोन लिया, समय पर भुगतान किया या नहीं, वही इसका आधार है। कम आय वाला व्यक्ति भी समय पर पेमेंट करके बेहतरीन स्कोर बना सकता है, जबकि उच्च पद पर होने के बावजूद भुगतान में चूक होने पर स्कोर आसानी से गिर जाता है।
3. क्या पुराने क्रेडिट कार्ड बंद करने से स्कोर बढ़ता है? (Does closing old credit cards increase score?)
कई लोग मानते हैं कि कम कार्ड रखना बेहतर है, लेकिन हकीकत इसके उलट है। पुराने कार्ड आपकी क्रेडिट हिस्ट्री को लंबा बनाते हैं, जो स्कोर का एक अहम हिस्सा है। पुराने कार्ड बंद करने से आपकी कुल लिमिट कम हो जाती है, जिससे उपयोग अनुपात (क्रेडिट यूटिलाइजेशन) बढ़ जाता है और स्कोर गिर सकता है। इसलिए पुराने कार्ड को हल्के उपयोग के साथ सक्रिय रखना बेहतर है।
4. क्या सिर्फ मिनिमम ड्यू भरना काफी है? (Is just paying the minimum dues enough?)
मिनिमम ड्यू भरने से लेट फीस तो नहीं लगती, लेकिन यह क्रेडिट स्कोर को किसी भी तरह सुरक्षित नहीं रखता। बाकी बची रकम पर भारी ब्याज लगता है। अगर ये बकाया बढ़ता जाए तो बैंक इसे वित्तीय दबाव का संकेत मानते हैं। एक भी चूक स्कोर पर महीनों तक असर डाल सकती है, इसलिए पूरा भुगतान ही सबसे मजबूत संकेत है।
5. क्या बिना लोन लिए क्रेडिट स्कोर नहीं बढ़ सकता? (Can\“t credit score increase without taking a loan?)
यह धारणा भी अब पुरानी हो चुकी है। आज FD-backed क्रेडिट कार्ड आसानी से उपलब्ध हैं। इनमें आय का प्रमाण जरूरी नहीं होता और आप सुरक्षित तरीके से अपनी क्रेडिट यात्रा शुरू कर सकते हैं। ऐसे प्रोडक्ट नए उपयोगकर्ताओं को 750+ स्कोर बनाने में मदद करते हैं और तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।
जागरूकता अब पहले से ज्यादा जरूरी क्यों? (Why is awareness more important now than ever?)
क्योंकि, क्रेडिट स्कोर सिर्फ लोन नहीं, आपके आने वाले वर्षों के वित्तीय मौके तय करता है। सही जानकारी आपको डर से दूर रखती है और बेहतर निर्णय लेने में मदद करती है। अच्छी समझ होने पर न सिर्फ सस्ता लोन मिलता है, बल्कि लंबी अवधि में आर्थिक स्थिरता भी मजबूत होती है। क्रेडिट स्कोर की जानकारी की कमी ही अक्सर अच्छे अवसर और सही नतीजे के बीच सबसे बड़ी दीवार बनती है। एक जागरूक उपयोगकर्ता न सिर्फ मजबूत उधारकर्ता बनता है, बल्कि भारत के बढ़ते वित्तीय ढांचे का आत्मविश्वास से भरा हिस्सा भी बनता है।
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