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पाकिस्तान को घुटनों पर लाने वाली मिसाइल से नहीं हट रहीं नजरें, टैंक का यमदूत भी व्यापार मेला में लुभा रहा

LHC0088 2025-11-15 17:07:46 views 162

  



शशि ठाकुर, नई दिल्ली। लालकिला के सामने आतंकियों के कायराना धमाके के बाद से पाकिस्तान की सांसें फूली हुई हैं। उसे पता है कि भारत ने अपने देश में किसी भी आतंकी वारदात को एक्ट ऑफ वार माना है। साथ ही ऑपरेशन सिंदूर तो जारी ही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इस बीच, भारत मंडपम में शुक्रवार से शुरू हुए अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में प्रदर्शित पहले ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को घुटनों पर ला देने वाले मिसाइलें और हथियार दर्शकों के आकर्षण के केंद्र में है।

रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी) का भव्य और तकनीकी रूप से दमदार पैवेलियन पर प्रदर्शित विशालकाय व उन्नत भारतीय सेना के हथियारों से नजर हटती ही नहीं है। सभी उसके साथ सेल्फी लेने को लालयित दिखे।

  

डीआरडीओ व सैन्य कर्मी विस्तार से लोगों को उन हथियारों की खुबियों तथा उपलब्धियों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिसमें ‘आकाश-पी’ मिसाइल प्रमुख है। इसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के 25 किमी अंदर जाकर आतंकियों के ठिकानों को भेदा था।

वहीं, हवाई सुरक्षा प्रणाली में काउंटर मेजर्स डिस्पेंसिंग सिस्टम (सीएमडीएस) ने आगंतुकों को खासा प्रभावित किया। यह सिस्टम रडार और इन्फ्रारेड-निर्देशित मिसाइलों के खतरे को पहचानकर तुरंत चाफ और फ्लेयर्स छोड़ता है।

जिससे हमलावर मिसाइल अपना रास्ता बदल देती है। प्रदर्शनी में बताया गया कि यह तकनीक अब भारतीय विमानों के साथ टैंक, हेलीकाप्टर और अन्य सैन्य उपकरणों में भी शामिल करने की दिशा में विकसित की जा रही है, ताकि भारतीय रक्षा तंत्र और भी अचूक हो सके।

हेलीकाप्टर से दागी जाने वाली एंटी-टैंक मिसाइल ‘हैलिनास’ का भी प्रदर्शन किया गया। अपनी ‘टाॅप अटैक’ क्षमता के कारण इसे टैंकों का ‘यमदूत’ कहा गया।

  

ऊपर से सीधे कमजोर कवच पर प्रहार करने वाला यह मिसाइल सिस्टम युद्ध के समय बख्तरबंद वाहनों के लिए गंभीर चुनौती पेश करता है और विशेषज्ञों के मुताबिक यह भविष्य के युद्धों में भारत की निर्णायक ताकत बन सकता है।

डीआरडीओ की भविष्य में कई उभरती तकनीक मिसाइल को पेश किया। इनमें आकाश नेक्स्ट-जनरेशन मिसाइल, रूसी तकनीक पर आधारित 4 किलोमीटर रेंज वाली मिसाइल, युद्ध क्षेत्र में सैनिकों के लिए मैन-पोर्टेबल मिसाइल सिस्टम, ड्रोन से दागी जाने वाली जिशनु मिसाइल, एक साथ छह मिसाइल दागने वाली प्रणाली और नौसेना के लिए हेलीकॉप्टर आधारित एंटी-सबमरीन सिस्टम ‘वरुणास्त्र’ शामिल रही।

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