आपरेशन हार्नबिल: मौत की डोर से आजादी का सबसे लंबा रेस्क्यू (जागरण फोटो)
उमेश भार्गव, अंबाला। शांत सुबह में एक भयावह चीख ने हर दिल को दहला दिया था। यह किसी इंसान की नहीं, बल्कि एक धनेश पक्षी (हॉर्नबिल ) की थी, जो आसमान का गौरव होते हुए भी, बेबस होकर मौत के शिकंजे में फंसा था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
एक दो घंटे से नहीं बल्कि पिछले 24 घंटे से जो दर्द से मुक्ति पाने का प्रयास कर रहा था लेकिन चाह कर भी मुक्त नहीं हो पा रहा था। दरअसल शुक्रवार के दिन में शहर के रणजीत नगर में दलदल और फिसलन से भरे पेड़ के बीच एक हॉर्नबिल पक्षी चाइनीज मांझे की डोर से उलझकर सफेदे के सूखे पेड़ में बुरी तरह उलझ गया था।
इंसानियत जिंदा थी पक्षी की चीख सुनकर लोगों ने डायल 112 को फोन किया। सूचना दमकल विभाग के पास पहुंची। लेकिन शुक्रवार को दिन जैसे-तैसे यूं ही निकल गया। दमकल विभाग की टीम प्रयास के बाद लौट गई। पर हॉर्नबिल को मौत की डोर से छुटकारा नहीं मिला।
शनिवार को वंदेमातरम दल को मिली सूचना और शुरू हुआ नया रेस्क्यू
जैसे-तैसे किसी ने वंदेमातरम दल की टीम को सूचना दी। शनिवार दोपहर करीब दो बजे टीम घटनास्थल पर पहुंची। टीम में वन्य प्राणी निरीक्षक राकेश कुमार, वंदेमातरम दल से अध्यक्ष भरत, सौरभ, मनीष सब मौके पर पहुंचे। लेकिन कुछ पल के लिए ठिठक गए।
नीचे गहरी दलदल थी जो हर कदम पर मौत का अहसास करा रही थी और ऊपर 35 फीट की ऊंचाई । एक सीधा, पतला और एकदम सूखा पेड़। इसकी टहनियां भी बेहद कमजोर थी। जिस पर चढ़ना असंभव लग रहा था।
बढ़ रही थी घड़ी की सूइयां और तेज हाे रही थी हॉर्नबिल की चीख...
घड़ी की सूइयां आगे बढ़ रही थीं और हॉर्नबिल की चीख दर्ज से तेज होती जा रही थीं। मनीष ने पेड़ पर चढ़ने की हिम्मत जुटाई। पेड़ की फिसलन भरी छाल पर रस्सियां बार-बार फिसल रही थीं।
हर बार जब कोई बचाव कर्मी एक कदम आगे बढ़ाता, दलदल उसे वापस नीचे खींचने की कोशिश करती। हॉर्नबिल पक्षी की चीख लगातार दर्द में मदद की गुहार का अहसास करवा रही थी। उस पल, हर व्यक्ति यह मान चुका था कि शायद अब कुछ नहीं हो सकता।prayagraj-crime,Prayagraj crime news,child murder case Prayagraj,domestic violence Prayagraj,crime news today,Prayagraj local crime,Father kills son,Prayagraj News,Prayagraj Latest News,Prayagraj News in Hindi,Prayagraj Samachar,प्रयागराज समाचार,प्रयागराज अपराध समाचार,Uttar Pradesh news
हॉर्नबिल को हर हाल में बचाना है, बस मन में इस संकल्प ने भरी ऊर्जा
रुकना मत, इस हॉर्नबिल को हर हाल में जिंदा रहना है। यही संदेश टीम वंदेमातरम दल में एक नई ऊर्जा भर रहा था। चार घंटे बीत चुके और शनिवार शाम को साढ़े छह बज चुके थे। पसीना, मिट्टी और खून का मिश्रण वंदेमारतम दल की टीम के हाथों पर जमा हो चुका था।
दिल की धड़कनें तेज थीं, लेकिन हॉर्नबिल के लिए जीने की चाहत उससे भी तेज थी। नीचे, लोगों की भीड़ प्रार्थना कर रही थी, मानों वे किसी अपने के लिए दुआ मांग रहे हों। इसी उम्मीद और दुआओं के बीच, आखिरकार मनीष शाम करीब साढ़े छह बजे उस हॉर्नबिल तक पहुंचने में कामयाब हो गया।
मांझे के रेशों ने नस-नस को जकड़ रखा था...
मांझे के रेशों ने उसके पंखों की नस-नस को जकड़ लिया था। एक भी गलत हरकत, और पंख हमेशा के लिए खराब हो सकते थे। वंदेमातरम दल के अध्यक्ष भरत बताते हैं मनीष के हाथ कांप रहे थे, लेकिन मन में दृढ़ता थी।
धीरे-धीरे, अत्यंत सावधानी से, मनीष ने एक-एक करके चाइनीज मांझे की उस कातिल डोर को काटना शुरू किया और फिर वह अविस्मरणीय पल आया। जैसे ही मांझा टूटा, हॉर्नबिल ने अपने पंखों को आजाद महसूस किया। उसने एक जोरदार फड़फड़ाहट के साथ हवा में उड़ान भरी।
हॉर्नबिल की उड़ान से मनाया जश्न
वह उड़ान सिर्फ एक पक्षी की नहीं, बल्कि मानवता की जीत का जश्न थी। नीचे खड़े लोगों की आंखों में तेज व चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। बच्चों ने तालियां बजाईं और टीम वंदेमातरम दल मन को एक सुकून मिला कि आज हमने सिर्फ एक जान नहीं, बल्कि यह विश्वास बचाया कि अच्छाई और संवेदनशीलता आज भी दुनिया में मौजूद है।
चाइनीज मांझे पर कागजों में रोक लेकिन धड़ल्ले से हो रही बिक्री
चाइनीज डोर से मुक्ति के बाद हॉर्नबिल को टीम वंदे मातरम अपने साथ ले गई। उसे जख्मों पर मरहम लगाया और कटोरे में पानी रखा। वह करीब 200 ग्राम पानी थाेड़ा-थोड़ा कर वह पी गया। इसके बाद उसके केला और पपीता खिलाया गया। अगली सुबह रविवार को करीब 11 बजे टीम ने उसे खुले आसमान में छोड़ दिया।
भरत ने बताया कि चाइनीज मांझा एक खिलौना नहीं, बल्कि एक ऐसा हथियार है जो हर साल न जाने कितने बेजुबान पक्षियों और जानवरों की जान ले लेता है। जिला प्रशासन ने बेशक इसके प्रयोग और बिक्री पर रोक लगाई है लेकिन आज भी यह धड़ल्ले से हर पतंग की दुकान पर बिक रही है।
 |