5300 कंपनियां और 1200 स्टॉक ब्रोकर्स, शेयर बाजार में भुगतान से पहले सारथी एप पर जांच कर लें: सेबी चेयरमैन
नई दिल्ली| कोरोना काल के बाद बाजार ने लोगों को निवेश के लिए काफी आकर्षित किया। मात्र पांच साल में निवेशकों की संख्या में चार गुना इजाफा हो गया। निवेशकों के साथ बाजार का आकार भी लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है, क्योंकि सेबी बाजार को रेगुलेट करता है और ग्राहकों का ध्यान रखता है। ग्राहकों के हित और बाजार के नियमों को लेकर सेबी चेयरमैन तुहिन कांत पांडे (sebi chairman tuhin kanta pandey) से सहायक संपादक राजीव कुमार की विस्तृत बातचीत के अंश। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
प्रश्न: अभी सूचीबद्ध कंपनियों का जो मार्केट कैपिटलाइजेशन (बाजार पूंजीकरण) है, यह ऐतिहासिक ऊंचाई पर है। क्या निवेशकों को ऐसी स्थिति में सावधान रहने की जरूरत है या जो गैर सूचीबद्ध कंपनियां हैं, उनकी सहभागिता बढ़ेगी तो बाजार धीरे-धीरे ठीक आ जाएगा, आप इसे कैसे देखते है?
उत्तर: देखिए, यदि हम आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2016 में जो मार्केट कैपिटलाइजेशन था वह जीडीपी का 69 प्रतिशत था जो अब 134 प्रतिशत है। यह थोड़ा बहुत ऊपर-नीचे होता रहता है, लेकिन हम कह सकते हैं कि यह 130 प्रतिशत से ऊपर है। डीमैट की संख्या तो अभी 20 करोड़ से अधिक है, नए निवेशक (यूनिक इंवेस्टर्स) की संख्या 13.5 करोड़ करोड़ हो चुकी है जो वर्ष 2019 में 3.8 करोड़ थी। बाजार में नई पीढ़ी आई है जो बहुत ही सजग है। वह टेक्नोलाजी से वाकिफ है और फिनटेक ने भी इंडस्ट्री को बढ़ाने में मदद की है। इससे बाजार का आकार लगातार बढ़ रहा है।
डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से केवाईसी का सिस्टम आया है और इसमें सहूलियत के लिए हमने केवाईसी रजिस्ट्रेशन एजेंसी (केआरए) बनाई है, जो केवाईसी के डाटा की जांच कर हमारे सिस्टम में डाल देती है। इससे म्युचुअल फंड लेने या फिर शेयर खरीदारी के दौरान हमें बार-बार केवाईसी की जरूरत नहीं पड़ती है। अगर हम म्युचुअल फंड में निवेश की बात करें तो यह डीमैट और बिना डीमैट दोनों तरीके से हो सकता है। अब ऐसे-ऐसे टूल्स उपलब्ध है कि हम काफी सहज तरीके से म्युचुअल फंड खरीद सकते हैं।
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एसआईपी के माध्यम से प्रतिमाह 28,000 करोड़ का निवेश हो रहा है मतलब निवेश अब आदत बन रही है। मार्केट का साइज बढ़ रहा है, सूचीबद्ध कंपनियों की संख्या बढ़ रही है 400 पोर्टफोलियो मैनेजर हैं, 1600 से ज्यादा अल्टरनेटिव इंवेस्टमेंट फंड है। 5300 कंपनियां सूचीबद्ध है। 1200 स्टाक ब्रोकर्स है। तो मार्केट विभिन्न प्रकार से आगे बढ़ रहा है, यह सुविधाओं के कारण बढ़ा है, भरोसा और टेक्नोलाजी का भी इसमें बड़ा हाथ है।
प्रश्न: सेबी ने निवेशकों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए हैं?
उत्तर: हमारा यूपीआई भुगतान सिस्टम काफी अहम है। सेबी ने भुगतान करने के लिए सभी जगहों पर यूपीआई को लागू किया है। आप शेयर खरीदते हैं तो आपका पैसा जमा हो जाता है, लेकिन आवंटन होने पर ही भुगतान होता है। यूपीआई से सहजता तो आई है लेकिन इससे फ्राड में भी सहजता आ गई है। लोग क्यूआर कोड का क्लोन कर देते हैं। रिटर्न के नाम पर ठगी कर रहे हैं।
साइबर फ्राड को रोकने की जरूरत है। इस दिशा में विभिन्न मंत्रालय स्तर पर कई प्रयास भी किए जा रहे हैं। लेकिन सबसे जरूरी है लोगों को जागरूक बनाना। उन्हें पता होना चाहिए कि निवेश का सही माध्यम क्या है। जैसे बाजार में हम सब्जी खरीदने जाते हैं तो हमें पता होता है कि कहां ताजा सब्जी मिलेगी। वैसे ही स्टाक बाजार में जाना है तो पता होना चाहिए कि किससे संपर्क करना है। लालच में नहीं पड़ना है। क्योंकि कोई अधिक मुनाफे की बात कर रहा है तो वह गलत है। बाजार के बारे में कोई अनुमान नहीं लगा सकता है। नए निवेशक भी लगातार आ रहे हैं, इसलिए हमें लोगों को लगातार जागरूक करते रहना पड़ेगा।
प्रश्न: इस दिशा में सेबी ने कोई खास उपाय भी किए हैं क्या?
उत्तर: हां, सेबी ने गत अक्टूबर से सारथी एप लांच किया है। यह सेबी का एप है जिसे प्लेस्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। इस एप की खासियत है कि यह 30 सेकेंड में बता देता है कि किसी भी प्रकार के निवेश के लिए जिन माध्यम से भुगतान किया जा र हा है, वह माध्यम सही है या गलत। इस एप पर जाकर क्यूआर कोड को स्कैन करने पर पता चल जाता है कि वह क्यूआर कोड सही या नहीं। वैसे ही कोई ¨लक दिया गया है तो उसकी जांच भी हो जाती है। बैंक के अन्य माध्यम जैसे कि आईएफएससी कोड वगैरह की भी जांच सारथी एप में हो जाती है। हमने पेमेंट के ऊपर सब पेमेंट सिस्टम डाला है जिससे बेहतर परिणाम आ रहे हैं। हम निवेशकों को बता रहे हैं कि भुगतान से पहले सारथी एप का इस्तेमाल कीजिए।
प्रश्न: आपने एप तो बना दिया पर यह एप साइबर अटैक से बचा रहेगा और इसकी क्या तैयारी है, क्योंकि कई बड़ी-बड़ी एजेंसियों के एप को हैक कर लिया जाता है?
उत्तर: हमारी साइबर टीम काफी मजबूत है। यह क्रिटिकल इंफ्रा में आता हैं। आपको बता दे कि हमारे सिस्टम पर लगातार साइबर अटैक होते रहते हैं। सुबह से शाम तक में हजारों अटैक होते हैं, दुनिया भर से तरह-तरह से हमले होते हैं। इसलिए हर समय हमें हर जगह पर कई स्तर की सुरक्षा रखनी होती है। सेबी का अपना आडिट सिस्टम है। हमारे यहां एक-एक डेवाइस, एक-एक तार का ऑडिट होता है। वैसे ही एक्सचेंज की अपनी व्यवस्था है। सेबी साइबर सुरक्षा के लिए अलग काम कर रहा है। विभिन्न स्तर पर हम चेकिंग रखते हैं और यह निरंतर जारी रहेगा, यह सतत प्रक्रिया है। एल्गो ट्रेडिंग के लिए हमने अलग सुरक्षा रखी है।
प्रश्न: बाजार में ब्रोकरेज फर्म एल्गोरिदम का इस्तेमाल कर रहे हैं, यह कितना सही है?
उत्तर: एल्गो ट्रेडिंग की हमारे यहां इजाजत है। लेकिन उसके लिए हमने गाइडलाइंस रखा है। जब वह एक्सचेंज में जाएगा तो अपने एल्गो के बारे में बताएगा ताकि यह पता रहे कि कुछ गलत तो नहीं कर रहा है। टेक्नोलाजी और इनोवेशन को लाने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन एक जिम्मेदारी के साथ लाना होगा।
प्रश्न: बाजार में विभिन्न प्रोडक्ट आते रहते हैं, उसे कैसे चेक किया जाएगा कि वह सही है या गलत?
उत्तर: आपको बता दे कि कोई भी फर्म एक निश्चित रिटर्न की गारंटी नहीं दे सकता है। गारंटी के साथ रिटर्न अवैध है। बांड मार्केट में कह सकते हैं, लेकिन शेयर बाजार में रिटर्न का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। पिछले रिटर्न के बारे में बताया जा सकता है लेकिन यह नहीं कह सकता है कि इतना रिटर्न हर हाल में मिलेगा। सेबी इस बात का भी ध्यान रखता है कि कोई प्रोडक्ट के बारे में जो कह रहा है, उसे वैसा ही होना चाहिए अगर इसमें अंतर होता है तो यह सेबी नियम का उल्लंघन है। उन पर कार्रवाई होती है।
प्रश्न: म्युचुअल फंड प्रोडक्ट में क्या सिस्टम है?
उत्तर: म्युचुअल फंड में हम 100 प्रतिशत जांच कर रहे हैं। हम उनसे आनलाइन डाटा लेते हैं और उसके आधार पर हम रोजाना अलर्ट जारी करते हैं। डाटा के आधार पर यह पता लग जाता है कि किस स्टाक में जोखिम है और उस पर हम अलर्ट जारी करते रहते हैं। हमारे लिए एक तरफ निवेशक है और दूसरी तरफ इंडस्ट्री है। लेकिन हमें पारदर्शिता को बढ़ाना है, उपभोक्ता के हित का ध्यान रखना है। इस दिशा में लगातार काम किया जा रहा है। डेरेवेटिव को लेकर भी हम लगातार चेतावनी जारी करते रहते हैं।
प्रश्न: धारणा यह रही है कि नियम के उल्लंघन करने के मामले में उन पर कार्रवाई की रफ्तार धीमी रहती है, जुर्माना भी अन्य देशों के मुकाबले कम है, कई बार ओवर वैल्यूड आईपीओ आ जाता है, बाद में ग्राहक नुकसान उठाते हैं?
उत्तर: देखिए, हमें स्मार्ट रेगुलेटर बनना है। इसके लिए हमें स्मार्ट लोगों के साथ अपनी क्षमता का विस्तार करना है। हम इस दिशा में काम भी कर रहे हैं। हम आपको बता दे कि हमारे यहां एक ही आदमी मामले की जांच और उन पर कार्रवाई नहीं कर सकता है। इसके लिए अलग-अलग लोग है। सभी का अधिकार परिभाषित है। इस प्रकार के मामलों को और संतुलित बनाने के लिए हमने एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया था और कमेटी ने रिपोर्ट सौंप दी है। हम जल्द ही रिपोर्ट को सार्वजनिक कर देंगे।
प्रक्रिया को तेज करने के लिए हम नए लोगों को नियुक्त कर रहे हैं, लोगों को और कुशल बना रहे हैं। टेक्नोलाजी के इस्तेमाल को हम लगातार बढ़ा रहे हैं। मलेशिया, इंडोनेशिया जैसे देश हमारे टेक्नोलाजी का अनुसरण कर रहे हैं। इसका मतलब यह नहीं है यह अंत है। हम लगातार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं। हमारे आर्डर में इसका असर आपको दिखेगा। |