आंखों पर पट्टी बांधकर होती है अंबाजी मंदिर में पूजा, देवी के 51 शक्तिपीठों में से है एक_deltin51

LHC0088 2025-9-29 19:06:40 views 1259
  बिना किसी मूर्ति के होती है अंबाजी मंदिर में पूजा (Picture Courtesy: Instagram)





लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में मौजूद 51 शक्तिपीठों में से एक है अंबाजी मंदिर (Ambaji Mandir), जो गुजरात राज्य के बनासकांठा जिले में अरासुर पर्वत पर स्थित है। यह मंदिर राजस्थान और गुजरात की सीमा के पास, आबू रोड से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर बसा है। अंबाजी मंदिर सदियों से शक्ति की उपासना का अहम केंद्र रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

आइए जानें क्यों यह मंदिर इतना खास माना जाता है, इसकी धार्मिक मान्यताएं क्या है और कैसे आप इस मंदिर में देवी की पूजा के लिए जा सकते हैं।



  

(Picture Courtesy: Instagram)
अंबाजी मंदिर की खासियत

अंबाजी मंदिर को 51 शक्तिपीठों में गिना जाता है। मान्यता है कि जब भगवान शिव, देवी सती के शरीर को लेकर ब्ह्मांड में घूम रहे थे, तब उनके शरीर के अलग-अलग अंग धरती पर गिरे और उन स्थानों पर शक्तिपीठ बने। इन्हीं में से एक स्थान है अंबाजी। माना जाता है कि यहां पर देवी सती का हृदय गिरा था, इसलिए यह स्थान खास महत्व रखता है।



मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां देवी की कोई प्रतिमा या मूर्ति नहीं है। श्रद्धालु मां अम्बे की पूजा ‘श्री विसा यंत्र’ के रूप में करते हैं। यह यंत्र बेहद पवित्र और गुप्त माना जाता है, जिसे न तो नंगी आंखों से देखा जा सकता है और न ही इसकी फोटोग्राफी की अनुमति है। इसलिए यहां आंखों पर पट्टी बांधकर देवी की पूजा होती है।bhubanehwar-general,Puri Jagannath Temple,Jagannath Temple Security,Drone in Puri Temple,No-Fly Zone Violation,Anti-Drone Technology,Shree Jagannath Temple,Temple Security Breach,Puri Temple Drone Incident,Jagannath Dham Security,Temple Aerial Surveillance,Odisha news   

अंबाजी नगर के पास स्थित गब्बर पहाड़ी को मंदिर का मूल आसन माना जाता है। कहा जाता है कि यहीं देवी मां का वास्तविक स्थान है। श्रद्धालु गब्बर पहाड़ी पर चढ़कर दर्शन करते हैं और दीप जलाते हैं।


धार्मिक महत्व और उत्सव

अंबाजी मंदिर में हर महीने की पूर्णिमा को हजारों भक्त एकत्रित होते हैं और विशेष पूजा-अर्चना होती है। सबसे बड़ा आयोजन भादरवी पूर्णिमा पर होता है, जब देशभर से लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।

भादरवी पूर्णिमा के समय यहां भव्य मेला लगता है और पूरा नगर दीपों से जगमगाता है। इस समय का उत्सव वातावरण बिल्कुल दीपावली जैसा महसूस होता है। इसके अलावा नवरात्रि में भी यहां खास पूजा और गरबा का आयोजन होता है।


अंबाजी कैसे पहुंचे?

अंबाजी मंदिर तक पहुंचने के लिए सड़क, रेल और वायु मार्ग तीनों सुविधाएं हैं-

  • हवाई मार्ग से- सबसे नजदीकी हवाई अड्डा अहमदाबाद का सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो अंबाजी से लगभग 179 किलोमीटर दूर है।
  • रेल मार्ग से- सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन आबू रोड है, जो अंबाजी से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां से मंदिर तक बस और टैक्सी आसानी से मिल जाती है।
  • सड़क के रास्ते- अंबाजी NH 8 (मुंबई–दिल्ली मार्ग) और SH 56 से जुड़ा हुआ है। यह पालंपुर से लगभग 82 किलोमीटर और माउंट आबू से 45 किलोमीटर दूर है।


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