पाकिस्तान से जुड़े हैं दिल्ली ब्लास्ट के तार?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के सामने हुए बम धमाके के जांच के तार आतंकी सगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ते नजर आ रहे हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) इस मामले में लिंक की जांच कर रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना आतंकी मसूद अजहर ने 1999 और 2000 के बीच IC-814 बंधक अदला-बदली में रिहा होने के बाद की थी। यह संगठन पाकिस्तान के बहावलपुर में एक्टिव है। जैश पर भारत में कई हमलों का आरोप है, जिसमें 2001 में संसद पर हमला और 2019 में पुलवामा में एक मिलिट्री काफिले पर हमला भी शामिल है।
हालांकि, भारत ने कई जवाबी कार्रवाई के बाद जैश के इंफ्रास्ट्रक्चर को खत्म कर दिया गया है। मसूद अजहर के छोटे भाई अब्दुल रऊफ अजहर सहित सीनियर नेताओं को मार गिराया गया जा चूका है। लेकिन अभी भी यह ग्रुप पाकिस्तानी डीप स्टेट के समर्थन के कारण फल-फूल रहा है।
कैसे काम करता है जैश?
जैश-ए-मोहम्मद की भारत में लीडरशिप साफ नहीं है। ऐसा भी माना जाता है भारत में इसकी शक्तियां डी-सेंट्रलाइज़्ड हैं। यहीं वजह है कि यहां उसे पकड़ना और खत्म करना और मुश्किल हो जाता है। इसके कमांडर मुख्य रूप से उच्च रैंक के पाकिस्तान होते हैं। जो जम्मू-कश्मीर अन्य राज्यों में हमलों का नेतृत्व करने के लिए भेजे जाते हैं।
ये कमांडर हाई-वैल्यू टारगेट (HVT) होते हैं। उदाहरण के लिए जुलाई 2025 में एक \“टॉप जैश कमांडर\“ जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाकर्मियों के साथ गोलीबारी में मारा गया था। यह ग्रुप लॉजिस्टिकल सपोर्ट के लिए लोकल हमदर्दों का भी इस्तेमाल करता है।
इन लोगों को ओवर ग्राउंड वर्कर (OGW) कहा जाता है। ये लोग यह पक्का करने में बहुत जरुरी होते हैं कि आतंकवादी सेल को हथियार, इंटेलिजेंस और कैश मिलता रहे। ये लोग अक्सर हमले के दौरान रियल-टाइम जानकारी भी देते हैं। आपातकालीन स्थिति में ध्यान भटकाकर सुरक्षा बलों को गुमराह भी करते हैं।
लाल किला बम धमाका और जैश से कनेक्शन
NDTV के अनुसार इंटेलिजेंस सूत्रों ने बताया कि लाल किले पर हमले के पीछे चार आतंकवादियों का हाथ है। जिसमें तीन आदमी और एक महिला शामिल हैं, जिनकी नकली पहचान डॉक्टर के तौर पर थी। ये सभी शायद जैश के एक टेरर मॉड्यूल का हिस्सा थे। जो ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत में घुसे थे।
शकील को हरियाणा के फरीदाबाद से गिरफ्तार किया गया। जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक टीम ने उससे जुड़ी दो रिहायशी इमारतों पर छापा मारा और करीब 3,000 किलो विस्फोटक पदार्थ बरामद किए, जिसमें 350 किलो अमोनियम नाइट्रेट भी शामिल था। यह वही पदार्थ है जिसका इस्तेमाल लाल किले पर हुए कार बम धमाके में किया गया था। असल में जांच से जुड़े सूत्रों ने बताया कि लाल किले पर हुआ हमला शायद गिरफ्तारी के बाद घबराहट में किया गया एक रिएक्शन था।
एक चौथा व्यक्ति उमर मोहम्मद माना जा रहा है कि ब्लास्ट में मारा गया है। शुरुआती फोरेंसिक एनालिसिस से पता चलता है कि अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल ऑयल(ANFO) बम को मैन्युअल रूप से डेटोनेट किया गया था। |