बिसरख कोतवाली पुलिस की गिरफ्त में मास्क लगाकर खड़े आरोपित । जागरण
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। बिसरख कोतवाली पुलिस ने कूटरचित दस्तावेज के आधार पर फर्जी फर्म बनाकर सरकार को 51 करोड़ रुपये का चूना लगाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों की पहचान जिला हापुड़ थाना बहादुरगढ़ गांव सलोनी के प्रवीन व जिला बुलंदशहर थाना स्याना गांव बिघराऊ के सतेंद्र के रूप में हुई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पुलिस ने आरोपितों के कब्जे से विभिन्न फर्जी बनी हुई फर्मों की 10 मोहर व एक मोबाइल फोन बरामद किया है। गिरोह में शामिल सदस्य फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से फर्म बनाकर सरकार से जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) रिफंड के नाम पर 85 फर्जी फर्म के माध्यम से 51 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी की गई। पांच साल में साढ़े तीन सौ करोड रुपये के बिल जारी किए जा चुके हैं।
फर्जी पहचान से खुलवाए खाते
पुलिस जांच में सामने आया है कि दोनों आरोपितों ने फर्जी फर्म बनाने व खाता खुलवाने के लिए केवल अपने फोटो का प्रयोग किया बाकि दस्तावेज फर्जी लगाए गए। डीसीपी सेंट्रल शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि बैंक बैंक ऑफ इंडिया ग्रेटर नोएडा ब्रांच ने शिकायत मिली कि दो लोगों ने फर्जी दस्तावेज का प्रयोग कर अलग अलग बैंक खाते खुलवाए हैं।
इनमें जीएसटी रिफंड की मोटी रकम आई है। जिसके बाद पुलिस जांच में सामने आया कि यह गिरोह बैंक ऑफ इंडिया की अलग-अलग शाखाओं में रिद्धि सिद्धि एंटरप्राइजेज, भवानी इंपेक्स, झलक एंटरप्राइजेज, गौरव एंटरप्राइजेज, दामिनी इंडिया इंटरनेशनल और राधिका एंटरप्राइजेज के नाम से फर्जी फर्में बनाकर बैंक खाते खुलवाता था।
इन खातों के जरिए लगभग तीन करोड़ 42 लाख रुपये से अधिक का लेन-देन किया गया। पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि आरोपितों ने छह फर्मों को खुलवाने में ओटीपी प्राप्त करने के लिए नौ मोबाइल नंबरों का प्रयोग किया था। इन नौ मोबाइल नंबरों की सर्विलांस से जांच की गई तो सामने आया कि नौ मोबाइल नंबर 18 आइएमईआइ मोबाइल पर प्रयोग किए गए हैं।
इन आइएमईआइ नंबरों पर कुल 87 मोबाइल नंबर प्रयोग किए गए। 87 मोबाइल नंबरों का प्रयोग कर 85 विभिन्न फर्मों का रजिस्ट्रेशन किया। इन 85 फार्मों में 51 करोड़ रुपये के लगभग आइटीसी दावा कर राजस्व को हानि पहुंचाई गई। यह कंपनियां 20 राज्यों में रजिस्टर्ड है। आरोपित बातचीत के लिए वाट्सएप कालिंग एवं ई-मेल का प्रयोग करते थे।
फर्जी केवाईसी और किरायानामा से रजिस्ट्रेशन का चला खेल
पुलिस पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि वह अपनी फोटो लगाकर फर्जी केवाईसी (आधार कार्ड, पैन कार्ड, किरायानामा) तैयार करते थे और उन्हीं दस्तावेजों के आधार पर जीएसटी और उद्यम पंजीकरण करा लेते थे।
इसके बाद कंपनी के नाम पर बैंक खाते खोलकर उन्हीं में अन्य फर्मों से पैसा मंगाकर जीएसटी चोरी करते थे। फर्जीवाड़े का यह खेल पिछले पांच साल से चल रहा था। संबंधित फर्मों के पते की जांच में वहां कोई मौजूद नहीं मिला । जीएसटी रिफंड के खेल में शामिल इस गिरोह में सैकड़ों की संख्या में लोगों के सक्रिय होने की पुलिस आशंका है। जिनकी तलाश में पुलिस जुट गई है।
व्यापारियों ने कटवाए फर्जी बिल
पुलिस जांच में सामने आया है कि फर्जी फर्म के माध्यम से नोएडा गाजियाबाद में एनसीआर के तमाम बड़े व्यापारियों ने फर्जी बिल करवाए है। साथ ही जीएसटी रिफंड के करोड़ों रुपए का फर्जीवाड़ा किया है। ऐसे व्यापारियों की पुलिस सूची तैयार कर रही है। |