Shardiya Navratri 2025 Day 7: नवरात्र के सातवें दिन पढ़ें यह कथा।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शारदीय नवरात्र के नौ दिनों में हर दिन देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाती है। इस महापर्व के सातवें दिन का विशेष महत्व है, जिसे महा सप्तमी भी कहा जाता है। यह दिन मां दुर्गा के सबसे उग्र स्वरूप मां कालरात्रि को समर्पित है। \“काल\“ का अर्थ है समय या मृत्यु और \“रात्रि\“ का अर्थ है रात। मां कालरात्रि सभी अंधकार और अज्ञान का नाश करने वाली हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
देवी का स्वरूप भले ही विकराल है, लेकिन वह हमेशा अपने भक्तों के लिए प्रेम का भाव रखती हैं, तो आइए महा सप्तमी (Shardiya Navratri 2025 Day 7) को और भी शुभ बनाने के लिए मां कालरात्र की कथा का पाठ करते हैं, जो इस प्रकार हैं -
मां कालरात्रि की कथा (Maa Kalratri Vrat Katha)
प्रचलित पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब शुंभ और निशुंभ नाम के राक्षसों ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया, तब देवताओं ने उनसे रक्षा के लिए मां दुर्गा की पूजा की। इस युद्ध में रक्तबीज नाम के एक राक्षस ने अपनी शक्ति से सभी को डरा दिया था। रक्तबीज को यह वरदान प्राप्त था कि उसके रक्त की एक भी बूंद धरती पर गिरने से उसी के समान एक और शक्तिशाली राक्षस उत्पन्न हो जाएगा। जब मां दुर्गा ने रक्तबीज को मारना शुरू किया, तो उसके रक्त की बूंदों से लाखों राक्षस पैदा हो गए, जिससे युद्ध की स्थिति और खराब हो गई। तब, मां दुर्गा ने अपनी शक्ति से मां कालरात्रि को उत्पन्न किया।
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मां कालरात्रि का रूप बहुत उग्र है। उनके शरीर का रंग काला, बिखरे हुए बाल और तीन विशाल नेत्र हैं। उन्होंने रक्तबीज पर प्रहार किया और उसके रक्त की एक भी बूंद को धरती पर गिरने से पहले ही अपनी मुख के अंदर ले ली।
इस तरह मां कालरात्रि ने रक्तबीज का संहार किया और तीनों लोकों को उसके आतंक से मुक्त कराया। कहा जाता है कि मां कालरात्रि की पूजा से गुप्त शत्रुओं का नाश होता है। साथ ही सभी दुख दूर होते हैं।
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