केंद्रीय गृह मंत्री के सामने पीयू की आर्थिक स्थिति का मुद्दा भी उठाया जाएगा।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। बीते कुछ समय से विवादों में चल रही पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) का मुद्दा अब सीधे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सामने रखा जाएगा। 17 नवंबर को फरीदाबाद उत्तर क्षेत्रीय परिषद (एनजेडसी) की अहम बैठक होने जा रही है। बैठक में पीयू की आर्थिक स्थिति, सीनेट और सिंडिकेट चुनाव को लेकर अंतिम फैसला और पीयू की आर्थिक स्थिति के मुद्दे को रखा जाएगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बीते कुछ दिनों से पंजाब यूनिवर्सिटी में सीनेट को लेकर चल रहे बवाल पर भी रिपोर्ट पेश की जा सकती है। पंजाब यूनिवर्सिटी को 80 प्रतिशत बजट का हिस्सा केंद्र सरकार से और 20 प्रतिशत पंजाब की हिस्सेेदारी है। लेकिन बीते लंबे समय से पंजाब की ओर से अपने हिस्से का पैसा जारी नहीं किया जा रहा।
उधर बैठक में हरियाणा के कुछ जिलों पंचकूला,अंबाला और यमुना नगर के कालेजों को पंजाब यूनिवर्सिटी से एफिलिएट करने का मुद्दा भी बैठक में फिर से उठेगा। 2024 में जयपुर में हुई उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में भी यह मुद्दा उठाया गया था, लेकिन मामले में अभी तक कोई फैसला नहीं लिया जा सका।
पंजाब की ओर से पीयू के साथ हरियाणा के काॅलेजों की एफिलिएशन को लेकर लगातार विरोध किया जा रहा है। पंजाब के पूर्व राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित की अघ्यक्षता में यूटी सचिवालय में हुई बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई, लेकिन पंजाब सीएम भगवंत मान ने प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया था।
प्रशासक और चीफ सेक्रेटरी लेंगे बैठक में हिस्सा
चंडीगढ़ के प्रशासक और पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया और चीफ सेक्रेटरी चंडीगढ़ एच राजेश प्रसाद भी इस बैठक में हिस्सा लेंगे। एनजेड सी बैठक को लेकर चंडीगढ़ प्रशान की ओर से तैयारियों को अंतिम रुप दिया जा रहा है। मंगलवार को भी चंडीगढ़ चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षा में हुई बैठक में सभी विभागों की ओर से अपने लंबित मामलों और भविष्य को लेकर तैयार की गई योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
चीफ सेक्रेटरी प्रसाद के चंडीगढ़ में ज्वाइन करने के बाद यह पहली बैठक होगी। इससे पहले पिछले हफ्ते ही चीफ सेक्रेटरी शहर से जुड़े मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार के सामने रिपोर्ट पेश कर चुके हैं। कई मामलों में कमेटी गठित कर फिर से रिपोर्ट देने के लिए केंद्र सरकार ने कहा है। बैठक में केंद्र सरकार की विभिन्न स्कीम को चंडीगढ़ में लागू किए जाने का रिव्यू भी होगा।
हर फैसले के लिए केंद्र की मंजूरी, महीनों तक लटकी रहती हैं फाइलें
चंडीगढ़ में सेंट्रल सर्विस रुल्स लागू होने के बाद से अब शहर से जुड़ी हर फाइल पर केंद्र सरकार से मुहर का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में शहर से जुड़ी कई योजनाएं और पहले से रुके हुए काम सिरे नहीं चढ़ पा रहे हैं। शहर में लाल डोरे की एक्शटेंशन का मामला हो या फिर चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड में नीड बेस्ट चेंज का मामला भी अहम है। 55 हजार मकानों में लोगोंने जरुरत के अनुसार बदलाव किया हुआ है, जिनमें से 90 प्रतिशत को नोटिस जारी किए जा चुके हैं।
शहर में मालिकाना हक,शेयर वाइज प्राॅपर्टी की रजिस्ट्रेशन पर रोक और अवैध तरीके से मकानों के निर्माण जैसे अहम मुद्दे प्रशासन के सामने लंबित है। केंद्र सरकार की ओर से अधिकारियों की वित्तीय पावर पर कैंची और 4500 से अधिक रिक्त पदों पर भर्ती जैसे मुद्दे भी हैं। शहर के सरकारी कालेजों में शिक्षकों के आधे से अधिक पद रिक्त पड़े हैं। 324 पदों पर भर्ती का मामला लंबे समय से केंद्र से अप्रूवल का के इंतजार में है। |