सेबी ने निवेशकों को डिजिटल गोल्ड (digital gold) के खिलाफ चेतावनी दी है।
नई दिल्ली। सेबी ने \“डिजिटल गोल्ड\“ की अनियमित प्रकृति और इससे जुड़े जोखिमों को देखते हुए निवेशकों को चेतावनी दी है। इस साल पीली धातु ने जीवनकाल के उच्चतम स्तर छुए हैं, बाजार नियामक ने सुरक्षित निवेश के लिए गोल्ड ETF और एक्सचेंज गोल्ड जैसे विनियमित उत्पादों का विकल्प चुनने की सलाह दी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इस साल पीली धातु सबसे बेहतरीन परफॉर्मिंग एसेट क्लास में से एक बनकर उभरी है, बाजार नियामक सेबी ने विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर पेश किए जा रहे \“डिजिटल गोल्ड\“ में निवेश के खिलाफ फिर से चेतावनी जारी की है।
सेबी की ताजा चेतावनी क्या है?
बाजार नियामक ने 8 नवंबर को जारी बयान में कहा कि उसे जानकारी मिली है कि कुछ डिजिटल प्लेटफॉर्म निवेशकों को \“डिजिटल गोल्ड/ई-गोल्ड प्रोडक्ट्स\“ में निवेश का विकल्प दे रहे हैं, जिसे फिजिकल गोल्ड का विकल्प बताया जा रहा है।
बयान में कहा गया कि, “इस संदर्भ में सूचित किया जाता है कि ऐसे डिजिटल गोल्ड उत्पाद सेबी-विनियमित गोल्ड उत्पादों से अलग हैं क्योंकि इन्हें न तो सिक्योरिटी के रूप में नोटिफाइड किया गया है और न ही कमोडिटी डेरिवेटिव्स के रूप में विनियमित हैं। ये पूरी तरह सेबी के दायरे से बाहर काम करते हैं। ऐसे डिजिटल गोल्ड उत्पाद निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण जोखिम पैदा कर सकते हैं और काउंटरपार्टी तथा परिचालन जोखिमों का सामना करा सकते हैं।“
नियामक ने निवेशकों को सेबी-विनियमित गोल्ड उत्पादों जैसे एक्सचेंज ट्रेडेड कमोडिटी डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स, म्यूचुअल फंड्स द्वारा पेश गोल्ड ईटीएफ और स्टॉक एक्सचेंजों पर ट्रेड करने योग्य इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रसीद (ईजीआर) चुनने की सलाह दी।
इनमें निवेश सेबी-पंजीकृत मध्यस्थों के जरिए किया जा सकता है और ये इसके नियामक ढांचे के तहत आते हैं।
यह पहली बार नहीं है जब सेबी ने डिजिटल गोल्ड के खिलाफ सलाह जारी की है। 2021 में उसने अपने विनियमित संस्थाओं, जिनमें पंजीकृत निवेश सलाहकार (आरआईए) शामिल हैं, को डिजिटल गोल्ड उत्पादों की पेशकश या सिफारिश करने से रोक दिया था। इसके बाद नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने अपने सदस्यों, जिनमें स्टॉकब्रोकर शामिल हैं, को डिजिटल गोल्ड में सौदा बंद करने को कहा था।
डिजिटल गोल्ड आखिर है क्या?
डिजिटल गोल्ड फिजिकल गोल्ड का वर्चुअल रूप है, जिसमें लोग इलेक्ट्रॉनिक रूप से सोना खरीद, बेच और रख सकते हैं। इसे घर में रखने की जरूरत नहीं होती। डिजिटल गोल्ड प्रोडक्ट भारत में 2012-13 में लॉन्च हुए थे। यह सेगमेंट दो-स्तरीय प्रणाली से काम करता है।
पहला एक आयातक, जो सोने की ईंटें खरीदकर तिजोरी में रखता है और दूसरा वितरक (आमतौर पर फिनटेक प्लेटफॉर्म) जो ऐप चलाता है जिसके जरिए निवेशक 24-कैरेट और 99.9% शुद्धता वाला सोना खरीदते हैं। डिजिटल गोल्ड की दरों में भंडारण शुल्क और प्लेटफॉर्म्स के लगाए अन्य शुल्क शामिल होते हैं, इसलिए ये स्पॉट गोल्ड कीमतों से ज्यादा होती हैं।
इस सेगमेंट का सबसे बड़ा दिग्गज एमएमटीसी-पैम्प है, जो स्विस बुलियन ब्रांड पैम्प एसए और सरकारी एमएमटीसी लिमिटेड का संयुक्त उपक्रम है। पेटीएम, फोनपे, गूगल पे, इनक्रेड मनी जैसे प्लेटफॉर्म्स के अलावा तनिष्क, जोस अलुक्कस और कैरेटलेन जैसे ज्वैलर्स भी डिजिटल गोल्ड पेश करते हैं, जिसे आभूषण, सिक्के या बार में बदला जा सकता है।
इस सेगमेंट का प्रदर्शन कैसा रहा?
हाल की कीमत में गिरावट के बावजूद, इस साल अब तक सोना सबसे बेहतरीन परफॉर्मिंग एसेट क्लास में से एक है, रुपये में करीब 60% चढ़ा है। भू-राजनीतिक अनिश्चितता, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकियों से बढ़े व्यापार तनाव और वैश्विक केंद्रीय बैंकों की रिकॉर्ड खरीदारी ने पीली धातु को इस साल जीवनकाल के उच्चतम स्तर पर पहुंचाया। वैश्विक बाजारों में 4,300 डॉलर प्रति औंस से ऊपर और भारत में 10 ग्राम के लिए 1,32,000 रुपये से ज्यादा है। भारत 2024 कैलेंडर में विश्व सोना परिषद के अनुसार सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है।
सोने की होड़
डिजिटल गोल्ड की मांग भी इस तेजी के साथ बढ़ी है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के आंकड़ों के अनुसार, यूपीआई के जरिए डिजिटल गोल्ड खरीदारी का वॉल्यूम 2025 में दोगुना से ज्यादा होकर जनवरी के 50.93 मिलियन ट्रांजेक्शन से सितंबर में 103.19 मिलियन हो गया।
यूपीआई के जरिए डिजिटल गोल्ड खरीदारी का मूल्य जनवरी 2025 के 762 करोड़ रुपये से बढ़कर सितंबर में 1,410 करोड़ रुपये हो गया, यानी करीब 85% की बढ़ोतरी देखने को मिली है।
डिजिटल गोल्ड में निवेश के फायदे-नुकसान क्या हैं?
सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह फिजिकल गोल्ड के रखरखाव और स्टोरेज की परेशानी के बिना सुविधाजनक और सहज तरीके से निवेश की अनुमति देता है। प्लेटफॉर्म के आधार पर 1 से 10 रुपये से निवेश शुरू किया जा सकता है। दुनिया के सबसे सुरक्षित मूल्य भंडार में 24/7 पहुंच और अंशीय स्वामित्व का यह तरीका किसी और रूप में मुश्किल से संभव है। तत्काल रिडेम्प्शन या भौतिक इकाइयों में बदलने का विकल्प इसे और आकर्षक बनाता है।
हालांकि, सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह एसेट क्लास नियामक ग्रे एरिया में है, न सेबी और न ही भारतीय रिजर्व बैंक इसे नियंत्रित करता है। अगर कोई वितरक या प्लेटफॉर्म बैंक-रन जैसी स्थिति का सामना करे या सबसे खराब स्थिति में दिवालिया हो जाए, तो खरीदारों के पास शायद ही कोई सहारा बचे।
एमएमटीसी-पैम्प जैसे प्रतिष्ठित खिलाड़ी अपने डिजिटल गोल्ड होल्डिंग्स को भौतिक सोने से बैक करते हैं, जिसकी नियमित थर्ड-पार्टी ऑडिट से पुष्टि होती है, लेकिन छोटे खिलाड़ियों के लिए यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता, जिससे काउंटरपार्टी जोखिम बढ़ता है। कीमतें भी प्लेटफॉर्म के आधार पर अलग-अलग होती हैं। यह मार्कअप, चार्ज, पेमेंट गेटवे फीस और अन्य चार्ज के कारण होता है। यह आमतौर पर, सोने की खरीद पर लगने वाले 3% जीएसटी के अलावा 2-3% तक जुड़ जाता है।
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
सेबी ने जोर दिया है कि सोने में एक्सपोजर लेने वाले निवेशकों के पास डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स और गोल्ड ईटीएफ जैसे कई विनियमित रास्ते हैं, जो भारत में लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं। विश्व सोना परिषद के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय गोल्ड ईटीएफ में अक्टूबर 2025 में 850 मिलियन डॉलर का नेट इनफ्लो आया है। वैश्विक स्तर पर अमेरिका और चीन के बाद तीसरा सबसे ज्यादा रहा है। यह भारतीय गोल्ड ईटीएफ के लिए लगातार पांचवां सकारात्मक माह था।
इस साल अब तक भारतीय गोल्ड ईटीएफ में करीब 3 अरब डॉलर का इनफ्लो आया है। अब तक का उच्चतम स्तर, प्रबंधन अधीन संपत्ति 11.3 अरब डॉलर पर है। विशेषज्ञ कहते हैं कि जो लोग फिर भी डिजिटल गोल्ड खरीदना चाहते हैं, उन्हें बड़े और प्रतिष्ठित खिलाड़ियों के साथ यह करना चाहिए।
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