जागरण संवाददाता, जेवर। गेहूं सहित रबी सीजन की बोवाई के लिए किसान को डीएपी खाद की कमी से जूझना पड़ रहा है। सरकार की तरफ से साधन सहकारी समितियों के गोदामों से वितरित की गई डीएपी खाद से किसानों की बोवाई की पूर्ति नहीं हो पा रही है। मजबूरन किसान खुले बाजार से बोवाई करने के लिए खाद खरीद रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
खाद की लगातार बढ़ती मांग और आपूर्ति कम होने का फायदा उठाते हुए जेवर, जहांगीरपुर व रबूपुरा के ज्यादातर दुकानदार डीएपी की कालाबाजारी करने से नहीं चूक रहे। पर्याप्त मात्रा में खाद न मिलने से किसानों की पलेवा सूख रही हैं। लोगों का आरोप है कि 1350 रूपये कीमत की डीएपी खाद की बोरी 1600 से लेकर 1700 रूपये तक में बेची जा रही हैं।
जेवर तहसील क्षेत्र में ज्यादातर किसान रबी के सीजन में गेहूं की पैदावार करते हैं। गेहूं की बोवाई के लिए किसान प्रति बीघा 10 से 12 किलोग्राम बीघा की डीएपी खाद की बोवाई करते हैं। जिले में 50391 हेक्टेयर जमीन पर गेहूं और 1583 हेक्टेयर पर जौ के अलावा 971 हेक्टेयर जमीन पर सरसों की फसल की बोवाई होनी हैं। जिले में सबसे अधिक कृषि योग्य भूमि भी जेवर तहसील में ही बची है।
3929 मीट्रिक टन डीएपी की आवश्यकता थी। लेकिन जिले में अभी तक 3168 मीट्रिक टन डीएपी ही उपलब्ध हो पाई है। जिससे किसानों को फसल बोवाई के लिए खाद पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पा रहा है। मजबूरन किसान खुले बाजार से खाद खरीद रहे हैं। किसानों ने बताया कि ज्यादातर प्राईवेट दुकानदार 1600 से 1700 रूपये में डीएपी दे रहे है साथ ही बिल मांगने पर खाद देने से ही मना कर देते हैं।
जिले में कहीं भी डीएपी की कमी नहीं है पर्याप्त उपलब्धता है खुले बाजार में भी अगर कहीं ओवर रेटिंग की समस्या है या खाद नहीं मिल पा रही तो तुरंत 7839882586 फोन पर अपनी शिकायत और समस्या दर्ज करा सकते हैं। उन्होंने बताया कि किसान गौतमबुद्धनगर का होना चाहिए उसके पास जमीन की खतौनी हो उसे किसी भी तरह की समस्या नहीं आने दी जाएगी।
- विकेक दुबे जिला कृषि अधिकारी गौतमबुद्धनगर |