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Bihar Election: इस्लामपुर में टिकट के लिए घमासान तेज, किसे मिलेगा विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका?

Chikheang 2025-9-28 23:13:01 views 880

  इस्लामपुर की सियासत का कौन बनेगा बादशाह?





राजीव प्रसाद सिंह, एकंगरसराय। इस्लामपुर विधानसभा क्षेत्र की राजनीति इन दिनों बड़े दिलचस्प मोड़ पर है। जैसे-जैसे चुनाव की तिथि नजदीक आती जा रही है।

टिकट की जुगत में कुछ महत्वाकांक्षी नेताओं की हलचल तेज हो गई है। टिकट के लिए चाहे राष्ट्रीय या क्षेत्रीय दल ही क्यों न हो उसके नेताजी लोगों के आपसी खींचतान व जातीय समीकरण का जोड़-तोड़ चरम पर है।
जदयू में हलचल

सबसे पहले जदयू की बात करें। पार्टी के एक बड़े चेहरा के बारे में चर्चा है कि वे जन सुराज के एक अहम सदस्य से टिकट के लिए संपर्क साधे हुए हैं। यह स्पष्ट नहीं हो रहा कि नेताजी की जन सुराज के प्रशांत किशोर से मुलाक़ात हुई या नहीं, लेकिन उनके ही समर्थक यह कयास लगा रहे हैं कि जन सुराज में भी टिकट मिलना मुश्किल है। इसलिए वे नेताजी अपने समर्थकों से तीसरे विकल्प निर्दलीय चुनाव लड़ने पर भी चर्चा कर रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



इधर पंचायत स्तर की एक प्रभावशाली महिला प्रतिनिधि जन सुराज में शामिल हो चुकी हैं। इसलिए राजद का त्याग कर स्थापना काल से ही जनसुराज में शामिल नेताजी जन सुराज के टिकट को ले मायूस हो गए हैं, लेकिन चर्चा है कि उक्त महिला को भी टिकट मिलेगा इसमें संदेह है।



जन सुराज से टिकट किसे मिलेगा क्या उस दावेदार को जो राजद की दामन छोड़ जन सुराज के लिए लगातार कैंपिंग कर रहे हैं। वे जन सुराज को मजबूत करने के लिए गांव स्तर पर संगठन खड़ा किए हैं।



राजद से आए एक ताकतवर नेता ने जन सुराज के झंडे तले गांव-गांव संगठन खड़ा किया। अब तो वे कद्दावर नेता खुलेआम जन सुराज को छोड़ने का ऐलान कर दिए हैं। उनके ऐलान के बाद नफा-नुकसान देख मान-मनौव्वल किया गया तो वे इधर बैठकों में भाग लेना शुरू कर दिए हैं।
राजद का समीकरण

राजद के सीटिंग विधायक होने के कारण कई नेताओं की टिकट की महत्वाकांक्षा को ग्रहण लगते दिख रहा है। यह इस्लामपुर विधानसभा क्षेत्र की आम जनता का मानना है की राजद के अन्य नेताओं के लिए कोई वेकैंसी नहीं है, लेकिन सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि भाजपा के एक कद्दावर नेता, जो मौजूदा विधायक की ही स्वजातीय हैं, उनके समर्थक खुलेआम पटना और इस्लामपुर में प्रदर्शन कर रहे हैं कि उक्त उनके नेता को टिकट दिया जाए, क्योंकि हमलोग तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं।



उनके समर्थक यह घूम-घूमकर प्रोपगंडा कर रहे हैं कि इस बार मौजूदा विधायक चुनाव नहीं जीत पाएंगे। ऐसे में उन्होंने पोस्टर-बैनर लेकर टिकट की मांग तेज कर दी है।


जदयू की भीतरी लड़ाई

जदयू में दावेदारों की लंबी कतार है—कोई प्रदेश पदाधिकारी, कोई सांसद प्रतिनिधि, कोई व्यापार मंडल का चेहरा, तो कोई पूर्व उप प्रमुख या मुखिया, लेकिन असली मुकाबला जनता की नज़र में बस दो नामों पर सिमट गया है—एक पूर्व विधायक और दूसरे पूर्व विधायक के पुत्र।





पूर्व विधायक का टिकट लगभग तय था, लेकिन उनके असामयिक निधन ने पार्टी को झकझोर दिया। अब सहानुभूति की लहर पुत्र के पक्ष में जाती दिख रही है। पार्टी नेतृत्व भी मानता है कि जनता की भावनाओं को देखते हुए उन्हें तरजीह दी जा सकती है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर जदयू ने पूर्व विधायक के पुत्र पर दांव खेला तो न सिर्फ़ पार्टी के परंपरागत वोट एकजुट होंगे बल्कि सहानुभूति भी वोट में तब्दील होगी।


गली-गली चर्चा

कुल मिलाकर, इस्लामपुर का राजनीतिक गणित उलझा हुआ है चौक-चौराहों, चाय की दुकानों पर चुस्की के साथ लोग अलग-अलग पार्टियों के संभावित प्रत्याशियों के बारे में अपने हिसाब से चर्चा कर रहे हैं, लेकिन किस पार्टी से किसका टिकट पक्का होगा इसका इंतजार राजनीतिक चर्चा करने वालों को अभी कुछ दिन और करना होगा।

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