जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। सौर, पवन समेत सभी नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों से बनने वाली बिजली में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करने के बाद भारत ने अब इन उद्योगों से जुड़े उपकरणों के निर्माण पर फोकस किया है। नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने सोलर पैनल, विंड टर्बाइन ब्लेड्स और संबंधित उपकरणों के घरेलू निर्माण को तेज करने के लिए पहले से घोषित प्रोत्साहन नीति में और सुधार करने का फैसला किया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वैश्विक विंड ऊर्जा बाजार में 10% हिस्सेदारी हासिल करने का लक्ष्य
इसके तहत 2030 तक वैश्विक विंड ऊर्जा बाजार में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है। पिछले तीन-चार वर्षों में सोलर पैनल निर्माण में अच्छी उपलब्धि के बाद अमेरिका, यूरोपीय व दक्षिणी अमेरिकी बाजार के लिए नई महत्वाकांक्षी योजना तैयार की जा रही है। सरकार की नई पहल आयात निर्भरता घटाने के साथ ही गैर-जीवाश्म आधारित ईंधन क्षमता में देश को आत्मनिर्भर बनाने में मदद देगी।
भारत की यह योजना दुनिया में सोलर व विंड ऊर्जा बाजार में उपलब्ध अवसरों को देखते हुए तैयार की गई है।
यूरोपीय व अमेरिका में होने वाला निर्माण काफी महंगा
अभी इस बाजार पर चीन का कब्जा है, जबकि यूरोपीय व अमेरिका में होने वाला निर्माण काफी महंगा है। विकसित देश एक तरफ चीन पर निर्भरता कम करना चाहते हैं तो दूसरी तरफ विकासशील देशों की तरफ से वैकल्पिक बाजार खोजे रहे हैं। ऐसे में भारत सरकार को विकासशील देशों में काफी संभावनाएं दिख रही हैं।
उदाहरण के तौर पर वैश्विक सोलर ऊर्जा बाजार का आकार 2024 में लगभग 271.73 अरब डालर था, जिसके 2034 तक 1,090.78 अरब डालर पर पहुंचने का अनुमान है। वर्ष 2024 में भारत ने सिर्फ दो अरब डालर के सोलर पीवी माड्यूल का निर्यात किया था। वैसे यह वर्ष 2022 के मुकाबले 23 गुना अधिक है, लेकिन चीन के निर्यात 60 अरब डालर के सामने कुछ नहीं है।
भारतीय कंपनियों ने अमेरिकी बाजार में पैठ बनाई
भारत के लिए अच्छी बात यह है कि सोलर पैनल निर्माता भारतीय कंपनियों ने अमेरिकी बाजार में पैठ बना रही है। अब पवन ऊर्जा से जुड़े उपकरणों की बात करें तो अभी यह बाजार तकरीबन 100 अरब डालर का है जिसके वर्ष 2030 तक 142 अरब डालर पर पहुंचने की बात कही जा रही है।
एमएनआरई ने कहा है कि वह इसका 10 प्रतिशत बाजार हासिल करने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ेगी। मंत्रालय के अधिकारी बताते हैं कि चीन की नंबर वन स्थिति भारत के लिए चुनौती और अवसर दोनों है। 2024-2025 में वैश्विक सोलर माड्यूल उत्पादन में चीन का हिस्सा 92 प्रतिशत और विंड टर्बाइन में 82 प्रतिशत था।
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