मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। जागरण आर्काइव
राज्य ब्यूरो, पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि पहले की सरकार को राज्य की आधी आबादी की कोई चिंता नहीं थी।
बिहार में वर्ष 2005 के पहले महिलाओं के उत्थान के लिए कोई काम नहीं होता था। नीतीश ने लिखा कि बिहार में वर्ष 2005 से पहले महिलाएं घर की चहारदीवारी से बाहर नहीं निकल पाती थीं।
शाम छह बजे के बाद सड़कों पर महिलाओं का निकलना बिल्कुल असुरक्षित था। सत्ता संरक्षित अपराधी इतने बेखौफ हो चुके थे कि लड़कियां स्कूल-कालेज जाने में भी डरती थीं।
अगर कोई बेटी स्कूल जाती थी तो उनके माता-पिता तब तक परेशान रहते थे, जब तक बेटी वापस घर नहीं लौट जाती थी। लड़कियों की शिक्षा के लिए कोई विशेष इंतजाम नहीं था।
राज्य की आधी आबादी की कोई चिंता नहीं थी और न ही उन्हें समाज में उचित प्रतिनिधित्व तथा मान-सम्मान मिलता था।
2005 से लगातार कर रहे काम
नीतीश ने लिखा कि 24 नवंबर 2005 को राज्य में जब नई सरकार का गठन हुआ, तब से हमलोग महिला शिक्षा एवं उनके विकास के लिए लगातार काम कर रहे हैं।
महिलाओं को रोजगार देने एवं उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। अब राज्य की महिलाएं अपनी मेहनत से न केवल अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही हैं बल्कि वे प्रदेश की प्रगति में भी अपना योगदान दे रही हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सबसे पहले वर्ष 2006 में पंचायती राज संस्थाओं एवं वर्ष 2007 में नगर निकायों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रविधान किया। अब तक चार चुनाव हो चुके हैं।
बड़ी संख्या में महिलाएं मुखिया, सरपंच, पंच, जिला परिषद अध्यक्ष, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड सदस्य, नगर निगम मेयर, नगर परिषद तथा नगर पंचायत अध्यक्ष पदों पर चुनकर आ रही हैं। इससे समाज में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है।
बिहार पुलिस में भागीदारी सबसे ज्यादा
इसके साथ ही वर्ष 2013 से ही पुलिस बहाली में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण का प्रविधान किया गया। महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तथा महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए बिहार पुलिस में महिला सिपाहियों की बड़ी संख्या में नियुक्ति की गई।
बिहार पुलिस में महिलाओं की भागीदारी आज देश में किसी भी राज्य से ज्यादा है। नीतीश ने लिखा कि वर्ष 2016 से हमलोगों ने सभी सरकारी नौकरियों में राज्य की महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण का प्रविधान कर दिया।
इसके अलावा प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। इससे सभी सरकारी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है।
इसके अलावा राज्य के इंजीनियरिंग एवं मेडिकल कॉलेजों में नामांकन में भी लड़कियों को 33 फीसदी आरक्षण का प्रविधान किया गया है।
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बिहार में वर्ष 2005 से पहले महिलाओं के उत्थान के लिए कोई काम नहीं होता था। महिलाएं घर की चहारदीवारी से बाहर नहीं निकल पाती थीं। शाम 6 बजे के बाद सड़कों पर महिलाओं का निकलना बिल्कुल असुरक्षित था।सत्ता संरक्षित अपराधी इतने बेखौफ हो चुके थे कि लड़कियां स्कूल-कॉलेज जाने में भी डरती… pic.twitter.com/aXTr2kWLwn— Nitish Kumar (@NitishKumar) November 8, 2025 |