deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

...जब मुख्यमंत्री के लिए कामख्या बाबू ने छोड़ दी बांका की विधायकी, यहां पढ़ें चुनाव की रोचक कहानी_deltin51

Chikheang 2025-9-28 09:36:32 views 1248

  प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई फाइल फोटो। (जागरण)





राहुल कुमार, बांका। आज बात चार दशक पूर्व 1983 की रोचक सियासी कहानी की। इस सियासी घटनाक्रम से नई पीढ़ी तो अंजान है ही, पुरानी पीढ़ी भी विस्मृत कर गई है।

14 अगस्त 1983 को चंद्रशेखर सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। दिग्गज कांग्रेसी जगन्नाथ मिश्रा को कुर्सी से हटाकर राजीव गांधी ने अपने प्रिय चंद्रशेखर सिंह को सत्ता सौंपी थी।

उस समय चंद्रशेखर सिंह बांका लोकसभा के सांसद थे। मुख्यमंत्री की शपथ लेते ही छह महीने के अंदर उन्हें विधानमंडल का सदस्य बनना जरूरी था। बांका की तीन सीट अमरपुर से नीलमोहन सिंह, कटोरिया से सुरेश यादव और बांका से ठाकुर कामख्या प्रसाद सिंह कांग्रेस के विधायक थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



इस समय धोरैया सीट सीपीआई और बेलहर निर्दलीय विधायक के पास थी। कांग्रेस चंद्रशेखर बाबू को पार्टी की किसी सिटिंग सीट से ही बांका में विधायक बनाना चाहती थी।

चंद्रशेखर सिंह की पसंद अमरपुर सीट थी। पर नीलमोहन सिंह इस्तीफा देने को तैयार नहीं हुए। इसकी जानकारी पर तीन बार के बांका विधायक ठाकुर कामख्या सिंह ने अपनी विधायकी से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, बाद में उन्हें कांग्रेस ने राज्यसभा में भेज दिया।

udhampur-general,Udhampur news, Vaishno Devi yatra, Navratri pilgrims, Katra news, Vaishno Devi shrine, religious tourism, pilgrimage surge, Jammu tourism, Hindu festival,Jammu and Kashmir news   

इस्तीफे से खाली हुई बांका विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ और चंद्रशेखर सिंह एकतरफा मुकाबले में विधायक बने। नई पार्टी भाजपा ने पूर्व विधायक बाबूलाल मंडल को प्रत्याशी बनाया था।

तब का चुनाव देखने वाले अबुल हासिम कहते हैं कि अपने मुख्यमंत्री को कौन विधायक नहीं बनाना चाहता, इसलिए हर किसी ने उनका साथ दिया। तब भाजपा का काम देख रहे अजय दास बताते हैं कि शहर की पुरानी बस स्टैंड बूथ पर ही केवल भाजपा को बढ़त मिली थी।



मुख्य शहर के अलीगंज बूथ पर भाजपा को एक वोट नहीं मिला था। फिर फरवरी 1985 में मुख्यमंत्री चंद्रशेखर सिंह की अगुवाई में पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव में उतरी। चंद्रशेखर सिंह दूसरी बार बड़े अंतर से बांका के विधायक बने। लेकिन, चुनाव के बाद कांग्रेस ने चंद्रशेखर सिंह की जगह बिंदेश्वरी दूबे को मुख्यमंत्री की शपथ दिलाई।

इस दो साल के दौरान चंद्रशेखर सिंह ने पहले लोकसभा से इस्तीफा देकर अपनी पत्नी मनोरमा सिंह को सांसद बनाया। ठाकुर कामख्या सिंह ने इस्तीफा देकर चंद्रशेखर सिंह को विधायक बनाया। 1985 में मुख्यमंत्री नहीं बनने पर फिर चंद्रशेखर सिंह ने विधायकी से इस्तीफा दे दिया और इस सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा के जनार्दन यादव विधायक बने।



वहीं, पत्नी मनोरमा सिंह ने सांसद से इस्तीफा देकर बांका लोकसभा सीट खाली किया। इसके उपचुनाव में जीतकर चंद्रशेखर सिंह लोकसभा पहुंचे और भारत सरकार में पेट्रोलियम मंत्री बने। इसी साल उनका निधन हो गया। फिर उपचुनाव में उनकी पत्नी मनोरमा सिंह सांसद बनीं।

like (0)
ChikheangForum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

Chikheang

He hasn't introduced himself yet.

210K

Threads

0

Posts

710K

Credits

Forum Veteran

Credits
73498