प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (फाइल फोटो)
दीपक बहल, अंबाला। भारतीय सेना ने ड्रोन से जीता ऑपरेशन सिंदूर...। सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों को ड्रोन तकनीक के माध्यम से ही ध्वस्त किया।
पाकिस्तान के ड्रोन भी देश के अलग-अलग राज्यों में देखने को मिले थे जिसके बाद अलर्ट भी घोषित कर दिया था। अब भारतीय सेना ड्रोन की क्षमता और विशेषताओं को आम जनता तक पहुंचाने के लिए एक ड्रोन शक्ति प्रदर्शन करने जा रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इस शक्ति प्रदर्शन में अब के आधुनिक युद्धों में ड्रोन कितने कारगर साबित हुए हैं और भविष्य में कितने कारगर होंगे। ऑपरेशन सिंदूर को प्रांतीय युद्ध की बजाय एक बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है।
आतंकवादियों की घुसपैठ रोकने के लिए और दुश्मन देशों के ड्रोनों से हम कितने सुरक्षित हैं इसको लेकर कार्यक्रम के माध्यम से जनता तक को संदेश दिया जाएगा।
ये ड्रोन उड़ती हुई मिसाइल की तरह काम करते हैं जो लक्ष्यों पर लंबे समय तक मंडराते हैं और सटीक हमले करते हैं।
भारतीय सेना ने ड्रोनों का उपयोग कर लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिदीन के 9 आतंकी ठिकानों, पाकिस्तान के चार और पीओके के 5 ठिकानों को नष्ट करने का काम किया था। हमारे ड्रोन 100 किलो वजन ले जाने में सक्षम हैं और मिसाइल भी दाग सकते हैं।
आधुनिक युद्ध में ड्रोन ही सबसे अहम
अब देश की सीमाओं पर सिर्फ सेनाओं की तैनाती से युद्ध नहीं होते बल्कि आधुनिक युद्ध में ड्रोन की भी सबसे अहम भूमिका होती है। भविष्य के युद्धों की चुनौती से निपटने के लिए ड्रोन जैसी तकनीकों को लेकर हमारी सेना सक्षम है।
दुश्मन देश के ड्रोन को गिराने और अपने ड्रोन दुश्मन देश में निशाना साधने में सफल हैं। सेना ने कई वर्षों से ड्रोन को लेकर अभ्यास भी किए गए जिनके सकारात्मक परिणाम नजर आए हैं।
आधुनिक और भविष्य के लिए तैयार की राह पर है सेना
भारतीय सेना की यह नई सोच \“ईगल इन द आर्म\“ की अवधारणा पर आधारित है। इसका मतलब है कि हर सैनिक को अपने पारंपरिक हथियार की तरह ही ड्रोन चलाने में पारंगत होना चाहिए। इन ड्रोनों का उपयोग युद्ध, निगरानी, रसद आपूर्ति और घायलों तक चिकित्सा सहायता पहुंचाने में भी किया जाएगा।
भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद ड्रोन और काउंटर-ड्रोन प्रणालियों को तेजी से अपनाना शुरू किया है। देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी, महू स्थित इन्फैंट्री स्कूल और चेन्नई की ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी में भी ड्रोन केंद्र स्थापित किए गए हैं।
इस पहल का लक्ष्य सेना की सभी शाखाओं के सैनिकों के लिए ड्रोन संचालन को मानक और अनिवार्य बनाना है। इसके साथ-साथ, काउंटर-ड्रोन उपायों को भी मजबूत किया जा रहा है। यानी सैनिकों को ड्रोन के इस्तेमाल के साथ-साथ दुश्मन के ड्रोन से निपटने के तौर तरीके भी सिखाए जा रहे हैं।
प्रत्येक इन्फैंट्री बटालियन में एक ड्रोन प्लाटून होगी, आर्टिलरी रेजिमेंट काउंटर-ड्रोन सिस्टम और \“लॉइटरिंग म्यूनिशन\“ (लड़ाकू ड्रोन) से लैस होंगी। साथ ही सटीकता और युद्धक क्षमता बढ़ाने के लिए \“संयुक्त दिव्यास्त्र बैटरियां\“ बनाई जाएंगी।varanasi-city-general,Varanasi City news,underground cable project,power lines Varanasi,RDSS scheme Varanasi,electricity infrastructure upgrade,Varanasi development projects,LNT underground cabling,street light upgrade Varanasi,traffic pole relocation,internet cable issues Varanasi,up news,uttar pradesh news,up news in hindi,up latest news,Uttar Pradesh news
संदेश साफ था कि सेना तेजी से एक आधुनिक और भविष्य के लिए तैयार सैन्य बल बनने की राह पर है।
कामिकाजी ड्रोन का सफल परीक्षण
सेना ने स्वदेशी फर्स्ट पर्सन व्यू कामिकाज़ी ड्रोन को अपनी बेड़े में शामिल करने के लिए सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। ये ड्रोन एक एंटी-टैंक मुनिशन्स से लैस होते हैं और दुश्मन के टैंकों, बख्तरबंद वाहनों या बंकरों पर आत्मघाती हमला करने में सक्षम हैं।
पायलट एफपीवी गॉगल्स का उपयोग करके ड्रोन के कैमरे से सीधा लाइव दृश्य देखते हैं, जिससे उन्हें हाई-स्पीड पर भी लक्ष्य को सटीक रूप से भेदने की सुविधा मिलती है। यह परीक्षण \“फ्लेर-डी-लीस ब्रिगेड\“ और डीआरडीओ के सहयोग से किया गया, जो रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरत भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है।
ऑपरेशन सिंदूर और लोइटरिंग मुनिशन्स
ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने ड्रोन तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग करके अपनी हमले की क्षमता का प्रदर्शन किया।
हमले में उपयोग
इस ऑपरेशन में स्काई स्ट्राइकर और हारोप जैसे लोइटरिंग मुनिशन्स (आत्मघाती ड्रोन) का उपयोग किया गया। इन ड्रोनों ने पाकिस्तान और पीओके में स्थित आतंकवादी ठिकानों को सटीकता से निशाना बनाया।
इस ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान की ओर से किए गए ड्रोन हमलों को भी भारत की एकीकृत वायु रक्षा प्रणाली ने सफलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया, जिसने भारत की काउंटर-ड्रोन क्षमताओं को भी साबित किया।
स्वदेशी रूप से विकसित लोइटरिंग मुनिशन्स नागास्त्र-1 को भी सेना में शामिल किया गया है, जो अग्रिम पंक्ति की सैन्य टुकड़ियों को सामरिक हमला क्षमता प्रदान करता है।
लंबी दूरी की निगरानी और टोही
लगातार बढ़ते सीमा विवादों के बीच, सेना ने अपनी लंबी दूरी की निगरानी क्षमताओं का प्रदर्शन किया है। हेरॉन एमके-2 भारत ने इज़राइल से उन्नत हेरॉन मार्क-2 मेल (मीडियम अल्टीटयूड, लॉन्ग एंडुरेंस) ड्रोनों को चीन से लगी सीमा (एलएसी) पर तैनात किया है।
ये ड्रोन 30 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भर सकते हैं और लंबी दूरी तक रियल-टाइम खुफिया जानकारी प्रदान करते हैं। सेना ने स्वार्म ड्रोन सिस्टम की क्षमता भी प्रदर्शित की है, जहां एक साथ कई ड्रोन उड़कर दुश्मन के वायु रक्षा प्रणालियों को भ्रमित करते हैं और एक साथ कई लक्ष्यों को नष्ट कर सकते हैं।
संक्षेप में, भारतीय सेना अब न केवल निगरानी के लिए, बल्कि सटीक हमले और काउंटर-ड्रोन रक्षा के लिए भी ड्रोन को अपनी युद्ध रणनीति का अभिन्न अंग बना रही है।
\“कोल्ड स्टार्ट\“ अभ्यास
यह भारतीय सेना का सबसे बड़ा आगामी शक्ति प्रदर्शन होगा जो ड्रोन को युद्ध रणनीति के केंद्र में रखता है। यह भारत की पहली एकीकृत ड्रोन और काउंटर-ड्रोन युद्ध ड्रिल होगी।
यह अभ्यास भारत के \“कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत\“ पर आधारित होगा, जिसका उद्देश्य परमाणु सीमा का उल्लंघन किए बिना दुश्मन को त्वरित और दंडात्मक झटका देना है।
इस अभ्यास का नामकरण पाकिस्तान को एक स्पष्ट “हॉट सिग्नल“ माना जाता है, जो यह दर्शाता है कि भारतीय सेना अब अपनी एकीकृत आक्रामक कार्रवाइयों में ड्रोन को तेजी से शामिल कर रही है।
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