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रामपुर की मिट्टी हांडी: सोंधी खुशबू से महकते देसी व्यंजन और बढ़ता परंपरागत क्रेज

deltin33 2 hour(s) ago views 1054

  



राधेश्याम, जागरण, रामपुर: रामपुर में बनी मिट्टी की हांडी में बने व्यंजनों की सोंधी खुशबू हर आम और खास को अपनी ओर खींच रही है। मिट्टी हांडी की सोंधी खुशबू से महक रहे पनीर, दाल, बिरयानी और अन्य व्यंजन लोगों को अपनी ओर खींच रहे हैं। घरों में लोग जहां मिट्टी के बर्तनों को तवज्जों दे रहे हैं वहीं, उच्च स्तरीय होटलों में मिट्टी हांडी में परोसे जाने वाले व्यंजनों की डिमांड दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

नतीजन, रामपुर जिले से दूसरे प्रदेशों में मिट्टी की हांडी और अन्य सामग्री की सप्लाई की जा रही है। अब कुंभकार केवल मिट्टी के दिये बनाने तक सीमित नहीं हैं। माटी कला बोर्ड के प्रयासों आधुनिक तकनीक और संसाधनों से जिले के करीब 500 परिवार अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।मिट्टी की पारंपरिक कलाकृतियां हमेशा से भारत की संस्कृति का हिस्सा रही हैं। ऐसे में पारंपरिक कला को आधुनिकता का लुक देकर नई पीढ़ी तक पहुंचाने का बीड़ा कुम्हारों ने उठाया है।

मिट्टी के बर्तनों में पकाया हुआ खाना न केवल स्वास्थ्यवर्धक होता है, बल्कि इसका स्वाद भी लाजवाब होता है। सौंधी खुशबू और मसालों का मेल एक ऐसा जायका तैयार करता है जिसे कोई भी भूल नहीं सकता। आज के दौर में मिट्टी के बर्तन केवल सेहत के लिहाज से ही नहीं, बल्कि सजावट और पारंपरिकता के लिए भी पसंद किए जा रहे हैं। खूबसूरत कलाकारी से सजे ये बर्तन किचन और डाइनिंग टेबल को एक देसी और आकर्षक रूप देते हैं।

सुबह की चाय कुल्हड़ में हो या ठंडा पानी मटकी में, इसका अनुभव अलग ही होता है। होटलों में मटन चाप बिरयानी मिट्टी की मटकी में दम पर बनती है, जिसमें मटन चापली कबाब, काजू और खास मसाले इसका स्वाद शाही बना देते हैं। वहीं होटलों में मिट्टी की हांडी में परोसे जाने वाले हांडी पनीर, दाल हांडी, बेज बिरयानी और अन्य व्यंजन लोगों को अपनी ओर खींच रहे हैं।
कैटर्स की पसंद में मिट्टी की क्राकरी

शादी विवाह व अन्य आयोजनों में पहले स्टील, पीतल, कांच और प्लास्टिक की क्राकरी देखने को मिलती थी। लेकिन अब धीरे धीरे मिट्टी की डाई से तैयार मिट्टी की क्राकरी कैटर्स की भी पसंद बनती जा रही है। शहरी दावतों के साथ ग्रामीण आंचल तक मिट्टी के बर्तनों में खाना परोसना व खिलाने तक का प्रचलन बढ़ रहा है।

समारोह में टिक्की, दही भल्ला, मुरादाबादी मूंग की दाल, काला जाम, छेना खीर, रस मलाई और दही मिट्टी की कटोरियों और प्लेटों में परोसा जा रहा है। वहीं, मिट्टी के कुल्हड़ में परोसे जाने वाले दूध और चाय अपनी सोंधी ख़ुशबू का अहसास कराते हैं। मिट्टी से बना कूकर में सामान्य कूकर की तरह सिटी भी है। इसमें बने खाने में मिट्टी की खुशबू स्वाद बढ़ा देती है। ऐसी ही कड़ाही भी है। यह तीन लीटर तक की क्षमता वाली है।
माटी कला बोर्ड ने व्यवसाय को दिए पंख

माटी कला बोर्ड की ओर जिलेभर में 350 कुंभकारों को 18 हजार रुपये की कीमत के इलेक्ट्रिक चाक निशुल्क वितरित किए जा चुके हैं। मिट्टी गूंथने, छानने और पीसने की तीन मशीन सिंगनखेड़ा, परतापुर और शाहबाद में लगीं हैं। इसके अलावा सरकार की ओर से 100 कुंभकारों को मिटटी निकालने के लिए तालाब के पट्टे जिला प्रशासन की ओर से किए गए हैं।

कुंभकारों के उत्थान के लिए जिले में तीन समितियां बनाई गई हैं। मिटटी के उत्पाद बनाने में प्रदेश में रामपुर जिले का तीसरा स्थान है। माटी कला से सजावटी घरेलू मूर्तियां व बर्तन बनाने के लिए तमाम सुविधाएं दे रहा है। सब्सिडी पर लोन दिया जाता है।
पारंपरिक मिट्टी की कला को मिला आधुनिक लुक

कलाकारों की प्रतिभा मिट्टी के बर्तनों के अलावा सुराई, मटका, बच्चों के लिए गुल्लक, मूर्तियों में दिख रही है। इंटीरियर डिजाइनर भी मिट्टी के बर्तनों से घर व प्रतिष्ठान व आफिस की सजावट करा रहे हैं। इन दिनों मिट्टी की लैंप कई होटल व रेस्टोरेंट में नजर आ रही हैं। आप सभी ने मिट्टी से बने गमले, मटके और गुल्लक देखे होंगे।जो कुम्हार सालों से बनाते आ रहे हैं।लेकिन, अब कुम्हार मिट्टी से बने बर्तन और सजावट का सामान बना रहे हैं। अब बाजार में मिट्टी के कुकर, तवा, पैन, बोतलें, गमले, घंटियां और कई तरह का अन्य सामान बेचा जा रहा है। लोग मिट्टी के प्रेशर कुकर, तवा, पैन, पानी की बोतलें सब कुछ काफी पसंद कर रहे हैं।

  


जिले से मिट्टी की हांडी मुरादाबाद, बरेली, दिल्ली, रुद्रपुर, बाजपुर, काशीपुर, हल्द्वानी, नैनीताल, हरिद्वार, देहरादून आदि शहरों के होटलों को सप्लाई की जा रही हैं। मिट्टी से बने सजावटी समान, चाय, दूध और दही के कुल्हड़, बरातों व अन्य समारोह के मिट्टी की कटोरी भी कई शहरों को सप्लाई की जा रही हैं। उत्तराखंड के अलावा लखनऊ तक में सामान सप्लाई किया जा रहा है। योगी सरकार ने मिट्टी के बर्तन के कारोबार को आधुनिकता से जोड़ा है। माटी कला बोर्ड ने कुम्हारों के उत्थान के लिए जो योजनाएं चलाई हैं। उसके जीवन स्तर उन्नत हुआ है।

राजीव लोचन, सभापति, माटी कला औद्योगिक उत्पादन सहकारी समिति, प्रतापपुर।
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