जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सर गंगाराम अस्पताल के सर्जनों ने 24 वर्षीय युवक का ऑपरेशन कर जन्म के बाद पेट में रह गई टेस्टिज से बने जर्म सेल ट्यूमर को लैप्रोस्कोपिक तकनीक से सफलतापूर्वक निकाला। युवक जन्म से ही पेट में रह गई टेस्टिज (अनडिसेन्डेड टेस्टिस) की स्थिति से ग्रस्त था, यानी उसकी एक टेस्टिज जन्म के बाद अंडकोश थैली (स्क्रोटम) में नहीं उतर पाई थी। जो बाद में ट्यूमर बनने की वजह बनी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इस संबंध में बताया गया कि युवक पेट में भारीपन व गांठ की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचा था। जांच में पता चला कि उसके पेट में 24 गुणा 14 गुणा 15 सेंटीमीटर आकार का ट्यूमर है। जटिल सर्जरी से इसे निकालने का काम प्रो. डाॅ. आशीष डे के नेतृत्व में प्रो. डाॅ. तरुण मित्तल, डाॅ. अनमोल आहुजा, डाॅ. श्रेष्टा मंग्लिक, डाॅ. अभिनीत व डाॅ. आशिक की टीम ने किया।
प्रो. डा.आशीष डे ने बताया कि पूरी प्रक्रिया लैप्रोस्कोपिक तकनीक से की गई और ट्यूमर को सुरक्षित रूप से एक ही टुकड़े में निकाला गया। मरीज अगले दिन स्वस्थ होकर घर लौट गया। डाॅ. डे के अनुसार, यह समस्या हर 30 में से लगभग एक पूर्ण-कालिक और हर तीन में से एक समय से पहले जन्में बच्चे में पाई जाती है।
इस स्थिति वाले पुरुषों को टेस्टिकुलर कैंसर का खतरा सामान्य पुरुषों की तुलना में तीन से आठ गुना अधिक होता है। इसलिए उपचार के रूप में ऑर्किडोपेक्सी सर्जरीज्न्म से 18 महीने तक की आयु के बीच कराना आवश्यक होता है, प्रश्नगत मामले में युवक 24 का हो गया था। सलाह दी है कि हर नवजात की टेस्टिज स्थिति की नियमित जांच की जानी चाहिए ताकि कैंसर और बांझपन से बचाव हो सके।
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