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अभी नहीं शुरू होगा देहरादून-दिल्‍ली एक्‍सप्रेसवे, रिंग रोड प्रोजेक्‍ट में देरी से देहरादून में लगेगा भीषण जाम

Chikheang 2 hour(s) ago views 233

  

फरवरी 2026 और उसके आसपास दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे शुरू हो जाएगा। प्रतीकात्‍मक



सुमन सेमवाल, जागरण देहरादून। कहते हैं आपातकाल से पहले परिस्थितियों को वश में कर लेना चाहिए। आमजन को तो नहीं, पर सरकार जैसे सुदृढ़ संगठन से इस बात पर अमल की उम्मीद तो की ही जाती है। अफसोस कि राजधानी दून की यातायात व्यवस्था के मोर्चे पर आज तक ऐसा नजर नहीं आया। समय रहते सरकार दून की रिंग रोड परिकल्पना को धरातल पर नहीं उतार पाई और शहर की जो सड़कें/जंक्शन अपनी डिजाइन क्षमता को पार कर चुके हैं, उनकी दिशा में भी ठोस कार्य नहीं किए जा सके। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

यातायात व्यवस्था देहरादून की एक ज्वलंत समस्या बन चुकी है और कुछ समय बाद ही यहां के हालात और विकट हो सकते हैं। क्योंकि, फरवरी 2026 और उसके आसपास दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे शुरू हो जाएगा। जिसके बाद दून में वाहनों का दबाव 25 प्रतिशत तक और बढ़ सकता है। जाहिर है, उस स्थिति में जाम बेकाबू स्थिति में पहुंच सकता है। वहीं, दिल्ली, हरिद्वार या पांवटा साहिब की तरफ से जो वाहन सरपट शहर की सीमा तक आएंगे, इसके बाद उन्हें भी भीषण जाम का समाना करना पड़ेगा।

बेहतर होता कि एक्सप्रेसवे के निर्माण शुरू किए जाने के साथ ही देहरादून में आउटर रिंग रोड की परिकल्पना को धरातल पर उतारने का काम शुरू कर दिया जाता। हालांकि, हम इससे पहले तब भी नहीं जागे, जब हरिद्वार-देहरादून राजमार्ग मोहकमपुर तक फोरलेन में तब्दील किया जा चुका था। और तब भी नहीं जागे तब पांवटा साहिब राजमार्ग का चौड़ीकरण शुरू किया गया। यह राजमार्ग भी शीघ्र शुरू होने वाला है। यदि समय रहते तैयार होते तो सहारनपुर, दिल्ली, हरिद्वार या पांवटा साहिब की तरफ आने वाले वाहनों दून शहर के भीतर प्रवेश न करना पड़ता।

वहीं वाहन शहर में प्रवेश करते, जिन्हें शहर के भीतर काम है। बाकी वाहन आउटर रिंग रोड से अपने गंतव्य की तरफ निकल जाते। इस समय दून शहर को बाहरी वाहनों के दबाव से बचाने के लिए रिस्पाना-बिंदाल एलिवेटेड रोड, मोहकमपुर आरओबी से आशारोड़ी तक एलिवेटेड रोड जैसी अति महत्वाकांक्षी योजनाओं पर काम चल रहा है। लेकिन, दोनों ही अभी धरातल से दूर हैं। यदि जल्द ही इन पर निर्माण कार्य शुरू किया जाए, तब भी इन्हें पूरा होने में कम से कम ढाई साल का समय लग जाएगा। जिसका मतलब यह हुआ कि इस अवधि तक दून को भीषण जाम से जूझने के लिए तैयार रहना होगा।
दून में इस तरह डिजाइन क्षमता को पार कर गया वाहन दबाव

  • जंक्शन/सड़क, पीसीयू डिजाइन, पीसीयू दबाव
  • घंटाघर, 3600, 14282
  • प्रिंस चौक, 2900, 17090
  • लालपुल, 2900, 16664
  • आराघर चौक, 2900, 12272
  • रिस्पना पुल, 2900, 16453
  • सर्वे चौक, 1200, 6845
  • आइएसबीटी, 3600, 9916
  • शिमला बाईपास, 1200, 5739
  • बल्लीवाला, 1200, 9603
  • सहारनपुर चौक, 2900, 7208
  • बल्लूपुर चौक, 2900, 6211
  • प्रेमनगर, 2400, 7496
  • रायपुर चौक, 2400, 2917
  • मसूरी डायवर्जन, 2900, 6305
  • हरिद्वार बाईपास, 1500, 9639
  • आइटी पार्क क्षेत्र, 2400, 2839
  • पांवटा साहिब रोड, 2400, 4845


  
गेम चेंजर परियोजनाओं की वर्तमान स्थिति

मोहकमपुर आरओबी से आशारोड़ी तक प्रस्तावित 12 किमी एलिवेटेड रोड परियोजना का एलाइनमेंट पास हो गया है, लेकिन अभी टेंडर प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। 1500 करोड़ रुपये की इस परियोजना के निर्माण के बाद सहारनपुर या हरिद्वार की तरफ आवागमन करने वाले वाहनों को शहर में प्रवेश नहीं करना पड़ेगा। यह देहरादून की आउटर रिंग रोड का पहला चरण भी है। हालांकि, परियोजना में जितना विलंब होगा, नागरिकों को उतनी ही परेशानी भी उठानी पड़ेगी।


रिस्पना-बिंदाल एलिवेटेड रोड

करीब 26 किलोमीटर के दोनों कारिडोर के निर्माण के बाद मसूरी की तरफ जाने वाले वाहनों को शहर में प्रवेश नहीं करना पड़ेगा। यहां तक कि इंटरचेंज की सुविधा के कारण निर्धारित स्थलों पर शहर के वाहन भी एलिवेटेड रोड परे आवागमन कर सकेंगे। 5000 करोड़ रुपये से अधिक की इस परियोजना पर अभी जमीन अधिग्रहण तक की प्रक्रिया अधूरी है।


51 किमी रिंग रोड का धरातल अभी दूर

राजमार्ग और स्थानीय वाहनों के दबाव को पृथक करने के लिए दून में 51 किलोमीटर लंबी आउटर रिग रोड प्रस्तावित है। अलग-अलग चरण में बनने वाली इस परियोजना का अभी पहला चरण भी शुरू नहीं किया जा सका है। यह स्थिति तब है जब देहरादून में रिंग रोड की कवायद वर्ष 2010 से की जा रही है। लोनिवि, राजमार्ग खंड और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) के बीच मंथन और सर्वे के बाद अब जाकर यह तय किया जा सका कि इस काम को एनएचएआइ ही करेगा। फिर भी परियोजना में अभी लंबा समय लगेगा।


निजी वाहनों पर तक निर्भरता नहीं घटा पाया सिस्टम

यह स्पष्ट हो चुका है कि दून की सड़कों पर वाहनों का दबाव क्षमता से छह गुना तक हो चुका है। सड़कों की चौड़ाई बढ़ाने की गुंजाइश भी 10 प्रतिशत से अधिक नहीं दिखती। ऐसे में जाम से निपटने के लिए सिर्फ एक अहम माध्यम यह नजर आता है कि लोग सार्वजनिक परिवहन का अधिक से अधिक प्रयोग करें। हालांकि, यह तब हो पाएगा, जब सार्वजनिक परिवहन की सुविधा बेहतर होगी। वर्ष 2041 तक के मास्टर प्लान में किए गए सर्वे के मुताबिक दून में दो लाख से अधिक परिवार निवास करते हैं, जिनकी आबादी 13 लाख से अधिक है। इनमें से 85 प्रतिशत परिवार परिवहन के लिए निजी वाहनों पर निर्भर हैं। सर्वे में यह भी बताया गया है कि अधिकतर लोग कामकाज के सिलसिले में सफर तय करते हैं। स्पष्ट है कि कामकाजी आबादी को यदि परिवहन के सुगम व सुलभ साधन मिलें तो इससे सड़कों पर यातायात का दबाव नियंत्रित किया जा सकता है।

  
दून की 199 किलोमीटर सड़कें 12 मीटर भी चौड़ी नहीं

वाहन दबाव के हिसाब से शहर की सड़कों की चौड़ाई बेहद कम है। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शहर को 43 प्रतिशत सड़कों की चौड़ाई 12 मीटर से भी कम है। दून शहर में सड़क नेटवर्क 462.95 किलोमीटर का है। इसमें से 199.49 किलोमीटर लंबाई की सड़कों की चौड़ाई 12 मीटर से भी कम है। इतनी चौड़ाई किसी कालोनी में एक सिंगल यूनिट घर बनाने के लिए ही उपयुक्त मानी जाती है। वैसे किसी कालोनी में माध्यम स्तर तक के निर्माण के लिए सड़क की चौड़ाई कम से कम 18 मीटर होनी चाहिए। जिस दून में इस तरह के निर्माण की भरमार है, वहां 65 प्रतिशत सड़कें ऐसी हैं, जो 18 मीटर से कम चौड़ी हैं। सिर्फ 10 प्रतिशत के आसपास की ही ऐसी सड़कें हैं, जो 30 से 80 मीटर तक चौड़ी हैं। सड़कों की मौजूदा चौड़ाई देखकर ही पता लगाया जा सकता है कि यहां यातायात की स्थिति क्या रहती होगी और भविष्य में क्या हालात होंगे।


सड़कों की चौड़ाई की स्थिति

  • रोड नेटवर्क, चौड़ाई, प्रतिशत
  • 199.49 किमी, 12 मीटर से कम, 43.09 प्रतिशत
  • 214.51 किमी, 12 से 30 मीटर, 46.34 प्रतिशत
  • 36.51 किमी, 30 से 50 मीटर, 7.85 प्रतिशत
  • 12.62 किमी, 50 से 80 मीटर, 2.73 प्रतिशत


  
सर्वाधिक 363 किलोमीटर सड़कें नगर निगम के अधीन

दून में रोड नेटवर्क का आकलन करने पर पता चलता है कि सर्वाधिक 363 किलोमीटर सड़कें नगर निगम के अधीन हैं। इन्हीं के हालात सबसे अधिक खराब हैं। ऐसी सड़कों पर पार्किंग की सुविधा तो दूर फुटपाथ तक के इंतजाम नहीं हैं। इसके अलावा 130 किलोमीटर सड़कें लोनिवि के अधीन हैं और इनकी चौड़ाई यातायात दबाव के हिसाब से कम है। साथ ही रोड साइट लैंड कंट्रोल एक्ट का पालन न किए जाने के चलते सड़कों का बड़ा हिस्सा अतिक्रमण की भेंट चढ़ा है।
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