deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

अकेले देखे जाने वाली वेब सीरीज क्यों बन रही है? इस सवाल का आदर्श गौरव ने दिया ये जवाब

deltin33 2025-11-7 02:08:20 views 1005

  

संवादी के तीसरे सत्र बेव सीरीज की तिलिस्मी दुनिया में चर्चा करते अभिनेता आदर्श गौरव साथ में उपन्यासकार मनोज राजन। जागरण   






दीप चक्रवर्ती, लखनऊ। फिल्म हो, सीरियल हो या फिर वेब सीरीज, मूल में सबके कथा है। कहानी है। किस्साबयानी है। कंटेंट कह लीजिए। कथा प्रासंगिक होगी, कथन दिलचस्प होगा तो दर्शक को छुएगा ही। वेब सीरीज की शैली दर्शकों के बीच एक ताजा हवा की तरह आई, जिसने किस्साबयानी के नए-नए आयाम खोलने शुरू किए, लेकिन जैसे हवा अपने साथ करकट और सूखे पत्ते भी उड़ा लाती है, यह नया माध्यम भी अपने साथ कुछ ऐसी चीजें लेकर आया, जो दर्शकों के एक बड़े वर्ग को असहज कर गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

कंटेंट के नाम पर दर्शकों पर गालियों और कामुकता के अतिरेक की बमबारी कितनी उचित या अनुचित है, यह चर्चा लंबे समय से जारी है। सत्र वेब सीरीज की तिलिस्मी दुनिया में अभिनेता आदर्श गौरव ने अपने अभिनय और निर्देशन दोनों ही के अनुभवों के आधार पर इन प्रासंगिक प्रश्नों के उत्तर दिए और इस रुपहली दुनिया के तिलिस्म को परत-दर-परत सुझलाने की कोशिश की। उनके साथ संवाद किया लेखक, कवि व पत्रकार मनोज राजन ने।

मनोज राजन का पहला सवाल ही वेब सीरीज में गालियों के बढ़ते चलन पर रहा। प्रश्न को वक्रता में लपेटकर उन्होंने पूछा, ये अकेले देखे जाने वाली वेब सीरीज क्यों बन रही है? आदर्श उनका आशय समझ गए। उन्होंने कहा, निर्माता जब सीरीज बना रहा होता है और किरदारों को गढ़ने की प्रक्रिया में होता है तो उसके परिवेश के अनुसार गालियां जगह बनाती हैं, लेकिन जब जानबूझकर अपशब्द थोपते हैं तो वह बनावटी लगता है और यह ठीक भी नहीं। इस पर प्रतिप्रश्न हुआ कि क्या इसके नियमन के लिए कोई रेगुलेटरी बाडी होनी चाहिए।

गौरव ने बिना हिचक कहा, नहीं। यह अभिव्यक्ति का एक स्वतंत्र मंच है। इससे रचनात्मक स्वतंत्रता बाधित होगी। एक ऐसे मंच की गुंजाइश बनी रहनी चाहिए, जहां निर्माता खुलकर अपनी बात कह सके। कुछ लोग सीरीज में गालियां रखना चाहते हैं, लेकिन रख नहीं पाते क्योंकि इससे सेंसर बोर्ड सीरीज को एडल्ट सर्टिफिकेट दे देगा, जिससे उनकी आमदनी आधी हो जाएगी। ऐसे ही कई पक्षों को देखते हुए ही इसका निर्णय लेना पड़ता है कि पात्र की स्वाभाविकता को ध्यान में रखें या फिर व्यापारिक पक्ष को।

वेब सीरीज में कामुकता की भरमार की क्या जरूरत है? आदर्श ने कहा, काम को लेकर इतनी असहजता पश्चिमी देशों से आई है। उन्होंने तो अपनी यह समस्या सुलझा ली, लेकिन हम पर यह मानसिकता लाद गए। यदि कहानी की मांग है तो कामुकता को पर्दे पर क्यों नहीं दिखा सकते। हिंसा पर भी बात हुई। मनोज ने प्रश्न किया कि हिंसा का फिल्मांकन अब वीभत्सता में बदल गया है। क्या यह भी कहानी की डिमांड हो सकती है।

आदर्श ने कुछ समय लिया, फिर कहा- मैंने महसूस किया है कि समाज में गुस्सा बढ़ रहा है। खासकर शहरों में लोग जाम, बदहाल सड़कों जैसी समस्याओं से नाराज हैं। यही किरदारों में प्रक्षेपित हो रहा है। मुझे लगता है कि फिल्में वीडियो गेम्स की तरह होती जा रही हैं, जहां जबरदस्त हिंसा होती है। अब यह सही है या गलत इसका निर्णय कौन करे। कहा- नेटफ्लिक्स पर सबसे लोकप्रिय कंटेंट सीरियल किलर की कहानियां हैं।

लोग पापकार्न खाते हुए सीरियल किलर की डाक्यूमेंट्री देख लेते हैं। सवाल हुआ कि क्या यह हिंसा लोगों पर प्रभाव डालती है। आदर्श ने कहा कि जो भी आप देख सुन रहे हैं, वह प्रभावित तो करता ही है। कितनी मात्रा में करता यह मुख्य बात है। हमने भी वीडियो गेम्स खेले हैं, लेकिन हम पर उसका दुष्प्रभाव सौभाग्यवश नहीं पड़ा, लेकिन यह बात सबके लिए नहीं कही जा सकती।

गुल्लक, पंचायत और बंदिश बैंडिट्स जैसी वेब सीरीज का आना क्या इस बात का परिणाम है कि हिंसा, गालियों और कामुकता की भरमार से एक रिक्तता पैदा हुई है। आदर्श ने कहा, बिल्कुल ऐसा हो सकता है। मुझे लगता है वी आर ट्रेंड फालोअर्स, नाट ट्रेंड सेटर्स (हम अनुसरण करते हैं, नेतृत्व नहीं)। इसलिए ऐसा पैटर्न वेब सीरीज में दिखता है। बतौर स्टोरीटेलर हमें रिक्स लेना होगा तभी यह एकरूपता टूटेगी।
like (0)
deltin33administrator

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

deltin33

He hasn't introduced himself yet.

210K

Threads

0

Posts

710K

Credits

administrator

Credits
73866