Ganadhipa Chaturthi 2025: गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के भोग।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश को समर्पित है। हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से बप्पा भक्तों के जीवन से सभी कष्टों और बाधाओं को हर लेते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, 08 नवंबर को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। इस दिन (Ganadhipa Chaturthi 2025) चंद्र दर्शन रात 08 बजकर 01 मिनट पर होगा, तो आइए यहां शुभ कर्ता के प्रिय भोग के बारे में जानते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
भगवान गणेश को लगाएं उनके प्रिय भोग
- मोदक/लड्डू - भगवान गणेश को मोदक सबसे प्रिय हैं। भोग में मोदक अर्पित करने से भगवान खुश होकर अपने भक्तों को बुद्धि और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
- दूर्वा और गुड़ - गणेश जी को 21 दूर्वा अर्पित करना और साथ में गुड़ का भोग लगाना विशेष फलदायी होता है। इससे धन-धान्य में वृद्धि होती है।
- केला - फलों में गणेश जी को केला बहुत पसंद है। केले का भोग लगाने से कार्यों में सफलता मिलती है।
- नारियल - नारियल का भोग संकटों को दूर करने वाला माना जाता है।
पूजा का महत्व और लाभ (Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2025 Significance And Benefits)
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से जीवन की सभी बाधाओं और कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने से कुंडली का चंद्र दोष दूर होता है। भगवान गणेश को बुद्धि और सौभाग्य का देवता माना जाता है। ऐसा कहते हैं कि उनकी आराधना से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पूजन मंत्र (Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2025 Pujan Mantra)
ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा:।।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ, निर्विघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा:।।
ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा:।।
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