राज्य ब्यूरो, लखनऊ। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) ने मेरठ की ग्लैमर फार्मास्युटिकल्स और नार्दन इंडिया कैमिकल वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड, कानपुर की सिग्ना फार्मा को दवा निर्माण के जरूरी मानक पूरा न करने के कारण नोटिस जारी किया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
एफएसडीए ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएसओ) के साथ मिलकर इन दवा कंपनियों में कफ सीरप के निर्माण, गुणवत्ता, भंडारण और आपूर्ति की प्रक्रिया की जांच की थी। जिसमें कई तरह की कमियां पाई गई थी। इससे पहले हापुड़ की एक दवा कंपनी को भी नोटिस जारी किया जा चुका है।
राजस्थान व मध्य प्रदेश में कफ सीरप पीने के कारण बच्चों की मौत के बाद प्रदेश में दवा बनाने वाली कंपनियों का औचक निरीक्षण एफएसडीए व सीडीएसओ कर रहा है। इसी के तहत मेरठ और कानपुर की सिग्ना फार्मा का जोखिम आधारित निरीक्षण (रिस्क बेस्ड इंस्पेक्शन) किया गया।
तीनों दवा निर्माण इकाइयों के निरीक्षण में उत्पादन के तरीके, उत्पाद की गुणवत्ता मानकों की जांच, दवा आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े दस्तावेजों में गड़बड़ी का पता चला था। इसी आधार पर तीनों कंपनियों को नोटिस जारी किया गया है। इससे पहले हापुड़ की एक दवा निर्माण कंपनी को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया जा चुका है।
प्रदेश में दवा की दुकानों के साथ ही कफ सीरप बनाने वाली निर्माण इकाइयों की जांच की गई है। प्रदेश में कुल 17 ऐसी कंपनियां मिली थीं, जो कफ सीरप बना रही थीं। इनमें चार कंपनियों को अब तक नोटिस जारी किया जा चुका है। ड्रग कंट्रोलर शशि मोहन ने बताया कि दवा निर्माण इकाइयों के जवाब का इंतजार किया जा रहा है। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
कफ सीरप के 230 नमूनों में नहीं मिला डीईजी
राजस्थान व मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ सीरप पीने से बच्चों की मौत के बाद प्रदेश में एफएसडीए ने अभियान चलाकर 1064 कफ सीरप के नमूने लिए थे। इनमें से अब तक 230 की जांच की जा चुकी है। अभी तक जांच किए गए किसी भी नमूने में डाइथिलीन ग्लाइकाल (डीईजी) और प्रोपाइलीन ग्लाइकाल (पीईजी) नहीं मिला है।
इन्हीं रसायनों की अधिकता के कारण बच्चों की मौत हुई थी। गौरतलब है कि एफएसडीए की जांच में पता चला था कि प्रदेश में कहीं भी कोल्ड्रिफ सीरप की आपूर्ति नहीं हुई थी लेकिन सावधानी बरतते हुए बच्चों के कफ सीरप के नमूने जांच के लिए लिए गए थे। |