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रतन टाटा कौन सी कसम देकर गए, जो मेहली मिस्त्री को छोड़ना पड़ा टाटा ट्रस्ट? नोएल टाटा को लिखे पत्र ने कर दिया भावुक

Chikheang 1 hour(s) ago views 185

  

मेहली मिस्त्री ने टाटा ट्रस्ट्स से औपचारिक रूप से अलग होने की घोषणा कर दी है।



नई दिल्ली| मेहली मिस्त्री ने टाटा ट्रस्ट्स से औपचारिक रूप से अलग होने की घोषणा (Mehli Mistry Resigns from Tata Trusts) कर दी है। उन्होंने टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन नोएल टाटा (Noel Tata) को एक लेटर भी लिखा है। जिसमें उन्होंने साफ कहा कि वे संस्था की छवि को किसी भी विवाद में नहीं घसीटना चाहते और यह वादा उन्होंने दिवंगत रतन टाटा (Ratan Tata) से किया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

मिस्त्री ने अपने पत्र में लिखा है कि,


“मेरी प्रतिबद्धता रतन टाटा की सोच के प्रति है, जिसमें यह जिम्मेदारी भी शामिल है कि टाटा ट्रस्ट्स किसी विवाद में न उलझे। अगर विवाद बढ़ाया गया तो संस्था की साख को गहरी चोट पहुंचेगी।“


मिस्त्री यह भी कहा कि उन्होंने यह लेटर नोएल टाटा को इसलिए भेजा है ताकि \“बिना आधार वाली अटकलों पर विराम लगाया जा सके\“, जो संस्था के हित में नहीं हैं।
\“मैं अलग हो गया\“

मेहली मिस्त्री ने लेटर (Mehli Mistry Letter) में लिखा है कि ट्रस्ट्स में रहते हुए वे रतन टाटा की \“एथिकल गवर्नेंस, शांत परोपकार और ईमानदारी\“ की सोच से प्रेरित रहे। उन्होंने उम्मीद जताई कि आगे भी ट्रस्टी पारदर्शिता, सुशासन और सार्वजनिक हित को केंद्र में रखकर काम करेंगे।

पत्र के अंत में उन्होंने लिखा,


“I part ways (मैं अलग हो गया)। कोई भी व्यक्ति उस संस्था से बड़ा नहीं होता जिसकी वह सेवा करता है।“


यह भी पढ़ें- \“भाई को गुजरे एक साल हुआ और...\“, Ratan Tata की बहनों ने क्यों जताई चिंता? बोलीं- खतरे में है टाटा ट्रस्ट
पिछला विवाद और कानूनी तैयारी

पिछले हफ्ते खबर आई थी कि मेहली मिस्त्री को टाटा ट्रस्ट से बाहर कर दिया गया है, क्योंकि उनके लाइफ ट्रस्टीशिप के नवीनीकरण को नोएल टाटा, वेणु श्रीनिवासन और विजय सिंह ने मंजूरी नहीं दी। सोमवार को उन्होंने महाराष्ट्र चैरिटी कमिश्नर के सामने एक केविएट दायर किया है, ताकि ट्रस्ट बोर्ड में बदलाव से पहले उन्हें सुना जा सके। नियमों के अनुसार, टाटा ट्रस्ट्स को किसी भी बोर्ड बदलाव को 90 दिनों के भीतर कमिश्नर से मंजूरी लेनी होती है।

बता दें कि टाटा ट्रस्ट्स, टाटा संस की 65.9% हिस्सेदारी रखता है और यही समूह टाटा कंपनियों की होल्डिंग इकाई है। इसलिए मिस्त्री का अलग होना संस्थागत स्तर पर महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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