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ट्रिब्यून चौक पर फ्लाईओवर को लेकर हाईकोर्ट ने उठाए सवाल, चंडीगढ़ के मास्टर प्लान में प्रविधान नहीं तो परियोजना क्यों आगे बढ़ाई जा रही?

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ट्रिब्यून चौक पर प्रस्तावित फ्लाईओवर परियोजना की वैधानिकता और औचित्य पर हाईकोर्ट ने उठाए सवाल।



दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने ट्रिब्यून चौक पर प्रस्तावित फ्लाईओवर परियोजना की वैधानिकता और औचित्य पर गंभीर सवाल उठाए। कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि जब शहर के मास्टर प्लान में फ्लाईओवर का कोई प्रविधान ही नहीं है, तो प्रशासन किस आधार पर इस परियोजना को आगे बढ़ा रहा है? विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

मुख्य न्यायाधीश शील नागू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान चंडीगढ़ प्रशासन से तीखे सवाल किए। खंडपीठ ने कहा कि मास्टर प्लान साफ कह रहा है कि शहर में फ्लाईओवर नहीं बनने हैं, तो आप इसे क्यों बना रहे हैं?

पीठ ने यह भी पूछा कि क्या शहर का मास्टर प्लान विधिवत अधिसूचित किया गया था और क्या इसमें किसी प्रकार का संशोधन करने की प्रक्रिया का पालन किया गया? इस पर कोर्ट की सहायता कर रहीं अधिवक्ता तनु बेदी ने बताया कि चंडीगढ़ मास्टर प्लान 2015 को हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद अधिसूचित किया गया था और उसमें अब तक कोई संशोधन नहीं किया गया है।
चंडीगढ़ मेट्रो शहर नहीं, साइकिल और पैदल यात्रियों का शहर

कोर्ट की सहायता करने वाली वकील तनु बेदी ने दलील दी कि चंडीगढ़ को कभी मेट्रो शहर की तरह नहीं सोचा गया था। चंडीगढ़ उन शहरों में से नहीं है जो लग्जरी एसयूवी के लिए बने हों। यह साइकिल और पैदल यात्रियों के लिए बना शहर है। उन्होंने कहा कि शहर की परिवहन नीति में सार्वजनिक परिवहन, साइक्लिंग और पैदल चलने को प्राथमिकता दी गई है।

लंबी दूरी के लिए बसों और सार्वजनिक परिवहन को प्रमुख माध्यम माना गया है, जबकि छोटी दूरी के लिए साइकिल और पैदल यात्रियों को प्राथमिकता दी गई है।बेदी ने यह भी बताया कि जिस सड़क पर फ्लाईओवर प्रस्तावित है, वह शहर की अन्य व्यस्त सड़कों की तुलना में कम भीड़ भाड़ वाली है। इसलिए वहां फ्लाईओवर निर्माण की आवश्यकता ही नहीं है।

उन्होंने यह भी कहा कि शहर के योजना ढांचे के तहत अंडरपास को भी “अंतिम विकल्प” माना जाता है, यानी केवल अत्यधिक जरूरत पड़ने पर ही ऐसे निर्माण का विचार किया जाता है। कोर्ट ने प्रशासन से इस परियोजना की वैधानिकता, मास्टर प्लान की स्थिति और प्रक्रिया संबंधी सभी बिंदुओं पर स्पष्ट जवाब मांगा है। इस मामले पर अब अगली सुनवाई वीरवार को होगी।


  


आपके शहर की विशेषता उसकी हेरिटेज अवधारणा में है। अगर वह चली गई तो सब कुछ चला जाएगा उसकी पहचान खत्म हो जाएगी, वह किसी आम शहर की तरह बन जाएगा।

-शील नागू, चीफ जस्टिस, पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के
चंडीगढ़ की विरासत अवधारणा से समझौता किया जा सकता

चीफ जस्टिस शील नागू ने तीखे शब्दों में सवाल उठाया था कि क्या ट्रैफिक जाम से राहत के लिए चंडीगढ़ की स्थापत्य और विरासत अवधारणा से समझौता किया जा सकता है? चीफ जस्टिस ने कहा कि यह मामला सिर्फ एक फ्लाईओवर का नहीं, बल्कि शहर की आत्मा से जुड़ा सवाल है। शहर की अवधारणा और ट्रैफिक जाम दोनों आमने-सामने खड़े हैं।

अब यह तय करना है कि किसे प्राथमिकता दी जाए और क्यों?” उन्होंने चेतावनी दी कि यदि एक बार इस तरह का अपवाद स्वीकार कर लिया गया, तो यह प्रक्रिया कभी रुकेगी नहीं। उन्होने कहा आज ट्रिब्यून चौक पर बनेगा, कल पंजाब साइड पर मांग उठेगी, फिर किसी और जगह। धीरे-धीरे पूरा शहर फ्लाईओवरों का जंगल बन जाएगा।
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