40 दिन दिन में होने वाला कार्य चार साल बाद भी लंबित, चंडीगढ़ इस्टेट ऑफिस की कार्यप्रणाली पर कमीशन सख्त_deltin51

Chikheang 2025-9-27 21:06:33 views 1270
  मकान नंबर की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी की ट्रांसफर के मामले में राइट टू सर्विस कमीशन ने दिखाई सख्ती।





जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। लंबे समय से लंबित प्राॅपर्टी ट्रांसफर मामले में राइट टू सर्विस कमीशन ने सख्ती दिखाई है। नियमों के तहत यह सेवा अधिकतम 40 कार्य दिवसों में पूरी हो जानी चाहिए थी, लेकिन चार साल बाद भी मामला लंबित रहा। कमीशन ने पाया कि तत्कालीन सहायक इस्टेट ऑफिसर (एईओ) हरजीत सिंह संधू ने फाइल पर कार्यवाही करने में अनावश्यक देरी की और अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के कामकाज पर भी निगरानी रखने में विफल रहे। इसके चलते सेवा समय पर प्रदान नहीं हो सकी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



कमीशन के चीफ कमिश्नर डाॅ. महावीर सिंह ने हरजीत सिंह संधू को लिखित चेतावनी दी है। इस्टेट ऑफिस को निर्देश दिया है कि जिम्मेदार अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की जाए और भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही दोबारा न हो। इस आदेश की प्रति पंजाब सरकार के मुख्य सचिव, चंडीगढ़ के इस्टेट ऑफिसर तथा संबंधित पक्षकारों को भेज दी गई है।IND vs PAK, IND Playing 11 vs PAK, IND vs PAK Playing 11, India vs Pakistan, India vs Pakistan Playing 11, India vs Pakistan final, Asia Cup 2025, Asia Cup 2025 final, Asia Cup t20, Dubai International Cricket Stadium, Dubai, aaj ka match, live match, cricket news, sports news, Indian cricket team, Pakistan cricket team, IND PAK match, Suryakumar Yadav, Shubman Gill, Abhishek Sharma, Tilak Varma, Hardik Pandya, Shivam Dube, Axar Patel, Jitesh Sharma, Jasprit Bumrah, Arshdeep Singh, Varun Chakara   
मकान की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी की ट्रांसफर का मामला

मामला सेक्टर-9डी स्थित मकान नंबर 305 (आरपी 2365) की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी की ट्रांसफर का है। दीपिका दुग्गल और उनकी बेटी गुनीता ग्रोवर ने 27 जनवरी 2021 को आवेदन दायर किया था। आवेदन के अनुसार, दीपिका दुग्गल ने अपनी बेटी के नाम 50 प्रतिशत हिस्सेदारी फैमिली ट्रांसफर डीड से ट्रांसफर की थी। कमीशन ने पाया कि एस्टेट ऑफिस के अधिकारियों ने मामले में बार-बार दस्तावेज़ और स्पष्टीकरण मांगे, जबकि सभी आवश्यक दस्तावेज़ समय पर उपलब्ध कराए गए थे।



सुनवाई के दौरान यह भी सामने आया कि मकान की मूल फाइल दिसंबर 2015 में सीबीआई ने जब्त कर ली थी और बाद में वह फाइल विशेष सीबीआई जज की अदालत में साक्ष्य के तौर पर जमा कर दी गई। कमीशन ने सवाल उठाया कि आवेदन 2021 में दायर होने के बावजूद, सीबीआई से रिकार्ड वापस मांगने में 10 महीने क्यों लगा दिए गए और यह जानकारी समय पर आवेदक को क्यों नहीं दी गई।




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