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रिसर्च में निजी निवेश को मिलेगा बढ़ावा, पीएम ने की एक लाख करोड़ के कोष की शुरुआत

deltin33 10 hour(s) ago views 677

  

भारत का लक्ष्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महाशक्ति के रूप में उभरना है



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अनुसंधान एवं विकास में निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने के लिए सोमवार को एक लाख करोड़ रुपये के कोष की शुरुआत की। साथ ही घोषणा की कि उनकी सरकार अब उच्च जोखिम एवं उच्च प्रभाव वाली परियोजनाओं में मदद कर रही है, क्योंकि भारत का लक्ष्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महाशक्ति के रूप में उभरना है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पालिसी मेकर्स, इनोवेटर्स और ग्लोबल विजनरीज के प्रमुख वार्षिक आयोजन के तहत पहले \“उभरते हुए विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार सम्मेलन (ईएसटीआईसी) का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने देश में नवाचार के आधुनिक ईको सिस्टम के विकास के लिए महत्वपूर्ण सुधार किए हैं।\“
अनुसंधान, विकास और नवाचार कोष की शुरुआत

उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यवस्था में विश्व एक नए बदलाव का गवाह बन रहा है और परिवर्तन की गति बहुत तीव्र है। 21वीं सदी के इस समय में दुनियाभर के विशेषज्ञों को उभरते हुए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार पर विचार-विमर्श करने के लिए एक साथ आने की बहुत आवश्यकता है और उन्हें एक साथ मिलकर दिशा दिखानी चाहिए।

निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक लाख करोड़ रुपये के अनुसंधान, विकास और नवाचार कोष की शुरुआत करते हुए उन्होंने कहा, \“इस महत्वपूर्ण निवेश का उद्देश्य जनता को लाभ पहुंचाना और अवसरों के नए रास्ते खोलना है। हमारा लक्ष्य निजी क्षेत्र में भी अनुसंधान और विकास की संस्कृति को बढ़ावा देना है।\“
जीडीपी का 0.6 प्रतिशत होता है खर्च

भारत अपनी जीडीपी का 0.6 प्रतिशत अनुसंधान एवं विकास पर खर्च करता है, जो वैश्विक औसत से कम है। इस हिस्से में निजी क्षेत्र का निवेश 36 प्रतिशत है, जो चीन, दक्षिण कोरिया और अमेरिका जैसे देशों से कम है। इन देशों में अनुसंधान एवं विकास पर होने वाले सकल व्यय में निजी क्षेत्र का योगदान 75 प्रतिशत है।प्रधानमंत्री ने कहा, पहली बार पूंजी का आवंटन विशेष रूप से उच्च जोखिम, उच्च प्रभाव वाली परियोजनाओं के लिए किया जा रहा है, जिससे अभूतपूर्व प्रयासों के लिए मदद सुनिश्चित होगी।

सरकार शोध कार्य में सुगमता पर ध्यान केंद्रित कर रही है, ताकि भारत में नवाचार का एक आधुनिक ईको सिस्टम विकसित हो सके। इस विजन को हासिल करने के लिए हमारी सरकार ने वित्तीय विनियमों और खरीद नीतियों में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। इसके अतिरिक्त प्रोटोटाइप को प्रयोगशाला से बाजार तक पहुंचाने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए प्रोत्साहनों और आपूर्ति श्रृंखला के ढांचे को सुव्यवस्थित किया है।
पीएम मोदी ने किया आग्रह

कार्यक्रम में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद, नोबेल पुरस्कार विजेता सर आंद्रे गीम और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। मोदी ने विज्ञानियों से खाद्य सुरक्षा से आगे बढ़कर पोषण सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया और यह सवाल उठाया कि क्या भारत वैश्विक कुपोषण से निपटने में मदद के लिए अगली पीढ़ी की \“बायोफोर्टिफाइड\“ फसलें विकसित कर सकता है।

उन्होंने कहा, \“क्या कम लागत वाले मिट्टी के स्वास्थ्य संवर्धक और जैव उर्वरक रासायनिक उर्वरक के विकल्प बन सकते हैं और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं? क्या स्वच्छ ऊर्जा भंडारण, जैसे बैटरियों, में नई और किफायती नवाचार किए जा सकते हैं?\“ प्रधानमंत्री ने उन महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान करने के महत्व पर बल दिया जहां भारत विश्व पर निर्भर है तथा उन क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता हासिल करने पर जोर दिया।

(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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