JMM महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्या। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो ने केंद्र की भाजपा नीत सरकार द्वारा मनरेगा को खत्म कर लाए गए नए कानून विकसित भारत–गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन ग्रामीण (वीबी-जी राम-जी बिल) का कड़ा विरोध किया है। पार्टी ने इसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए घातक बताते हुए कहा कि यह बिल गांवों की आजीविका व्यवस्था को पूरी तरह ध्वस्त कर देगा। जमीन अधिग्रहण कानून की तरह इसे केंद्र सरकार को वापस लेना होगा।
झामुमो महासचिव एवं प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने प्रेस वार्ता में कहा कि वर्ष 2009 में वैश्विक आर्थिक संकट के दौर में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और अर्थशास्त्री डॉ. अमर्त्य सेन ने मनरेगा के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संबल दिया था। मनरेगा न सिर्फ 100 दिनों के रोजगार की गारंटी देता है, बल्कि काम न मिलने पर भत्ते का भी प्रावधान करता है। इसके विपरीत नया बिल रोजगार की गारंटी समाप्त करता है।
उन्होंने आरोप लगाया कि नए कानून में पिक एंड चूज के आधार पर काम मिलेगा, यानी भाजपा समर्थकों को प्राथमिकता दी जाएगी। योजना में 60:40 के अनुपात में राज्य और केंद्र की हिस्सेदारी तय की गई है, जिससे राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा। सुप्रियो ने कहा कि मनरेगा में मजदूरी का 100 प्रतिशत खर्च केंद्र उठाता था, लेकिन नए कानून में यह व्यवस्था खत्म कर दी गई है।
भूमिहीनों की समस्या उठाते हुए उन्होंने कहा कि 60 दिनों के कृषि कार्य का तर्क निरर्थक है, क्योंकि जिनके पास जमीन नहीं है, वे खेती कैसे करेंगे। कोविड काल में मनरेगा ग्रामीणों के लिए जीवनरेखा बना था, लेकिन अब वही अधिकार छीने जा रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
उन्होंने कहा कि नए कानून में न गारंटी है, न सार्वभौमिकता और न ही अधिकार, जिससे बेरोजगारी बढ़ेगी और संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचेगा। जैसे भूमि अधिग्रहण और किसान कानून वापस लिए गए, वैसे ही इस कानून को भी केंद्र सरकार को वापस लेना होगा। |