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क्यों 2 अक्टूबर को मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस और कैसे हुई थी इसकी शुरुआत?_deltin51

deltin33 2025-10-2 16:06:11 views 614

  2 अक्टूबर को मनाते हैं अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस (Picture Courtesy: Freepik)





लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दुनिया भर में हर साल 2 अक्टूबर को \“अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस\“ (International Day of Non-Violence) मनाया जाता है। यह दिन महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर उनके अहिंसा के सिद्धांत को समर्पित है।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस दिवस को मनाने की शुरुआत कैसे हुई? आइए जानें इस दिन को मनाने की शुरुआत कब हुई और इसका क्या महत्व है।
शुरुआत कैसे हुई?

अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाने की पहल भारत ने की थी। वर्ष 2007 में, भारत सरकार ने यूनाइटेड नेशनल असेंबिली में एक प्रस्ताव रखा, जिसमें महात्मा गांधी की जयंती, 2 अक्टूबर, को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अहिंसा दिवस के रूप में मनाने का अनुरोध किया गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



इस प्रस्ताव को 15 जून, 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में स्वीकार कर लिया गया। संयुक्त राष्ट्र ने इस दिवस को मनाने का उद्देश्य “अहिंसा के सिद्धांतों की शिक्षा और जन जागरूकता“ को बढ़ावा देना बताया।maruti suzuki, maruti xl6, xl6 mpv, Maruti XL6 Price, Maruti XL6 EMI, Maruti XL6 Down Payment, automobile special, काम की खबर, automobile news, maruti news, maruti xl6 news,   

यह दिवस गांधी जी की उस सिद्धांतों और जीवन को याद करने का अवसर देता है, जिसके जरिए उन्होंने न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाने में अहम भूमिका निभाई, बल्कि दुनिया भर के स्वतंत्रता आंदोलनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को प्रेरित किया।


इस दिन का महत्व क्या है?

  • शांति और सहिष्णुता का संदेश- आज के समय में, जब दुनिया हिंसा, आतंकवाद, जातीय संघर्ष और युद्धों से जूझ रही है, अहिंसा का संदेश बेहद जरूरी है। यह दिन लोगों को याद दिलाता है कि शांतिपूर्ण तरीकों से भी बड़ी से बड़ी मुश्किल का हल निकाला जा सकता है।
  • युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा- गांधी जी का जीवन और उनके सिद्धांत युवाओं के लिए एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं। यह दिवस शैक्षणिक संस्थानों में डिबेट, सेमिनार और प्रतियोगिताओं के जरिए युवाओं को अहिंसक तरीके से समाज में बदलाव लाने के लिए प्रेरित करता है।
  • सामाजिक बदलाव का माध्यम- अहिंसा केवल संघर्ष का तरीका नहीं है, बल्कि एक जीवन जीने का तरीका है। यह नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे लोगों के लिए एक शक्तिशाली हथियार साबित हुई है, जैसा कि मार्टिन लूथर किंग जूनियर और नेल्सन मंडेला के आंदोलनों में देखने को मिला।
  • एकजुटता- यह दिन दुनिया के सभी देशों को एक मंच पर लाता है ताकि वे शांति और सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए एक साथ काम कर सकें।


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