पीटीआई, नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर में वायु रक्षा प्रणालियों ने अहम भूमिका निभाई थी और दुश्मन के हर वार को नाकाम ...
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                     सुदर्शन चक्र 'सभी वायु रक्षा प्रणालियों क ... 
                    
                     
                    पीटीआई, नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर में वायु रक्षा प्रणालियों ने अहम भूमिका निभाई थी और दुश्मन के हर वार को नाकाम कर दिया था जिसके तारीफ आज भी सैन्य अधिकारी करते हैं। एक शीर्ष सैन्य अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि भारत की प्रस्तावित वायु रक्षा प्रणाली सुदर्शन चक्र "सभी वायु रक्षा प्रणालियों की संयुक्त जननी" होगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें एक कार्यक्रम में बोल रहे थे एयर मार्शल'काउंटर यूएवी एवं वायु रक्षा प्रणाली: आधुनिक युद्ध का भविष्य' विषय पर आयोजित सम्मेलन में अपने संबोधन में एकीकृत रक्षा स्टाफ के प्रमुख (सीआईएससी) एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने यह भी कहा कि दुश्मन ने ऑपरेशन सिंदूर से सबक सीखा है और इसलिए हमें सैन्य सोच और योजना में उनसे दो कदम आगे रहना होगा। एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने बताया कि सुदर्शन चक्र में ड्रोन-रोधी, यूएवी-रोधी और हाइपरसोनिक-रोधी प्रणालियां शामिल होंगी। इस कार्यक्रम में वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों, रक्षा उद्योग की विभिन्न कम्पनियों के प्रतिनिधियों और क्षेत्र विशेषज्ञों ने भाग लिया। एयर मार्शल दीक्षित ने हाल के युद्ध का उदाहरण दियाएयर मार्शल दीक्षित ने हाल ही में हुए अजरबैजान-आर्मेनिया संघर्ष, रूस-यूक्रेन युद्ध का संदर्भ दिया और बताया कि किस प्रकार अपेक्षाकृत सस्ते ड्रोनों ने दूसरे पक्ष की महंगी सैन्य संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि उन्होंने एक नवाचार अनुकूलन चक्र बनाया है और भारतीय उद्योग, थिंक टैंक, शिक्षाविदों का काम दो कदम आगे सोचना होना चाहिए, ताकि वे प्रतिद्वंद्वी से आगे रह सकें, क्योंकि यह शतरंज के खेल की तरह है। उन्होंने रक्षा उद्योग से आग्रह किया कि 'मेक इन इंडिया' की तरह आपको 'थिंक इन इंडिया' भी शुरू करना होगा और विचार उत्पन्न करने होंगे। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पकड़े गए ड्रोन थे काफी आधुनिकऑपरेशन सिंदूर के बारे में एयर मार्शल दीक्षित ने कहा कि कुछ ड्रोन जिन्हें हमने पकड़ा था, वे अत्याधुनिक थे, जिनमें एआई, दृश्य साधनों का इस्तेमाल किया गया था, और यदि हम उनके जीपीएस को जाम भी कर देते, तो भी वे कहीं नजदीक तक पहुंचने में सक्षम थे। दुश्मन हर कर बेहतर हो रहा, हमें भी करना होगा काम- एयर मार्शलउन्होंने कहा कि दुश्मन भी काम कर रहे है और बेहतर होते जा रहे है, इसलिए हमें एक कदम आगे बढ़ना होगा। हालांकि, एयर मार्शल दीक्षित ने जोर देकर कहा कि ऐसा लगता है कि हमारे ड्रोन रोधी और जीपीएस-जैमिंग सिस्टम ने अच्छा काम किया है, क्योंकि इन ड्रोनों से होने वाली क्षति लगभग शून्य रही है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद सबसे बड़ा ड्रोन अभ्यास 'कोल्ड स्टार्ट' अगले महीनेसशस्त्र सेनाओं का बड़ा एकीकृत अभ्यास 6 से 10 अक्टूबर के बीच मध्य प्रदेश में होने जा रहा है। हेडक्वार्टर्स इंटिग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (एचक्यू आइडीएस) की तरफ से कोल्ड स्टार्ट नाम के इस अभ्यास में ड्रोन और काउंटर ड्रोन सिस्टम का गहन परीक्षण किया जाएगा। ऑपरेशन सिंदूर के बाद सबसे बड़ा अभ्यास माना जा रहा है। इसका मकसद देश की मौजूदा हवाई रक्षा क्षमताओं के प्रभाव को आंकना और उसकी खामियों को ठीक करना है। एयर डिफेंस सिस्टम पर एक सम्मेलन में इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (ओपीएस) के डिप्टी चीफ एयर मार्शल राकेश सिन्हा ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर से तमाम सबक मिले और हमें अपने दुश्मन की सैन्य सोच और योजना से आगे रहने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि इस अभ्यास में तीनों सेनाओं के अलावा उद्योग भागीदार, अनुसंधान और विकास संगठन और शैक्षणिक संस्थान भी शामिल होंगे। हमारा लक्ष्य बेजोड़ एयर डिफेंस सिस्टम और काउंटर यूएएस (अनमैन्ड एरियल सिस्टम) बनाने का है। ऑपरेशन सिंदूर ने हमें चेतावनी के साथ-साथ यूएएस के खिलाफ हमारी कार्रवाई को तेज करने का अवसर भी दिया है, ताकि अगली मुठभेड़ में हमें कठिन सबक न सीखना पड़े। उन्होंने कहा कि हमने देखा है कि ड्रोन अब सिर्फ सहायक उपकरण नहीं रह गए हैं, बल्कि किसी भी बड़े संघर्ष में उनकी अहम भूमिका है। हमने प्रत्यक्ष रूप से देखा है कि ड्रोन किस तरह से ऑपरेशनों को आकार देते हैं। ये खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और काइनेटिक आपरेशन में मदद करते हैं। इनसे ये भी पता चला कि दुश्मन के ड्रोन सेना की सुरक्षा और रणनीतिक उद्देश्यों को कैसे खतरे में डाल सकते हैं। तीनों सेनाओं की भागीदारी वाला ये अभ्यास महीनेभर पहले हुए रण संवाद कार्यक्रम के बाद होने जा रहा है। मध्य प्रदेश के महो में स्थित आर्मी वार कॉलेज में आयोजित रण संवाद में भी पहली बार तीनों सेनाओं का संयुक्त सेमिनार हुआ था, जिसमें युद्ध, युद्ध सामग्री और युद्ध कौशल पर चर्चा हुई थी।  | 
                


