deltin55 Publish time 2025-10-3 17:05:37

Education Loan के नीचे दबी जिंदगी


https://i0.wp.com/www.sarita.in/wp-content/uploads/2025/09/Education-Loan.jpg?fit=900%2C600&ssl=1




                              Education Loan: तेजी से बदलते सामाजिक आर्थिक परिदृश्य में बच्चों की परवरिश भावनात्मक से अधिक आर्थिक निर्णय बन गई है. भारत में उच्च शिक्षा की बढ़ती लागत, शिक्षा लोन का बढ़ता बोझ और युवा बेरोजगारी ने मध्यवर्गीय परिवारों को संकट में डाल दिया है, जहां सपने पलते तो हैं, पर अकसर कर्ज में दब कर टूट भी जाते हैं.
आज के तेजी से बदलते समाज में, बच्चे पैदा करने और उन्हें पालने का फैसला सिर्फ भावनात्मक नहीं, बल्कि आर्थिक भी होता जा रहा है. खासकर भारत जैसे विकासशील देश में, जहां जनसंख्या बड़ी है और संसाधन सीमित, युवा बच्चे मातापिता के लिए एक बड़ा सवाल बन गए हैं. भारत में एक बच्चे को जन्म से 18 साल तक पालने की औसत लागत 30 लाख रुपए से 1.2 करोड़ तक हो सकती है, जो ग्रामीण या शहरी क्षेत्र पर निर्भर करता है.
साल 2025 में यह आंकड़ा और बढ़ गया है, जहां शहरी भारत में एक बच्चे को पालने की लागत लगभग रुपए 45 लाख हो गई है. एक रिपोर्ट के अनुसार, जन्म से शादी तक की कुल लागत रुपए 1 करोड़ तक पहुंच सकती है, जिस में शिक्षा, स्वास्थ्य और रहनसहन शामिल हैं. आज कल भविष्य में बड़ी स्पर्धा को देखते हुए लोग प्राइमरी स्तर से ही पढ़ाई पर ध्यान देने लगते हैं. महानगरों में तो प्राइमरी एजुकेशन पर ही एक साल में लाखों रुपए का खर्च आता है.
मध्यमवर्गीय शहरों में प्राइमरी एजुकेशन पर रुपए 5.5 लाख, मिडिल स्कूल पर रुपए 1.6-1.8 लाख प्रति वर्ष, और कुल स्कूली शिक्षा पर रुपए 25-50 लाख खर्च हो सकता है. उच्च शिक्षा के लिए रुपए 15-50 लाख अतिरिक्त लग सकते हैं, और अगर विदेशी शिक्षा हो तो यह आंकड़ा रुपए 5-6 करोड़ तक पहुंच जाता है
Pages: [1]
View full version: Education Loan के नीचे दबी जिंदगी