deltin55 Publish time 2025-10-3 17:03:02

महंगे जिम को छोड़ो, इस पुराने एक्सरसाइज से त ...


नई दिल्ली। आजकल लोग फिट रहने के लिए जिम, मशीन और महंगे उपकरणों पर हजारों रुपए खर्च करते हैं, लेकिन एक ऐसा तरीका भी है, जो न केवल आपके शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखता है, बल्कि मानसिक स्फूर्ति भी बढ़ाता है। इसके लिए आपको हर महीने हजारों रुपए खर्च करने की जरूरत भी नहीं है।   
हम बात कर रहे हैं रस्सी कूद (रोप जंपिंग) की। यह व्यायाम पीढ़ियों से बच्चों का खेल भी रहा है और जवानों का स्वास्थ्य राज भी। रस्सी कूद एक सरल कार्डियो एक्सरसाइज है, जिसमें रस्सी की मदद से बार-बार कूदना होता है। इसके लिए किसी महंगे उपकरण की जरूरत नहीं होती, आप इसे कम जगह और कम समय में कहीं भी कर सकते हैं।




रस्सी कूद का इतिहास बहुत पुराना है। भारत, चीन और मिस्र जैसी सभ्यताओं में इसे बच्चों और सैनिकों के प्रशिक्षण का हिस्सा माना जाता था। आयुर्वेदिक दिनचर्या में इसे व्यायाम का सरलतम और प्रभावी रूप माना गया है। यह व्यायाम पूरे शरीर को सक्रिय करता है, जिसमें पैर, हाथ, कंधे, पेट और पीठ की मांसपेशियां सब एक साथ काम करती हैं। इससे न केवल मांसपेशियां मजबूत होती हैं, बल्कि हृदय और फेफड़ों की क्षमता भी तेजी से बढ़ती है। शोध बताते हैं कि दस मिनट रस्सी कूदना लगभग तीस मिनट दौड़ने के बराबर कैलोरी बर्न करता है।




रस्सी कूदने से वजन नियंत्रण भी आसान होता है। यह पेट की चर्बी और अतिरिक्त वजन कम करने में मदद करता है। इसके अलावा, यह हड्डियों और जोड़ों को मजबूत बनाता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस और गठिया जैसी समस्याएं कम होती हैं।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी रस्सी कूदना फायदेमंद है क्योंकि तेज रिद्म में कूदने से एंडोर्फिन हार्मोन निकलते हैं, जो मूड को बेहतर बनाते हैं और तनाव को दूर करते हैं।
यह व्यायाम सस्ता, सरल और कहीं भी किया जा सकता है। केवल एक रस्सी और थोड़ी सी जगह की जरूरत होती है। इसके अलावा, यह समन्वय और फुर्ती भी बढ़ाता है, जो खिलाड़ियों और बॉक्सरों के लिए भी बहुत जरूरी होता है।




रस्सी कूदने का सही तरीका यह है कि आप समतल और साफ जगह पर खड़े हों, दोनों हाथों में रस्सी के सिरे पकड़कर धीमी गति से शुरुआत करें और धीरे-धीरे समय और स्पीड बढ़ाएं। सही जूते पहनना जरूरी है ताकि पैरों पर दबाव कम पड़े।
आयुर्वेद के अनुसार, व्यायाम शरीर की शक्ति बढ़ाने वाला श्रेष्ठ उपाय है। रस्सी कूदने से वात दोष संतुलित रहता है और शरीर स्वस्थ रहता है। आयुर्वेद में भी प्रतिदिन हल्के-फुल्के व्यायाम की सलाह दी गई है, जिसमें रस्सी कूदना एक अच्छा विकल्प है।




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