Gorakhpur Factory Fire: धुएं से घिरा इलाका, पुलिस ने घर-घर जाकर किया सचेत, लोग देखते रहे आसमान छूती लपटें
/file/upload/2025/11/3311242963732035816.webpगीडा स्थित रूंगटा इंडस्ट्रीज में लगी आग के दौरान मची अफरा-तफरी। जागरण
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। आग लगने की घटना ने गीडा इलाके को भय और अफरा-तफरी के माहौल में डुबो दिया। आग की लपटें और पाइप लाइन से उठती धमाके जैसी आवाजें इतनी तेज थीं कि आसपास के घरों के लोग दिनभर परेशान रहे। पुलिस ने एहतियात के तौर पर घर-घर जाकर लोगों को सजग रहने की चेतावनी दी जिसके बाद कई लोग तो अपना सामान समेटने लगे। औद्योगिक क्षेत्र से निकला धुआं देर रात तक हवा में फैला रहा, और लोग घरों की बजाय सड़क पर खड़े होकर आग की दिशा और स्थिति को देखते रहे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जैसे-जैसे आग फैलने लगी, पुलिस ने आसपास के घरों में जाकर दरवाजे खटखटाने शुरू किए। लोग जब बाहर आए तो धुएं की मोटी परत देखकर हैरान रह गए। सायरन की आवाज और धुएं की गंध ने पूरे दिन लोगों को बेचैन रखा। हाईवे तक फैले धुएं के कारण बाइक और कार से आने वाले लोग भी रुककर पूछते रहे कि आखिर क्या हुआ है।
कुछ लोगों ने सड़क किनारे खड़े पुलिसकर्मियों से जानकारी मांगी, तो पुलिस ने हाथ से इशारा कर आगे बढ़ने को कहा।एक समय ऐसा भी आया जब पूरे क्षेत्र में सायरनों की आवाज एक साथ गूंजने लगी और लोग समझ गए कि आग और बढ़ गई है। छतों पर चढ़े युवाओं ने दूर से आग का नजारा देखा।फैक्ट्री की तरफ से उठती नारंगी रोशनी आसमान में चमक रही थी।
हवा का रुख हर कुछ मिनट में बदल रहा था, जिससे धुआं अलग-अलग बस्तियों की तरफ जाता दिखा। कई घरों में खिड़कियां बंद करने के बावजूद धुएं की तेज गंध अंदर आ रही थी। लोग एक-दूसरे को फोन कर हालचाल लेते रहे—कौन कहां है, कौन घर छोड़ चुका है, कौन अभी भी पास है।
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इलाके के कुछ लोगों ने बताया कि उन्हें लगा कि शायद टैंक फट गया है, क्योंकि कई बार अचानक तेज धमाके हुई। बाद में पता चला कि पाइप लाइन में हवा और आग की प्रतिक्रिया से तेज आवाजें निकल रही थीं। धुएं ने इतनी घनी परत बना दी थी कि कुछ देर के लिए सड़क की लाइटें भी धुंधली पड़ गईं। बच्चों में डर साफ दिख रहा था। कई बच्चे मां की गोद में सिर छुपाए बैठे रहे।
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महिलाएं बार-बार पूछती रहीं कि क्या घर वापस जा पाएंगे। हर कुछ मिनट में पुलिस की आवाज गली में गूंजती सभी लोग दूर हटे.. रास्ता खाली करें...। लोग बैरिकेटिंग के पार खड़े होकर फैक्ट्री की दिशा देखते रहे और परिस्थिति शांत होने का इंतजार करते रहे।फैक्ट्री से निकले कर्मचारी भी अलग-अलग झुंड में बाहर आए। किसी के हाथ में मोबाइल था, किसी के हाथ में हेलमेट, किसी के पैंट पर राख की परत जमी थी।
कुछ कर्मचारी एक-दूसरे को पकड़कर बाहर आए और जमीन पर बैठते ही रो पड़े। उन्होंने बताया कि आग इतनी तेजी से फैली कि किसी को समझ नहीं आया कि कैसे और कितना नुकसान हो चुका है।रात लगभग दो बजे तक भी माहौल शांत नहीं हुआ। कुछ परिवार पास के रिश्तेदारों के घर चले गए, कुछ लोग सड़क किनारे खड़े रहे।
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