Gorakhpur Factory Fire: फैक्ट्री का फायर सिस्टम हुआ फेल, सुरक्षा मानकों पर उठे सवाल
/file/upload/2025/11/6252764309389932695.webpगीडा में लगी आग को बुझाने के लिए जाता दमकल। जागरण
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। फैक्ट्री में लगी भीषण आग के बाद अब सुरक्षा मानकों और फायर सिस्टम की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े होने लगे हैं। शुक्रवार भोर में जब आग सबसे पहले पाइप लाइन में उठी, ठीक उसी समय फैक्ट्री का फायर सिस्टम जवाब दे गया। अंदर मौजूद कर्मचारियों ने शुरुआती प्रयास किए, पर फायर लाइन न तो प्रेशर बना पाई और न ही स्प्रिंकलर सक्रिय हुए। आग फैलने का यह सबसे बड़ा कारण रहा। प्रशासन ने अब सुरक्षा आडिट का पूरा रिकार्ड मंगाया है और पिछले महीनों में हुई मेंटेनेंस एंट्रियों की जांच शुरू कर दी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
शुक्रवार को जब आग लगी, तब किसी भी विकल्प ने काम नहीं किया और स्थिति मिनटों में बिगड़ गई।आग जिस पाइप लाइन में लगी, वह सीधे स्टोरेज टैंक से जुड़ी थी। यह टैंक ब्रान आयल और उससे जुड़े केमिकल की बड़ी मात्रा रखता है। सुरक्षा मानकों के अनुसार पाइप-टैंक कनेक्शन पर कई स्तर की सुरक्षा होनी चाहिए थी, जिसमें तापमान सेंसर, आटो-कट और इमरजेंसी लाइन का होना आवश्यक है।
प्रारंभिक जांच में पता चला कि तापमान सेंसर सक्रिय नहीं हुआ। इससे पाइप लाइन तेजी से गर्म होती चली गई और केमिकल प्रतिक्रिया ने आग को और फैलाया।फैक्ट्री में मशीनें और पाइप लाइन इंस्टाल करने वाली बाहरी फर्म पर भी सवाल उठ रहे हैं। प्रशासन ने फर्म के इंजीनियरों को घटनास्थल पर बुलाया और इंस्टालेशन से जुड़ी तकनीकी रिपोर्ट मांगी है। सुरक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि संवेदनशील यूनिट में हर तीन महीने पर अनिवार्य आडिट जरूरी है।
फैक्ट्री के भीतर लगे सीसी कैमरा फुटेज की मदद से जांच आगे बढ़ाई जा रही है। चर्चा है कि आग लगते ही कुछ सेकंड के लिए अलार्म बजा, लेकिन तुरंत बंद हो गया। इसके बाद कर्मचारी दौड़ते हुए फायर सिस्टम सक्रिय करने पहुंचे, मगर वाल्व में प्रेशर ही नहीं बना। यह शुरुआती नाकामी इतनी गंभीर थी कि आग को रोकने का पहला मौका इसी में चूक गया।
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बताया जा रहा है कि पाइप लाइन में संभवतः तेल के अवशेष या दबाव की समस्या रही होगी, जिसने आग को तेज किया। सुरक्षा चूक की सबसे गंभीर बात यह मानी जा रही है कि फैक्ट्री का इमरजेंसी एक्शन प्लान पूरी तरह लागू नहीं हो पाया। आग लगने के बाद कर्मियों को बाहर निकालने और अंदर मशीनें बंद करने का समय बहुत कम मिला। कई वाल्व गर्मी के कारण जाम हो गए, जिसके कारण अंदर की लाइनें बंद करने में कठिनाई आई।
अधिकारियों का कहना है कि अगर फायर सिस्टम पहले चरण में सक्रिय हो जाता, तो आग पाइप लाइन की ऊपरी परतों तक नहीं पहुंचती।प्रशासन अब फायर एनओसी से लेकर सुरक्षा मानकों तक हर कागज की जांच कर रहा है। फायर विभाग की टीम अलग से निरीक्षण कर रही है कि क्या फैक्ट्री में लगी मशीनरी और पाइप सिस्टम नियमानुसार प्रमाणित थे या नहीं। फायर सेफ्टी विशेषज्ञों ने कहा कि यह आग केवल अचानक लगी दुर्घटना नहीं दर्शाती, बल्कि सुरक्षा के कई चरणों में गंभीर कमी को उजागर करती है।फैक्ट्री प्रबंधन का कहना है कि वे पूरा सहयोग कर रहे हैं।
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