जीएसटी चोरी : ठेकेदार, फर्म संचालक और बिचौलिए रडार पर; फर्जी बिलिंग सिंडिकेट के तार कई जनपदों में
/file/upload/2025/11/4669305083705274166.webpफाइल फोटो
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। दो हजार करोड़ रुपये के टर्नओवर पर करीब 370 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी के मामले में विशेष अनुसंधान शाखा (एसआइबी) की जांच अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचती दिख रही है। शुरुआती जांच में बरेली, संभल, रामपुर, धामपुर और मुरादाबाद के कई ठेकेदारों के नाम सामने आए हैं। इनमें से धामपुर के एक ठेकेदार द्वारा 1.5 लाख रुपये जमा कराए जाने से यह भी साफ हो गया है कि जाल सिर्फ फर्जी फर्मों तक सीमित नहीं है, बल्कि कई स्तर पर गड़बड़ियां सामने आने वाली हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जांच में फर्जी खरीद और बिक्री के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) पास किए जाने की पुष्टि हो चुकी है। टीम यह पता लगा रही है कि किन-किन ठेकेदारों द्वारा बिलिंग नेटवर्क का इस्तेमाल करके लेनदेन को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया और किस तरह ई-वेबिल के जरिये काल्पनिक माल परिवहन दिखाकर जीएसटी का चूना लगाया। अधिकारियों के अनुसार, जांच बढ़ने से कई ठेकेदार और पकड़ में आएंगे, क्योंकि फर्जी बिलिंग सिंडिकेट के तार कई जनपदों से जुड़े मिले हैं।
अपर आयुक्त ग्रेड टू एसआइबी आरए सेठ के अनुसार, कई फर्म के ई-वेबिल जनरेट किए जाने के पैटर्न की पड़ताल शुरू कर दी है। यह भी तथ्य सामने आए हैं कि कुछ मामलों में फर्म के मालिक या संचालक की जगह चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) के आइपी एड्रेस से ई-वेबिल जारी हुए हैं। यह जांच का बड़ा बिंदु बन चुका है, क्योंकि ऐसा तभी संभव है जब फर्मों का पूरा डिजिटल नियंत्रण किसी तीसरे के पास हो।
अब एसआइबी एक-एक ई-वेबिल के सोर्स तक जाकर यह पता लगा रही है कि नेटवर्क किस तरह संचालित किया गया और इसमें किस-किसकी भूमिका है। राज्यकर विभाग की खंडवार इकाइयों ने मुरादाबाद शहर में स्थानीय फर्म का भौतिक सत्यापन भी शुरू कर दिया। टीमें पुराने शहर के उन मुहल्लों में पहुंच रही हैं, जहां बड़ी संख्या में फर्म पंजीकृत हैं।
इसमें खासकर सेंट्रल जीएसटी में पंजीकृत फर्म को चेक किया जा रहा है, क्योंकि कई फर्म ने पंजीयन के बाद से लगातार ई-वेबिल जारी किए हैं, लेकिन मौके पर उनके न तो कार्यालय हैं, न ही गोदाम। जांच टीमें फर्म के दस्तावेज, किरायानामा, बिजली बिल, गोदाम का वजूद, स्टाक और स्थानीय गवाहों से पूछताछ जैसे पहलुओं की पुष्टि कर रही हैं। अगर सत्यापन में फर्म या गोदाम नहीं मिलता है, तो ऐसी फर्म का पंजीयन रद्द कराया जाएगा।
फर्म संचालकों व टीमों की ‘कुंडली’ खंगाली जा रही
एसआइबी ने ठेकेदारों, फर्म संचालकों और उनके बिलिंग नेटवर्क की पूरी कुंडली निकालनी शुरू कर दी है। इसमें बैंक खातों की गतिविधि, भुगतान के तरीके, जीएसटीआर भरने के पैटर्न, आइटीसी क्लेम, ई-वेबिल की संख्या और माल परिवहन के वास्तविक सबूत आदि डाटा निकाला जा रहा है। कई फर्म ऐसी मिली हैं जिनका टर्नओवर करोड़ों में दिखाया गया है, लेकिन फर्म की वास्तविक स्थिति एक छोटी दुकान या बंद पड़े कमरे की मिली।
जांच में मिल रही हर गड़बड़ी को क्रास चेक किया जा रहा है। राज्य स्तर पर भी इस केस को बेहद गंभीर माना जा रहा है, इसलिए टीमों को तकनीकी और फील्ड दोनों तरह से कार्रवाई को तेज करने के निर्देश दिए हैं। आने वाले दिनों में नई फर्म, कई ठेकेदार और संभावित बिचौलिए भी जांच के दायरे में आएंगे। फर्जी बिलिंग का यह ताना-बाना जितना खुल रहा है, उतने ही नए चेहरे सामने आ रहे हैं।
- अशोक कुमार सिंह, अपर आयुक्त ग्रेड-वन राज्यकर मुरादाबाद जोन
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