cy520520 Publish time 2025-11-22 04:36:30

गिरोह का कमाल: विधवा पेंशन आवेदन के सिर्फ दो दिन में बीडीओ स्तर से हुए डिजिटल हस्ताक्षर, हुआ फर्जीवाड़ा

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प्रतीकात्‍मक च‍ित्र



जागरण संवाददाता, बरेली। आंवला तहसील की 56 महिलाओं को फर्जी तरीके से विधवा पेंशन दिए जाने के मामले में गिरोह के कारनामें उजागर हुए हैं। अधिकारियों की जांच में यह पता चला है कि गिरोह ने आवेदन के दो दिन के अंदर बीडीओ स्तर से डिजिटल हस्ताक्षर करवाकर अग्रसारित कर दिए थे। हालांकि मामले में एसआइटी से जांच कराने के लिए डीएम ने एसएसपी को पत्र भेजा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पुलिस ने कुछ दिन पहले अवैध तरीके से प्रमाण पत्र बनाने वाले गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार किया था। उनसे पूछताछ में आंवला तहसील क्षेत्र की 56 अपात्र महिलाओं द्वारा फर्जी दस्तावेजों के सहारे विधवा पेंशन लिए जाने का मामला प्रकाश में आया। इसमें आलमपुर जाफराबाद की 35 और रामनगर की 21 महिलाओं के नाम शामिल थे। वर्ष 2021 में इन महिलाओं को पात्र दिखाकर उनके पेंशन शुरू करा दी गई।

मामले का संज्ञान लेकर डीएम अविनाश सिंह के निर्देश पर ग्राम पंचायत अधिकारी सुमित गुप्ता को निलंबित कर दिया गया। मामले में अप्रैल में आलमपुर जाफराबाद के एडीओ पंचायत ने 35 और रामनगर के बीडीओ ने 21 महिलाओं को अपात्र बताया था। तब उनकी पेंशन रोक दी गई। जून में एडीएम (एफआर) की ओर से सभी महिलाओं के विरुद्ध 35.88 लाख रुपये की रिकवरी अधिपत्र (आरसी) जारी किया गया।

एक महिला ने 15 हजार रुपये वापस भी किए। मामले में सीडीओ की ओर से मजिस्ट्रेटी जांच के निर्देश एसडीएम आंवला को दिए गए थे। इधर डीएम ने भी जांच करवाने के निर्देश दिए। इसके बाद डीएम अविनाश सिंह ने मामले में एसआइटी जांच के निर्देश दिए हैं। वही, दूसरी ओर अधिकारियों की अब तक की जांच में पूरा गिरोह इस फर्जीवाड़ा में लिप्त दिखाई दे रहा है।

सूत्रों के अनुसार, अप्रैल 2021 में जब सीएचसी से विधवा पेंशन के लिए आवेदन किए गए। उसके एक से दो दिन के अंदर ही अधिकतम आवेदनों पर बीडीओ के डिजिटल हस्ताक्षर दिखाकर उन्हें आगे के लिए अग्रसारित कर दिया गया। बीडीओ कार्यालय से आवेदन जिला प्रोबेशन अधिकारी के पोर्टल पर पहुंच गए।

तत्कालीन डीपीओ नीता अहिरवार के कार्यालय से फर्जी पेंशन के लिए भरे गए आवेदनों को रोक दिया गया। उस वक्त नियम यह था कि जो आवेदन डीपीओ पटल से रोके जाते थे, वह एक माह में स्वतः शासन को अग्रसारित हो जाते थे और उन पर पेंशन जारी हो जाती थी। इस तरह फर्जी तरीके से भरवाए गए आवेदन एक माह बाद स्वतः स्वीकार हो गए। अब जिम्मेदारों पर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।

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