deltin33 Publish time 2025-11-22 02:37:40

कानपुर के करोड़पति लेखपाल ने हाई कोर्ट में की अपील, रुकवाना चाहता है ट्रांसफर

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लेखपाल आलोक दुबे। जागरण अर्काइव



जागरण संवाददाता, कानपुर। रिंग रोड परियोजना के दौरान भूमि अधिग्रहण में करोड़ों रुपये के मुआवजे में गड़बड़ी और फर्जी दस्तावेजों से जमीन बेचने के आरोपों में घिरे लेखपाल आलोक दुबे की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है। ट्रांसफर रोकने के लिए उसने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस मामले में हाई कोर्ट ने प्रशासन से रिपोर्ट तलब है।

भ्रष्टाचार के आरोपित लेखपाल आलोक दुबे ने जिलाधिकारी के द्वारा स्थानांतरण के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। जिसमें उसने कहा है कि वर्ष 2024 में उसका फतेहपुर स्थानांतरण किया गया था। इस मामले को लेकर पहले से उसके पास हाईकोर्ट का स्थगन आदेश है। इसके बाद भी उसका स्थानांतरण कर दिया गया है। हालांकि इस दौरान लेखपाल ने बिल्हौर तहसील स्थानांतरण की जानकारी दी गई। जबकि हाईकोर्ट ने पूर्व में दिए आदेश में किसी और जनपद में स्थानांतरण पर स्थगन आदेश दिया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इस मामले में हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी से पूरे प्रकरण पर पक्ष मांगा है। एडीएम वित्त एवं राजस्व डा.विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि हाईकोर्ट में लेखपाल ने ट्रांसफर आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल की है, तथ्यों के साथ हाईकोर्ट में पक्ष रखा जाएगा।


जमीन खरीद-बिक्री के 41 बैनामों का प्रशासन कर चुका है सत्यापन

आरोपित लेखपाल के खिलाफ प्रशासन की टीम 41 जमीन के खरीद-बिक्री के बैनामों की जांच कर चुका है। इस मामले में सिंहपुर कछार निवासी अधिवक्ता संदीप सिंह ने दिसंबर 2024 में शिकायत की थी। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि तत्कालीन कानूनगो आलोक दुबे ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए उनकी चार बीघा जमीन बेच दी है। जांच में आलोक दुबे की संलिप्तता उजागर हुई, जिसके बाद फरवरी 2025 में उन्हें निलंबित कर एडीएम न्यायिक की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की गई।


समिति की रिपोर्ट में सामने आई इतनी संपत्ति

समिति की रिपोर्ट में सामने आया कि आलोक दुबे ने कुल 41 बैनामे कराए, जिनकी अनुमानित कीमत 30 करोड़ रुपये से अधिक है। उनके परिवार के नाम पर 35 बीघा से अधिक भूमि भी दर्ज मिली है। जांच में यह भी पता चला कि वह बिल्डरों के एजेंट की तरह जमीन सौदों में सक्रिय रहा है। इस मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर चार्जशीट भी दाखिल कर चुकी है। वहीं एंटी करप्शन विभाग अलग से जांच कर रहा है। वहीं आरोपित के साथ संलिप्त लेखपाल अरूण द्विवेदी के खिलाफ भी प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए मूल वेतन में पदावनत कर दिया है।



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