नेपाल चुनाव से पहले राजनीति गरमाई, उत्तर प्रदेश सीमा पर चौकसी तेज
/file/upload/2025/11/3813845478443188746.webpराजशाही की आहट और अस्थिरता ने बढ़ाई जनता की बेचैनी। आर्काइव
संवाद सूत्र, बढ़नी । नेपाल में होने वाले आगामी चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विभिन्न दल रणनीति बनाने में जुटे हैं, जबकि भारत–नेपाल सीमा पर सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर हैं। नेपाल सरकार मतदान के दौरान शांति बनाए रखने के लिए लगातार संयुक्त बैठकों का आयोजन कर रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इस बीच पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र की संभावित वापसी की अटकलों से राजशाही की आहट राजनीतिक बहस को और तेज कर रही है। 17 वर्षों से जारी राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक चुनौतियों से जनता में निराशा बढ़ी है। आर्थिक मंदी और बेरोजगारी चुनाव के प्रमुख मुद्दे बने हुए हैं, जिन पर दलों की नीति महत्वपूर्ण होगी। संसद भंग करने की कार्रवाई पर नेपाल की आठ पार्टियों ने संयुक्त बयान जारी कर इसे संविधान के खिलाफ बताया और कहा है कि यह कदम लोकतांत्रिक जनादेश को कमजोर करता है।
जेन्जी आंदोलन को विदेशी शक्तियों का समर्थन मिला और कार्यवाहक सुशीला कार्की सरकार द्वारा चुनाव तिथि घोषित किया जाना स्थिरता की दिशा में कदम है। उनका मानना है कि चुनाव समय पर होना ही सरकार की सफलता होगी। - सिराज अहमद फारूकी, एमाले नेता
गणतांत्रिक व्यवस्था के विरुद्ध कोई गतिविधि स्वीकार नहीं होगी। उन्होंने शांतिपूर्ण आंदोलन को ही लोकतांत्रिक मार्ग बताते हुए कहा कि ओली सरकार में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलित होना उचित था। सरकार को जल्द से जल्द निष्पक्ष चुनाव कराना चाहिए। - ईश्वर दयाल मिश्र, प्रगतिशील पार्टी नेता
राजनीतिक स्थिरता और चुनाव को नेपाल की प्राथमिक जरूरत बताया। निष्पक्ष चुनाव से लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी। - रवि मिश्रा राष्ट्रीय मुक्ति पार्टी
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