deltin33 Publish time 2025-11-21 20:08:04

कौन हैं ब्रिटिश भारतीय हरमन नरूला, क्यों अरबपति को मजबूरन ब्रिटेन छोड़ जाना पड़ा दुबई

/file/upload/2025/11/3499801434157195096.webp

हरमन नरूला की कंपनी को अब तक कुल £425 मिलियन (लगभग ₹4,700 करोड़) का नुकसान दिखाया है। 2024 में फिर £17.4 मिलियन का घाटा हुआ।



नई दिल्ली। भारत में जन्मे 37 साल के टेक अरबपति हरमन नरूला इन दिनों सुर्खियों में हैं। £2.5 बिलियन (लगभग 27,000 करोड़ रुपये) वैल्यूएशन वाली अपनी कंपनी इम्प्रोबेबल (Improbable) के को-फाउंडर और सीईओ नरूला ने खुलेआम घोषणा की है कि वे ब्रिटेन छोड़कर दुबई शिफ्ट हो रहे हैं। इसके पीछे की वजह लेबर सरकार की टैक्स नीतियों पर भरोसा पूरी तरह खत्म हो जाना है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कौन हैं हरमन नरूला?

हरमन नरूला का जन्म भारत में (पंजाबी परिवार) हुआ था, बाद में ब्रिटेन में पले-बढ़े। उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई छोड़ 2012 में स्टार्टअप शुरू किया था। उनकी कंपनी का नाम इम्प्रोबेबल है जो वर्चुअल वर्ल्ड, मेटावर्स और डिफेंस सिमुलेशन बनाने वाली डीप-टेक कंपनी है।

उन्होंने सोनी, एपिक गेम्स और सॉफ्टबैंक से $500 मिलियन+ फंडिंग जैसी उपलब्धि हासिल की है।

ब्रिटिश आर्मी और यूक्रेन डिफेंस के लिए मिलिट्री सिमुलेशन बनाए जिसके बाद रूस ने नरूला सहित फाउंडर्स पर प्रतिबंध लगाया। अब नई कंपनी M² के जरिए दुनिया का सबसे तेज ब्लॉकचेन और ‘इंटरनेट ऑफ मेटावर्सेज’ बना रहे हैं। वह फॉर्ब्स और संडे टाइम्स की ‘अमीर युवा उद्यमी’ लिस्ट में लगातार शामिल होते रहे हैं।
ब्रिटेन क्यों छोड़ रहे हैं?

नरूला ने डेली टेलीग्राफ और फिर ‘द नेशनल’ को दिए इंटरव्यू में साफ कहा कि, मामला सिर्फ संभावित एग्जिट टैक्स का नहीं है। बात यह है कि हमें पता ही नहीं कि अगले पांच बजट में क्या-क्या आएगा।

उन्हें कीर स्टार्मर की सरकार पर भरोसा बिल्कुल नहीं बचा। जब तक स्थिति स्थिर और अनुकूल नहीं होती, मैं कहीं और अवसर तलाशना पसंद करूंगा।” उन्होंने रेचल रीव्स के बजट से पहले लीक हो रही खबरों (नॉन-डोम टैक्स में बदलाव, एग्जिट टैक्स की आशंका) को गैर-जिम्मेदाराना बताया। इन खबरों के बाद सरकार ने एग्जिट टैक्स का प्रस्ताव कथित तौर पर टाल दिया, लेकिन नरूला का फैसला नहीं बदला।
कंपनी घाटे में, फिर भी अरबपति क्यों?

इम्प्रोबेबल ने अब तक कुल £425 मिलियन (लगभग ₹4,700 करोड़) का नुकसान दिखाया है। 2024 में फिर £17.4 मिलियन का घाटा हुआ।

नरूला ने इस पर जवाब दिया कि \“\“डीप-टेक में पैसा सालों तक लगता है, कमाई बाद में होती है। हम वेंचर बिल्डर मॉडल पर चल रहे हैं। लाभ तभी होता है जब कोई वेंचर बेचा जाए या उसका टोकन लॉन्च हो। यही जोखिम उठाने की वजह से ब्रिटेन को हमें प्रोत्साहित करना चाहिए, न कि टैक्स से भगना चाहिए।\“\“

ब्रिटिश भारतीयों का पलायन तेजहरमन नरूला अकेले नहीं हैं। पिछले एक साल में सैकड़ों हाई नेटवर्थ ब्रिटिश भारतीय दुबई, सिंगापुर, सऊदी अरब और स्विट्जरलैंड शिफ्ट हो चुके हैं या कर रहे हैं। वजहें एक ही है नॉन-डोम टैक्स नियमों में सख्ती का होना।
अमीरों को क्यों लुभा रहा दुबई

दुबई में जीरो पर्सनल इनकम टैक्स, गोल्डन वीजा और लग्जरी लाइफस्टाइल इन अमीरों को लुभा रहा है। हरमन नरूला का जाना सिर्फ एक अरबपति का फैसला नहीं, बल्कि ब्रिटेन के लिए एक चेतावनी है। अगर टैक्स और नीतियों में स्थिरता नहीं आई तो टॉप टैलेंट और कैपिटल का पलायन और तेज होगा। फिलहाल नरूला दुबई से ही अपनी मेटावर्स क्रांति को लीड करने वाले हैं। ब्रिटेन ने एक और यूनिकॉर्न फाउंडर खो दिया।



यूसुफ हमीद हैं भारत के तीसरे सबसे अमीर मुस्लिम उद्योगपति, 90 साल पुराना पुश्तैनी बिजनेस, 80 देशों में कारोबार
Pages: [1]
View full version: कौन हैं ब्रिटिश भारतीय हरमन नरूला, क्यों अरबपति को मजबूरन ब्रिटेन छोड़ जाना पड़ा दुबई